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Friday, 19 April, 2024
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एकबार फिर से राहुल गांधी – पार्टी प्रमुख के रूप में उनकी वापसी के लिए कांग्रेस ने कसी कमर

राहुल ने 2017 में पार्टी प्रमुख का पद संभाला और आम चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद जुलाई 2019 में इस्तीफा दे दिया था.

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नई दिल्ली: राहुल गांधी को एकबार फिर पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापस लाने की कांग्रेस में तैयारी चल रही है, लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया था.

ऑल इंडिया कांग्रेस कमीटी (एआईसीसी) की मीटिंग में यह योजना बनाई गई है कि अगले साल के शुरुआत में जब पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने पद से हटेंगे तो उनके बेटे को पार्टी की पतवार थमा दी जाएगी. यह बातें दि प्रिंट को पार्टी नेताओं ने जिन्हें इस कदम की जानकारी है उन्होंने बताई है.

कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘यह एआईसीसी की बैठक पहले दिसंबर के लिए योजनाबद्ध थी और उदयपुर में आयोजित की जानी थी.’

अब इस मीटिंग को बढ़ाकर अगले साल के पहले महीने (जनवरी) में पुनर्निर्धारित किया गया है. दिसंबर के अंत तक तारीख और जगह स्पष्ट हो जाएगी.’

कांग्रेस के दूसरे पदाधिकारी ने कहा कि राहुल की वापसी को जरूरी बताया है और 15 जनवरी के बाद कभी भी हो सकती है. हालांकि नेता ने यह भी कहा कि राहुल फिर ने कार्यभार संभालने में ‘रुचि’ नहीं ले रहे हैं.

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पार्टी में राहुल के वफादार सूत्रों ने जो युवा कांग्रेस से ताल्लुक रखते हैं ने ट्विटर पर राहुल की वापसी को लेकर हैशटैग अभियान भी चलाया जिसमें उन्होंने #MyLeaderRG लिखा.

हालांकि, बिहार में पार्टी के महासचिव शक्तिसिंह गोहिल, इस तरह कि किसी भी अटकलों का खंडन किया और कहा कि एआईसीसी सत्र में सामान्य से बाहर कुछ भी नहीं था.

उन्होंने कहा कि नए साल में एक सत्र होगा. ‘इसका एजेंडा और जनादेश तय किया गया.’

एआईसीसी की बैठक में राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में फिर से स्थापित करने की कथित योजना के बारे में पूछे जाने पर, गोहिल ने कहा, ‘ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है.’

राहुल की वापसी के लिए रोड तैयार

राहुल ने 2017 में पार्टी प्रमुख का पद संभाला और आम चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद जुलाई 2019 में इस्तीफा दे दिया – कांग्रेस ने इस चुनाव में महज 52 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी और भाजपा ने बहुमत हासिल किया.

राहुल ने कहा कि वह पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए ‘जिम्मेदारी लेते हैं’ और पार्टी के अध्यक्षपद को छोड़ दिया. राहुल से वरिष्ठ नेताओं ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए बार-बार गुजारिश की लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार किया.

उन्होंने लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने पार्टी चलाने के दौरान में अलग-थलग महसूस किया था और वह पार्टी के दिग्गज नेताओं से नाराज़ थे. अपने इस्तीफे पत्र में, राहुल ने लिखा, ‘कई बार, मैं पूरी तरह से अकेला था और मुझे इस पर बहुत गर्व है.’

लेकिन पूर्व पार्टी प्रमुख ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में लौटने पर दरवाजे बंद नहीं किए थे.

राहुल ने इस जुलाई में दिए अपने त्याग पत्र में कहा था, “जब भी मुझे मेरी सेवाओं, इनपुट या सलाह की आवश्यकता होगा है, मैं पार्टी के लिए उपलब्ध रहूंगा.’

अपनी इच्छा न होने के बाद भी राहुल के पार्टी के अध्यक्षपद से इस्तीफा दिए जाने के बाद बीमार सोनिया ने एकबार फिर पार्टी में अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला.

उनके बाहर निकलने के बाद, बीमार सोनिया अनिच्छा से अंतरिम प्रमुख के रूप में लौट आई.

पार्टी के नेताओं का कहना है कि सोनिया केवल राहुल के वापस आने तक सीट पर रहेंगी. उनके अनुसार, अब भी, वह उनसे सलाह लिए बिना कोई निर्णय नहीं लेती है.

केवल एक वास्तविक कॉल राहुल को राजी करेगी

एक कांग्रेसी पदाधिकारी के अनुसार, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का सत्र झारखंड और दिल्ली चुनाव के बाद आयोजित होने की संभावना है, क्योंकि पार्टी लोगों के विचार की जांच कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘जहां तक मुझे पता है, राहुल वापस नहीं आना चाहते हैं. वह अभी भी अनिच्छुक है.’

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि पार्टी के नेताओं का केवल एक ‘वास्तविक आह्वान’ उनका विश्वास जीत पायेगा और उनको  समझाने में सफल होगा.

अपने पद से हटने के बाद राहुल अपना अधिकांश समय विदेश में बिता रहे हैं, अपने राजनीतिक विरोधियों के साथ-साथ पार्टी के भीतर उनके विरोधी भी आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा में लगभग आधा दर्जन चुनावी रैलियों को संबोधित किया, इन राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से काफी बेहतर रहा.

कांग्रेस महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में शामिल हुई. हरियाणा में भी लड़ाई बराबरी की रही, लेकिन भाजपा ने अंततः कांग्रेस की तुलना में अधिक सीटें जीतीं और फिर दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी(जेजेपी) के साथ गठबंधन कर लिया.

राहुल ने कभी भी हरियाणा और महाराष्ट्र में पार्टी की प्रासंगिकता को बचाने के लिए जिम्मेदार नेताओं को बधाई नहीं दी, फिर से पार्टी के स्नाइपर्स द्वारा आलोचना सुनना पड़ा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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