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Tuesday, 17 December, 2024
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’50 साल के युवा राहुल’, गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव बोले- ‘सराहनीय’

राय ने गांधी के 3,000 किमी पैदल चलने के प्रयासों की प्रशंसा की. बाद में, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई अमित शाह के लिए नहीं होती.

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लखनऊ: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में जारी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को सराहनीय करार देते हुए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बुधवार को कहा कि इस मौसम में 3,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने वाला ’50-वर्षीय युवक काबिले तारीफ है’.

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास द्वारा गांधी को लिखे गए पत्र के बारे में संवाददाताओं द्वारा पूछे जाने पर राय ने यह टिप्पणी की, जिसमें पुजारी ने पैदल मार्च के लिए कांग्रेस नेता को अपना आशीर्वाद दिया था. महंत ने यात्रा में शारीरिक रूप से शामिल होने में असमर्थता व्यक्त करते हुए पत्र में कहा था कि यह प्रयास ‘सर्वजन सुखाये, सर्वजन हिताय’ की दिशा में था.

महंत के पत्र के बारे में एक सवाल के जवाब में, राय ने अयोध्या में संवाददाताओं से कहा, ‘तो यह क्या है? एक नौजवान पैदल चलकर देश को समझने की कोशिश कर रहा है, ये काबिले तारीफ है. इसमें गलत क्या है? इसकी (यात्रा) आलोचना कौन कर रहा है? मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कार्यकर्ता हूं. क्या संघ में किसी ने कभी (यात्रा की) आलोचना की है? क्या प्रधानमंत्री साहब ने पदयात्रा की आलोचना की है?’

उनके प्रयासों के लिए वायनाड से कांग्रेस सांसद की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने आगे कहा, ‘इस सर्द मौसम में 50 वर्षीय एक युवक तीन हज़ार किलोमीटर पैदल यात्रा कर रहा है. इसलिए, हम उसकी सराहना कर रहे हैं.’

हालांकि, राय ने बुधवार को तीन दिवसीय उत्तर प्रदेश चरण में प्रवेश करने वाली यात्रा का स्वागत नहीं किया और पत्रकारों को देश को बेहतर ढंग से समझने के लिए पदयात्रा शुरू करने की सलाह दी.

उनकी इस बात पर टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर राय ने दिप्रिंट से कहा, ‘इसे वायरल होने दीजिए. मैं इन बातों से प्रभावित नहीं हूं. मैं समाचार चैनल नहीं देखता या समाचार पत्र नहीं पढ़ता. यदि मेरे नाम से समाचार पत्रों में कुछ छपता है तो मैं सब कुछ स्वीकार करता हूं. बात खत्म. आपको कुछ भी जानने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. आप इस पर विश्वास करें या न करें, यह आप पर निर्भर है, यह इसका अंत है.’


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‘अगर उनके आशीर्वाद के लिए नहीं’

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के उद्घाटन के बारे में पिछले सप्ताह शाह की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर राय ने बाद में बुधवार को सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए नहीं होती.

30 दिसंबर को कर्नाटक के मांड्या में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, शाह ने उपस्थित लोगों से 1 जनवरी 2024 को ‘भव्य राम मंदिर के भव्य उद्घाटन’ में भाग लेने के लिए अयोध्या के लिए अपने टिकट बुक करने को कहा था.

जब बुधवार को अयोध्या में पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या मंदिर के निर्माण में गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा ‘हस्तक्षेप’ किया गया है, तो राय ने चुटकी ली, ‘अरे…उनकी कृपा से, नहीं तो सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ही नहीं होती’.

‘तुम दखल कह रहे हो? देश का सम्मान के लिए काम करने वाला खून हैं वो.’

हालांकि, उन्होंने विस्तार से नहीं बताया, राय भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की सुप्रीम कोर्ट की पीठ द्वारा नवंबर 2019 के फैसले का जिक्र कर रहे थे, जिसने विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया था.

सरकार को मंदिर के निर्माण की निगरानी के लिए एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश देते हुए, पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक ‘प्रमुख स्थल’ पर मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए.

अयोध्या में राम मंदिर का ‘भव्य उद्घाटन’ 1 जनवरी 2024 को होगा या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए फिर से दबाव डालने पर, राय ने संवाददाताओं से कहा कि जब पुजारी ‘मुहूर्त’ का सुझाव देंगे, तब तिथि को अंतिम रूप दिया जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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