नई दिल्ली:भारतीय रेलवे ने देशभर में फंसे हुए लोगों को ले जाने के वास्ते विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किये है. रेलवे ने कहा है कि क्षमता की 90 प्रतिशत मांग होने पर ही विशेष श्रमिक रेलगाड़ियां चलाई जानी चाहिए और राज्यों को टिकट का किराया लेना चाहिए.किराया वसूलने के बयान पर रेलवे की तीखी आलोचना हो रही है.
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक पत्र लिखकर यह घोषणा की है कि वापस घर जा रहे मजदूरोें का किराया कांग्रेस पार्टी वहन करेगी. सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए एक पत्र लिखते हुए कहा है कि विदेश में फंसे लोगों को देश मुफ्त में लाया जा सकता है लेकिन श्रमिकों से किराया वसूला जा रहा है.
सोनिया ने अपने बयान में कहा है, ‘प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक और कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी और जरूरी कदम उठाएगी.’
कांग्रेस अध्यक्षा, श्रीमती सोनिया गांधी का बयान
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी। pic.twitter.com/DWo3VZtns0
— Congress (@INCIndia) May 4, 2020
रेलवे ने कहा कि स्थानीय राज्य सरकार प्राधिकार टिकट का किराया एकत्र कर और पूरी राशि रेलवे को देकर यात्रा टिकट यात्रियों को सौंपेंगी.
क्या है सोनिया गांधी का बयान
बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने सोनिया गांधी का एक बयान जारी कर कहा है, ‘श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं. उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है. सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाऊन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए. 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए.’
उन्होंने अपने बयान में लगातार मजदूरों की मजबूरी दिखाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, ‘न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन. उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी. पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक व कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा.’
सोनिया ने कहा कि उनकी पार्टी मजदूरों के टिकट का खर्च उठाएगी. सोमवार सुबह ही कांग्रेस पार्टी ने सोनिया का बयान अपने ऑफिशियल ट्विटर एकाउंट पर लगाया.
जिसमें गांधी ने कहा, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मेहनतकश श्रमिकों व कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार बार उठाया है. दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने. इसलिए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी. मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का यह योगदान होगा.’
श्रमिक कामगार दूत हैं
सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं. श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?’
सोनिया द्वारा जारी बयान में आखिरी में मोटे अक्षरों में लिखा है कि भारतीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी ही हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे में जरूरी कदम उठाएगी.
नेताओं ने पूछा कहां है पीएम केयर्स
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘यदि आप कोविड-19 संकट के दौरान विदेश में फंसे हुए हैं तो यह सरकार आपको विमान से निशुल्क वापस लायेगी लेकिन यदि आप एक प्रवासी श्रमिक हैं और किसी अन्य राज्य में फंसे हैं तो आप यात्रा का किराया (सामाजिक दूरी की कीमत के साथ) चुकाने के लिए तैयार रहें. ‘पीएम केयर्स’ कहां गया? ’
रेलवे ने दिशानिर्देशों में कहा कि फंसे हुए लोगों को भोजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य की जांच और टिकट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उस राज्य की होगी जहां से ट्रेन चल रही है. उसने हालांकि उन यात्रियों के एक समय के भोजन की जिम्मेदारी ली है जिनकी यात्रा 12 घंटे या इससे अधिक समय की होगी.
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रेलवे ने साधी चुप्पी
किराए के संबंध में रेलवे ने कुछ भी बोलने से इनकार किया और कहा कि यह राज्य का मामला है. सूत्रों ने बताया कि झारखंड में अब तक दो ट्रेनें पहुंची हैं और उसने पूरा भुगतान किया है. राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्य भी भुगतान कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र प्रवासियों को किराए का कुछ हिस्सा देने के लिए कह रही है.
रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराया, 30 रुपए सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है.
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यों पर भार डालने के लिए केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों की जो स्थिति हुई है, वह केन्द्र द्वारा लॉकडाउन की अचानक घोषणा करने के कारण हुई है.
