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Monday, 6 May, 2024
होमराजनीतिमानहानि मामले में राहुल गांधी की सज़ा बरकरार, कांग्रेस बोली — ‘निराशाजनक लेकिन नाउम्मीद नहीं’

मानहानि मामले में राहुल गांधी की सज़ा बरकरार, कांग्रेस बोली — ‘निराशाजनक लेकिन नाउम्मीद नहीं’

कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज की गई शिकायतों की सीरीज़ को ‘सुनियोजित राजनीतिक अभियान’ बताया, कहा कि पार्टी नेता गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि ‘मोदी’ सरनेम पर उनकी टिप्पणी के लिए आपराधिक मानहानि मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सज़ा को बरकरार रखने वाला गुजरात हाई कोर्ट का फैसला “निराशाजनक है लेकिन नाउम्मीद नहीं” है. पार्टी ने कहा कि वो हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी.

दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद और पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “फैसले में पाया गया न्यायशास्त्र अद्वितीय और असाधारण है. मानहानि के कानून के न्यायशास्त्र में इसका कोई समानांतर या उदाहरण नहीं है.”

2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में राहुल गांधी ने कहा था, “सभी चोरों, चाहे वह नीरव मोदी, ललित मोदी या नरेंद्र मोदी हों, का सामान्य सरनेम मोदी क्यों है?”

इसी साल 23 मार्च को गुजरात बीजेपी विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी की शिकायत पर दायर मामले की सुनवाई करते हुए एक सत्र अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराया और दो साल कैद की सज़ा सुनाई. फैसले के बाद गांधी को लोकसभा सदस्य के रूप में भी अयोग्य घोषित कर दिया गया.

गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी सज़ा पर रोक लगाने की मांग की थी.

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सिंघवी ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ दायर की गई शिकायतों की एक सीरीज़, जिसमें गुजरात की शिकायत भी शामिल है, स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने के लिए एक “सुनियोजित राजनीतिक अभियान” है.

फैसले की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “भारत में कहीं भी मानहानि के कानून में इसकी कोई मिसाल नहीं है…”

सिंघवी ने यह भी कहा कि राहुल गांधी शीर्ष अदालत जाएंगे. हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई समय सीमा बताने से इनकार कर दिया.

सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा“हमें न्यायपालिका और विशेष रूप से शीर्ष अदालत पर पूरा भरोसा है. हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि तत्कालीन सरकार और तत्कालीन सत्तारूढ़ दल द्वारा दिखाए गए अहंकार और अचूकता के इस प्रतिच्छेदन से सुप्रीम कोर्ट में उचित तरीके से निपटा जाएगा.”

शुक्रवार को एएनआई से बात करते हुए बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “अगर राहुल गांधी को लगता है कि उन्हें किसी को गाली देने का लाइसेंस मिल गया है, तो अदालत अपना काम करेगी. मैं कांग्रेस पार्टी की इस टिप्पणी की निंदा करता हूं कि यह राहुल गांधी को दोषी ठहराने की साजिश का हिस्सा है…उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी की है. ओबीसी समुदाय का अपमान किया है…अदालत ने उन्हें माफी मांगने का मौका दिया…उन्होंने माफी नहीं मांगी और इसके बाद उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ा…”


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सावरकर का उल्लेख ‘दुखद और अवैध’

कोर्ट ने फैसले में कहा, “…आवेदक (राहुल गांधी) के खिलाफ दस आपराधिक मामले लंबित हैं. राजनीति में शुचिता होना अब समय की मांग है. लोगों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति होना चाहिए.”

फैसले में कहा गया, “रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि उक्त शिकायत दर्ज करने के बाद, वर्तमान आरोपियों के खिलाफ अन्य शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से एक शिकायत वीर सावरकर के पोते द्वारा संबंधित अदालत में दायर की गई थी.” पुणे में जब अभियुक्तों ने कैंब्रिज में वीर सावरकर (एसआईसी) के खिलाफ मानहानि के शब्दों का इस्तेमाल किया और एक अन्य शिकायत लखनऊ के संबंधित न्यायालय में भी दायर की गई थी.

फैसले में वीर सावरकर मामले के उल्लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए, सिंघवी, जो इस मामले में राहुल गांधी के वकील भी हैं, ने इसे “दुखद और अवैध” कहा.

उन्होंने कहा, “सुनवाई के आखिरी दिन एक प्रेस कटिंग में इस तरह के बेतुके तथ्य सामने लाना निर्णय लेने के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है.”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिंघवी ने कहा कि मोदी एक “अपरिभाषित, अनाकार समूह” हैं.

उन्होंने कहा, “आखिर इस समूह का कोई भी सदस्य कैसे उठ सकता है…और उसके पास मानहानि का दावा करने का अधिकार हो सकता है.” उन्होंने कहा कि फैसला इस “मुख्य प्रश्न” का उत्तर देने में विफल है.

अदालत ने जिन कई शिकायतों का ज़िक्र किया, उन पर सिंघवी ने स्पष्ट किया कि उन सभी मामलों में गांधी अभी भी आरोपी हैं.

उन्होंने कहा, “यह (शिकायतों की सीरीज़) एक बहुत बड़ा मुद्दा है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के क्षेत्र का गला घोंटने के ये कैसे हताश, खुले प्रयास हैं. चाहे वे कोई राजनीतिक नेता हो या पत्रकार, विचार आपकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र बयान का गला घोंटना है.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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