नई दिल्ली: ब्रिटेन में अपने बयान के बाद राहुल गांधी लगातार सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर हैं. गुरुवार को राहुल गांधी मीडिया के सामने आए और सफाई दी कि उनपर जो भी आरोप लगे है मैं उनका जवाब यहां नहीं संसद में दूंगा.
राहुल ने कहा कि मैं एक सांसद हूं और संसद मेरा मंच है.
राहुल ने कहा कि मैंने आज स्पीकर से अनुरोध किया कि मुझे संसद में बोलने दिया जाये और मुझे लगता है कि वो मुझे बोलने देंगे. मुझे उम्मीद है कि मुझे कल संसद में बोलने की अनुमति दी जाएगी.
भाजपा और पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सरकार अडाणी मुद्दे से डरी हुई है. आखिर अडाणी और पीएम का रिश्ता क्या है?
अडाणी मामले पर अपना हमला जारी रखते हुए राहुल ने कहा, ‘आखिर रक्षा सौदे अडाणी को क्यों दिए जा रहे हैं? पीएम सवालों के जवाब देने से क्यों बच रहे हैं?
राहुल ने बोलने की अनुमति मांगते हुए कहा कि भाजपा के चार मंत्रियो ने मुझ पर सदन में आरोप लगाया और मेरे भाषण को रिकॉर्ड से हटा दिया गया. मैं संसद में सारे सवालों के जवाब दूंगा और ये इंडियन डेमोक्रेसी का टेस्ट है कि मुझे बोलने दिया जाता है या नहीं.
भाजपा और पीएम पर राहुल गांधी के आरोपों के बाद अब से कुछ ही देर में बीजेपी द्वारा एक कॉन्फ्रेंस कर उनके सवालों और आरोपों का जवाब दिया जायेगा.
बता दें कि विदेश दौरे से लौटे राहुल गांधी गुरुवार को संसद की कार्यवाही में भाग लेने के लिए संसद पहुंचे. हालांकि राहुल के सदन में पहुंचते ही हंगामें में तब्दील हो गई..जिसके बाद संसद को कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.
राहुल गांधी जब सदन पहुंचे तो पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वो माफी मांगेगे तब उन्होंने कहा, “मैंने भारत विरोधी कुछ भी नहीं बोला (लंदन सेमिनार में). अगर वे अनुमति देंगे तो मैं क्या सोचता हूं उसके बारे में संसद में बोलूंगा. ”
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लंदन वाले बयान पर हंगामा मचा है, माफी की मांग को लेकर बीजेपी हमलावर है, तो वहीं कांग्रेस इसे अडाणी मुद्दे से और जेपीसी जांच की मांग से ध्यान भटकाने की कोशिश बता रही है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में लंदन कैंब्रिज विश्वविद्यालय में एक संबोधन में कहा था कि हर कोई जानता है और यह बहुत खबरों में है कि भारतीय लोकतंत्र दबाव में है. मैं भारत में विपक्ष का नेता हूं, हम उन्हें (विपक्ष) को नेविगेट कर रहे हैं.
राहुल गांधी ने आगे कहा कि ‘लोकतांत्रिक संसद के लिए जरूरी संस्थागत ढांचा, स्वतंत्र प्रेस, न्यायपालिका, विचार प्रकट करना सब मुश्किल होता जा रहा है, हम भारतीय लोकतंत्र के मूल ढांचे पर हमले का सामना कर रहे हैं.’
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