येचुरी ने कहा, ‘यह बहुत ही अनुचित है कि पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी गई है. राज्यों के कारण यह समस्या खड़ी नहीं हुई है. संसद में सरकार ने कहा था कि विदेशों में फंसे हुए भारतीयों को स्वदेश वापस लाने की पूरी लागत वहन की जायेगी. इसी तरह प्रवासी श्रमिकों को भी वापस लाया जाना चाहिए.’
रेलवे ने कहा, ‘प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन का केवल एक गंतव्य होगा और यह बीच में नहीं रुकेगी. सामान्य तौर पर, श्रमिक स्पेशल ट्रेन 500 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए चलेंगी. ये ट्रेन गंतव्य से पहले बीच में किसी स्टेशन पर नहीं रुकेंगी. पूरी लंबाई वाली ट्रेन में यात्री भौतिक दूरी के नियम का पालन करते हुए बैठेंगे और बीच वाली सीट पर कोई नहीं बैठेगा. इस तरह की प्रत्येक ट्रेन लगभग 1,200 यात्रियों को ले जा सकती है.’
दिशा-निर्देशों में कहा गया कि संबंधित राज्य यात्रियों के समूह को लेकर तदनुसार योजना तैयार करेगा. ट्रेन के लिए क्षमता के 90 प्रतिशत से कम मांग नहीं होनी चाहिए.
रेलवे निर्दिष्ट गंतव्यों के लिए संबंधित राज्य द्वारा बताई गई यात्रियों की संख्या के हिसाब से टिकट प्रकाशित करेगा और इन्हें स्थानीय राज्य प्राधिकार को सौंप देगा.
जहां से ट्रेन चलेगी, संबंधित राज्य सरकार उस स्थान पर यात्रियों को भोजन के पैकेट और पेयजल उपलब्ध कराएगी.
इसने कहा, ‘सभी यात्रियों के लिए चेहरे पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा. राज्य के अधिकारी यात्रियों को मास्क इस्तेमाल करने के बारे में परामर्श देंगे.
रेलवे ने कहा कि संबंधित राज्य यात्रियों को ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. बारह घंटे से अधिक के गंतव्य की स्थिति में यात्रियों को एक बार का भोजन रेलवे द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा.
गंतव्य पर पहुंचने के बाद राज्य सरकार के अधिकारी यात्रियों की अगवानी करेंगे और उनकी स्क्रीनिंग, जरूरी होने पर पृथक-वास और आगे की यात्रा से संबंधित सभी प्रबंध करेंगे. अगवानी करनेवाला राज्य स्टेशन पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करेगा.
सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधकों को जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि किसी चरण में सुरक्षा, संरक्षा और स्वास्थ्य प्रोटाकॉल का उल्लंघन होता है तो रेलवे को श्रमिक स्पेशल ट्रेन को रद्द करने का अधिकार है.
अधिकारियों ने कहा कि रेलवे राज्यों को प्रदान की गई सेवाओं के लिए शुल्क ले रहा है.
भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन की वजह से फंसे लोगों को निकालने के लिए ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन चलाने की शुक्रवार को मंजूरी दे दी थी.
यात्रा के लिए शुल्क लिये जाने के निर्णय की निंदा करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि आपदा के समय गरीबों का शोषण करना साहूकारों का काम है न कि सरकार का.’’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘भाजपा सरकार द्वारा गरीबों, असहाय श्रमिकों से उन्हें ट्रेन से वापस भेजने के लिए पैसे लेने की खबरें शर्मनाक है. आज यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा, जो पूंजीपतियों का अरबों का कर्ज माफ कर देती है, वह अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ है . आपदा के समय साहूकारों का काम होता है शोषण करना न कि सरकार का.’
कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने कहा कि उनकी पार्टी श्रमिकों के ट्रेन किराये के भुगतान के लिए राज्य सरकार को मदद उपलब्ध कराने के लिए तैयार है.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)