नई दिल्लीः अपने इस्तीफे पर अड़े रहे राहुल गांधी ने बुधवार को ट्विटर पर एक पत्र जारी कर साफ किया है कि वह अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं. उन्होंने पत्र में कहा है कि पार्टी को नया अध्यक्ष जल्द से ज्लद चुनना चाहिए. कांग्रेस कार्याकरिणी को जल्द एक बैठक बुलाकर नये नेता का चुनाव करना चाहिए. 2019 चुनाव की हार की जिम्मेदारी उनकी है. इसलिए वह इस्तीफा दे रहे हैं. गांधी ने ट्विटर पर अपना प्रोफाइल भी अध्यक्ष से बदलकर पार्टी का मेंबर कर लिया है.
It is an honour for me to serve the Congress Party, whose values and ideals have served as the lifeblood of our beautiful nation.
I owe the country and my organisation a debt of tremendous gratitude and love.
Jai Hind ?? pic.twitter.com/WWGYt5YG4V
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 3, 2019
पत्र के साथ अपने ट्वीट में गांधी ने कहा, ‘मेरे लिए कांग्रेस पार्टी की सेवा करना एक सम्मान की बात है, जिसके मूल्यों और आदर्शों ने हमारे सुंदर राष्ट्र की जीवनधारा के रूप में काम किया है. मैं देश और अपने संगठन के भारी आभार और प्यार का ऋणी हूं.’
राहुल ने पत्र में कहा, ‘पार्टी के भविष्य में आगे बढ़ने के लिए यह जरूरी है कि सभी की जिम्मेदारी तय की जाए. यही कारण है कि मैंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. पार्टी को फिर खड़ा करने के लिए कड़े फैसले की जरूरत होगी. 2019 की हार के लिए कई लोग जिम्मेदार हैं.’
उन्होंने कहा है कि ‘यह बात सही नहीं है कि मैं दूसरे की जिम्मेदारी तय करूं और खुद की जिम्मेदारी नजरंदाज करूं. मेरे सहयोगियों का कहना है कि मैं अगले अध्यक्ष को नामित कर दूं. यह करना ठीक नहीं होगा. कांग्रेस का लंबा इतिहास है. पार्टी को ही तय करना होगा कि उसका नेतृत्व कौन करेगा.’
गांधी ने कहा कि इस्तीफे के तुरंत के बाद उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा था कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक समूह बनाया जाए जो पार्टी के नए अध्यक्ष की खोज करें. इसमें उनका पूरा सहयोग रहेगा.
पत्र में काह है कि उनकी लड़ाई राजनीतिक शक्ति को हासिल करने की नहीं थी. उन्हें भाजपा से कोई नफरत नहीं है. उनके भारत को लेकर को विचार भाजपा की विचारधार से बिल्कुल अलग हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे देश और संविधान पर हमला हो रहा है. मैं किसी भी तरह से इस लड़ाई से पीछे नहीं हो रहा हूं. मैं कांग्रेस के सिपाही तरह देश की रक्षा के लिए अपनी अंतिम सांस तक लडूंगा. हमने अच्छा चुनाव लड़ा. हमारा प्रचार भाईचारे, सहिष्णुता और सभी धर्मों को साथ लेकर चलने वाला था.’
चुनाव में अपने मुद्दे का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा है, ‘मैंने खुद पीएम और संघ के खिलाफ लड़ाई लड़ी. मैं लड़ा क्योंकि मुझे भारत से प्रेम है. मैं उन आदर्शोंं के लिए लड़ा जिन पर भारत का निर्माण हुआ है. कई बार मैंने खुद को अकेला खड़ा पाया. इस लड़ाई को लड़ने के लिए मुझे खुद पर गर्व है.’
चुनाव की निष्पक्षता का जिक्र करते हुए कहा है कि देश में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव तभी संभव हैं जब देश की संस्थाएं निष्प्क्ष हों— स्वतंत्र प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और पारदर्शी चुनाव आयोग. कोई भी चुनाव स्वतंत्र नहीं हो सकता अगर एक पार्टी के पास वित्तीय संसाधनों का एकाधिकार हो. 2019 का चुनाव हम एक राजनीतिक दल से नहीं लड़े. हमने भारत के पूरे सिस्टम से लड़ाई लड़ी जिसे विपक्ष के खिलाफ खड़ा किया गया था.
आरएसएस खतरे का जिक्र करते हुए लिखा है कि देश की संस्थाओं पर कब्जे का आरएएसएस का ध्येय था, वह पूरा हुआ. हमारा लोकतंत्र कमजोर हो गया है. अब इस बात का खतरा है कि आगे होने वाले चुनाव महज औपचारिकता रहेंगे.
उन्होंने कहा कि सत्ता के हथियाने का नतीजा यह होगा भारतीयों को हिंसा और दर्द झेलना पड़ेगा. सबसे ज्यादा किसान, बेरोजगार युवा, आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों को भुगतना पड़ेगा. हमारी अर्थव्यवस्था और देश की साख पर इसका खतरनाक प्रभाव पड़ेगा. पीएम की जीत का मतलब यह नहीं है कि उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप गलत हैं.
भारत को एक ओर अपनी संस्थाओं पर फिर से कब्जा करना होगा. इस काम में कांग्रेस पार्टी मूल हथियार साबित होगी. यह करने के लिए कांग्रेस पार्टी को फिर से बदलना होगा.
गांधी ने कहा आज भाजपा भारतीय आवाम की आवाज दबा रही है. यह कांग्रेस पार्टी का कर्तव्य है कि वह लोगों की आवाज बचा कर रखे. भारत कभी भी एक स्वर में नहीं बोलता था न आगे बोलेगा. यहां हमेशा कई विचार एक साथ रहेंगे. भारत माता का यही मूल तत्व है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा झटका लगने के बाद राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में बने रहने से इंकार कर दिया है. उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया जिसे पार्टी ने अभी स्वीकार नहीं किया है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 542 सीटों में से महज 52 सीटें जीती थीं.