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Wednesday, 20 November, 2024
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कौन हैं पूर्णेश मोदी? जिनकी याचिका पर राहुल गांधी की चली गई संसद सदस्यता

भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने कहा, कोर्ट का जो फ़ैसला आया है उसे सबको स्वीकार करना चाहिए. यही सच्चे अर्थों में सत्यमेव जयते है.

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नई दिल्ली: गुजरात हाई कोर्ट ने ‘‘मोदी सरनेम’’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी है.

न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि गांधी पहले ही देशभर में 10 मामलों का सामना कर रहे हैं और निचली अदालत का कांग्रेस नेता को दोषी ठहराने का आदेश ‘‘न्यायसंगत, उचित और वैध’’ है.

अदालत ने कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत कारण नहीं है.

यदि दोषसिद्धि पर रोक लग जाती, तो इससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता.

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी.

हाई कोर्ट के फैसले के बाद पूर्णेश मोदी ने कहा, “कर्नाटक के कोलार में हुई जनसभा में राहुल गांधी ने मोदी समाज का अपमान किया था. 2019 में हमने सूरत कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया था. अब वकीलों की बहस के बाद राहुल गांधी को दो साल की सज़ा हुई थी.”

पूर्णेश मोदी ने आगे मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ”इस फ़ैसले से नाराज़ होकर राहुल गांधी हाईकोर्ट गए थे. अब जो हाई कोर्ट का फ़ैसला आया है, हम उसे स्वीकार करते हैं. राहुल गांधी को सोचना चाहिए कि हिंदुस्तान में सद्भावना से पेश आएं.”

पूर्णेश मोदी ने कहा- ”कोर्ट का जो फ़ैसला आया है उसे सबको स्वीकार करना चाहिए. यही सच्चे अर्थों में सत्यमेव जयते है.”

बता दें कि रांची, पटना में भी राहुल गांधी के खिलाफ भी मोदी सरनेम वाले मामले में सुनवाई चल रही है. ऐसे ही एक मामले में वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने भी याचिका दायर की है.

मार्च 23 में ही राहुल गांधी ने कहा था कि मैं सावरकर नहीं हूं जो माफी मांगे जिसके बाद वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ऐसे दस्तावेज दिखाने की चुनौती दी जिससे यह साबित होता हो कि वीर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी. 25 मार्च को राहुल गांधी ने कहा था मेरा नाम गांधी है और गांधी किसी से माफी नहीं मांगते.

बता दें कि राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’’ इस टिप्पणी को लेकर भाजपा नेता व विधायक पूर्णेश मोदी ने चार साल पहले याचिका दायर की थी. और आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था.

हालांकि, उस समय कोई कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन मार्च 23 में उस याचिका की सुनवाई करते हुए गुजरात की एक निचली अदालत ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी. जिससे उनकी संसद सदस्यता भी चली गई थी.

कौन हैं पूर्णेश मोदी जिनकी शिकायत पर गई राहुल की सदस्यता

फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.

अब सवाल उठता है कि कौन हैं पूर्णेश मोदी, तो बता दें कि पेशे से वकील पूर्णेश सूरत पश्चिम विवाधनसभा सीट से लगातार तीसरी बार के विधायक हैं.

उन्होंने सितंबर 2021 में भूपेंद्र कैबिनेट में सड़क और भवन मंत्री भी बनाए गए. वहीं वह इस कैबिनेट के 11 महीने तक हिस्सा भी रहे थे. हालांकि कामकाज को लेकर महज 11 महीने में ही उनके खिलाफ शिकायतें आने लगीं थी जिसके बाद उनका मंत्री पद वापस ले लिया गया था.

पूर्णेश 2009 से 12 और 2013-16 में सूरत नगर बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सूरत भाजपा में वो एक बड़ा नाम हैं.

सूरत में 1965 में जन्में वकील पूर्णेश ने 1992 में बी कॉम किया जिसके बाद सूरत की सर चौवाशी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की है. उनकी पत्‍नी का नाम बीना बहन है. जो खुद का व्यवसाय भी करती हैं.

पूर्णेश मोदी, सूरत के अदजान इलाके में अपने परिवार के साथ रहते हैं. गुजरात की तेरहवीं विधानसभा (2013-17) के उपचुनाव में जीत कर वह पहली बार गुजरात विधानसभा पहुंचे थे.

2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी ने कांग्रेस के इकबाल पटेल को 77 हजार वोटों से शिकस्त दी थी और अपना नाम यहां से पक्का कर लिया था. 2022 में भी उन्होंने यहां से चुनाव लड़ा और अपने प्रतिद्वंद्वी को एक लाख वोट से हराया.

साल 2013 में सूरत पश्चिमी सीट के तत्कालीन विधायक किशोर भाई की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. इसके बाद हुए उपचुनाव पूर्णेश मोदी को चुनावी मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की थी.

हालांकि राजनीति और वकालत के अलावा मोदी कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं और समाज के लिए भी काम करते हैं. वह भारत सेवाश्रम संघ- हिंदू मिलन मंदिर में प्रमुख की भूमिका में हैं. इसके अलावा वह पब्लिक एजूकेशन ट्रस्ट के कार्यकारिणी और आर्य समाज की सदस्यता से भी जुड़े हैं.


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