नई दिल्ली: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस एकमात्र पार्टी है जो मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ रही है और वह आगे भी ऐसा करती रहेगी.
सिद्धारमैया ने एक इंटरव्यू में दिप्रिंट को बताया, ‘कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जो धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध है. मुसलमानों का अस्तित्व महत्वपूर्ण है और वे इस देश के नागरिक हैं.’ वह अगले साल होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी नेताओं के साथ रणनीति बनाने के लिए दिल्ली आए हुए थे.
सिद्धारमैया ने इस बात पर भी जोर दिया कि चुनाव में पार्टी का मुद्दा ‘कन्नड़ गौरव’ पर केंद्रित होगा जिसमें कन्नड़ लोगों के लिए रोजगार में आरक्षण का वादा किया गया है. साथ ही पार्टी भाजपा सरकार द्वारा कथित ‘हिंदी थोपने’ के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाएगी. पार्टी मुसलमानों को साथ लेकर चलने और उनके हितों की रक्षा के बारे में भी बात करेगी.
कर्नाटक में विपक्ष के नेता ने राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने इसके खिलाफ विधानसभा के भीतर और बाहर दोनों जगह लड़ाई लड़ी थी.
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि पार्टी धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करती.
कांग्रेस पर अक्सर ‘सोफ्ट हिंदुत्व’ की विचारधारा अपनाए जाने की बात की जाती रही है. खासकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिरों में जाने पर अकसर ऐसे आरोप लगाए जाते रहे हैं. सिद्धारमैया ने कहा कि ‘नरम या कठोर हिंदुत्व’ जैसा कुछ नहीं है. पार्टी सभी समुदायों के कल्याण के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध रही है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो.
वह आगे कहते हैं, ‘कोई नरम या कठोर हिंदुत्व नहीं होता. हिंदुत्व तो हिंदुत्व है. क्या संविधान में कम या ज्यादा धर्मनिरपेक्षता की बात कही गई है? मंदिर जाना मेरे विश्वास के साथ जुड़ा है और मैं वहां जाता हूं. मैं एक हिंदू हूं. सिर्फ इसलिए कि आप देवताओं की पूजा करते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आप नरम हिंदुत्व की विचारधारा को मानते हैं. हम संविधान के प्रावधानों का पालन करते हैं न कि नरम या कठोर हिंदुत्व का. मैं मंदिरों में जाता हूं लेकिन मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा का पालन नहीं करता.’
कांग्रेस अगले साल होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस रही है, जिसमें उसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से राज्य में जीत की उम्मीद है.
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के आंतरिक सर्वे संकेत दे रहें है कि कांग्रेस फिलहाल चुनाव के लिए अच्छी स्थिति में है, लेकिन अंदरूनी कलह की खबरें भी बाहर आ रही हैं.
सिद्धारमैया ने इन खबरों को खारिज करते हुए कहा, ‘भाजपा का एकमात्र विकल्प कांग्रेस है. कांग्रेस एकजुट है और सभी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे.’
कर्नाटक के पूर्व सीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि कांग्रेस जनता दल (सेक्युलर) के साथ गठबंधन नहीं करेगी. वह अकेले अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद 14 महीने तक राज्य में दोनों दलों के गठबंधन की सरकार थी. लेकिन 2019 में अविश्वास प्रस्ताव हार जाने के बाद यह टूट गठबंधन टूट गया. जिसके बाद भाजपा ने राज्य में अपनी सरकार का गठन किया.
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‘कन्नड़ गौरव’
यह आरोप लगाते हुए कि भाजपा कन्नड़ के स्थान पर हिंदी लाने की कोशिश कर रही है, सिद्धारमैया ने कहा: ‘हम ऐसा नहीं होने देंगे. हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है. कन्नड़ लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है और बैंकिंग समेत कुछ क्षेत्रों में सिर्फ हिंदी भाषी लोगों का ही दबदबा है. इसे रोकने की जरूरत है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए कन्नड़ गौरव महत्वपूर्ण है और अगर हम सत्ता में आते हैं, तो तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां केवल कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षित होंगी.’
कर्नाटक में कन्नड़ समर्थक संगठन विरोध-प्रदर्शन और हड़तालों के जरिए प्राइवेट सेक्टर विशेष रूप से आईटी और जैव तकनीकी क्षेत्रों में रोजगार में कन्नड़ लोगों के लिए प्राथमिकता की मांग करते आ रहे हैं.
अपने चुनावी एजेंडे के हिस्से के रूप में कांग्रेस 1986 की सरोजिनी महिषी रिपोर्ट को लागू करने पर जोर देने की योजना बना रही है. इस रिपोर्ट में निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में कन्नड़ लोगों के लिए नौकरियों में आरक्षण की सिफारिश की गई थी.
सिद्धारमैया ने कहा, ‘रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है और हमारी पार्टी के सत्ता में आने के बाद हम रिपोर्ट का उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे और प्राथमिकता के आधार पर कन्नड़ लोगों को रोजगार सुनिश्चित करेंगे’
‘ कोई नरम या कठोर हिंदुत्व नहीं’
पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह बात निकलकर आ रही है कि सत्तारूढ़ भाजपा की ‘ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक पिच’ अन्य राज्यों की तरह अब कर्नाटक में काम नहीं कर रही है. इसके बाद से कांग्रेस ने मुसलमानों के बारे में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार किया है.
सिद्धारमैया ने कहा, ‘कर्नाटक में कांग्रेस का रुख साफ है. वह हर जाति और समुदाय के लोगों को साथ लेकर चलेगी. कांग्रेस राज्य में मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने वाली और उनके लिए लड़ने वाली एकमात्र पार्टी है.’
पिछले कुछ दिनों में राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ सिद्धारमैया की बैठकों में पिछले विधानसभा चुनाव की गलतियों को सुधारना चर्चा का एक प्रमुख मुद्दा था.
पूर्व सीएम ने कहा, ‘कर्नाटक में पार्टी को सत्ता में कैसे लाया जाए, हमारी रणनीतियां, राजनीतिक स्थिति, 2108 के चुनाव हारने के कारण और हम कैसे सुधार कर सकते हैं, हमने इन सभी मसलों पर चर्चा की.’ साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि मौजूदा समय में राजनीतिक परिस्थितियां कांग्रेस के पक्ष में हैं.
सिद्धारमैया से जब पिछली बार कांग्रेस द्वारा की गई गलतियों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘हम पिछली बार खुद को जनता के सामने लाने में विफल रहे, जिससे हमारी हार हुई. इस बार हम वैकल्पिक योजनाओं के साथ आगे बढ़ रहे हैं और हमारे घोषणा पत्र में बड़े वादे होंगे.’
साथ ही कांग्रेस के एजेंडे में केंद्र में पूर्व मनमोहन सिंह प्रशासन और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों और राज्य में नरेंद्र मोदी प्रशासन और भाजपा सरकारों की कथित विफलताओं को उजागर करना शामिल है.
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