नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को मोदी सरकार 4-4 लाख मुआवजा देने में असमर्थता जताने पर हमला बोला है. उन्होंने इसे सरकार की क्रूरता बताया है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘जीवन की क़ीमत लगाना असंभव है- सरकारी मुआवज़ा सिर्फ़ एक छोटी सी सहायता होती है लेकिन मोदी सरकार यह भी करने को तैयार नहीं.’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आंकड़े और ऊपर से सरकार की यह क्रूरता……’
गौरतलब है कि रविवार को केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार चार लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता क्योंकि यह वित्तीय बोझ उठाना मुमकिन नहीं है और केंद्र तथा राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.
शीर्ष अदालत में एक हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा है कि आपदा प्रबंधन कानून 2005 की धारा 12 के तहत ‘न्यूनतम मानक राहत’ के तौर पर स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना बढ़ाने, प्रत्येक नागरिक को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और तेज कदम उठाए गए हैं. हलफनामे में कहा गया, ‘कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले सभी लोगों के परिवारों को मुआवजा देना राज्य सरकारों के वित्तीय बूते के बाहर है. महामारी के कारण राजस्व में कटौती और स्वास्थ्य संबंधी खर्च बढ़ने से राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति पहले से दबाव में है.’
केंद्र द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया, ‘इसलिए मुआवजा देने के लिए सीमित संसाधनों के इस्तेमाल से दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम होंगे और महामारी से निपटने और स्वास्थ्य खर्च पर असर पड़ सकता है तथा लाभ की तुलना में नुकसान ज्यादा होगा. यह एक दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन महत्वपूर्ण तथ्य है कि सरकारों के संसाधनों की सीमाएं हैं और मुआवजे के माध्यम से कोई भी अतिरिक्त बोझ अन्य स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपलब्ध धन को कम करेगा.’
इससे पहले 11 जून को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजे के लिए याचिकाओं में किए गए अनुरोध ‘सही’ हैं और सरकार इस पर विचार कर रही है. न्यायालय ने कोविड-19 से मरने वालों के परिवारों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने के अनुरोध वाली दो याचिकाओं पर 24 मई को केंद्र से जवाब मांगा था और कहा था कि वायरस की चपेट में आने वालों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में एक समान नीति होनी चाहिए.
शीर्ष अदालत ने केंद्र से कोविड-19 से जान गंवानों वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा-निर्देश को भी रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे कागजात जारी करते समय एक समान नीति होनी चाहिए.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)