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Friday, 22 November, 2024
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राहुल ने सरकार से पूछे एक के बाद एक तीन सवाल, किस-किस पर हुआ पेगासस का इस्तेमाल, किसके पास गया डेटा

पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का राहुल गांधी ने स्वागत किया और कहा, बात राजनीति की नहीं है- ये देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर, जनता पर व आज़ादी पर हमला है.

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नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कथित पेगासस जासूसी प्रकरण की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन सदस्यीय समिति बनाने संबंधी फैसले को लेकर बुधवार को कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने इस प्रकरण में विपक्ष के रुख का समर्थन किया है तथा संसद के आगामी सत्र में इस पर चर्चा होनी चाहिए.

उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति एवं संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास किया गया.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा, ‘संसद के पिछले सत्र के दौरान हमने यह मुद्दा उठाया था क्योंकि हमें लगा कि यह हमारे संविधान और लोकतंत्र की बुनियाद पर हमला है. सुप्रीम कोर्ट ने हमारे रुख का समर्थन किया है…यह एक अच्छा कदम है.’

उन्होंने कहा, ‘मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का हम स्वागत करते हैं. बात राजनीति की नहीं है- ये देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर, जनता पर व आज़ादी पर हमला है. ये हमला करने का निर्देश सिर्फ़ दो ही लोग दे सकते हैं और जब सच सामने आएगा उनके पास कोई जवाब नहीं होगा.


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तीन सवाल

उन्होंने यह भी कहा, ‘हम जो कह रहे थे, सुप्रीम कोर्ट ने बुनियादी तौर पर उसका समर्थन किया है. हमारे तीन सवाल थे. पहला यह कि पेगासस को किसने खरीदा तथा इसे किसने अधिकृत किया?

दूसरा यह है कि किनके खिलाफ इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया?

तीसरा यह कि क्या किसी अन्य देश ने हमारे लोगों के बारे में सूचना हासिल की, उनका डेटा लिया?’

राहुल गांधी ने कहा, ‘इन सवालों का कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद हमने संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी. हमने संसद की कार्यवाही को इसलिए रोका क्योंकि यह हमारे देश और हमारे जीवंत लोकतंत्र को कुचलने एवं नष्ट करने का प्रयास है.’

उन्होंने यह आरोप भी लगाया, ‘यह भारत के विचार (आइडिया ऑफ इंडिया) पर हमला है. यह राजनीति पर नियंत्रण करने का प्रयास है. लोगों को ब्लैकमेल करने और उन्हें उनका काम नहीं करने देने का प्रयास है.’

एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा, ‘हम इस मामले को फिर से संसद में उठाएंगे और इस पर चर्चा कराने का प्रयास करेंगे. पता है कि भाजपा चर्चा नहीं चाहेगी. लेकिन हम इस पर चर्चा चाहेंगे. हम चाहेंगे कि संसद में इस पर चर्चा अवश्य हो.’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री या गृह मंत्री ने इसे अधिकृत किया है. इन दो ही लोगों ने यह किया होगा. (नितिन) गडकरी ने यह नहीं किया होगा. किसी अन्य मंत्री ने यह नहीं किया होगा. अगर प्रधानमंत्री ने दूसरे लोगों के साथ मिलकर हमारे देश पर आक्रमण किया है तो उन्हें जवाब देना होगा. हम जानना चाहेंगे कि उन्होंने गैरकानूनी काम क्यों किए? वह देश से ऊपर नहीं हैं.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘जो डेटा आ रहा था, वह क्या प्रधानमंत्री को मिल रहा था ? अगर चुनाव आयुक्त और विपक्षी नेताओं का डेटा प्रधानमंत्री के पास जाए तो फिर यह आपराधिक कृत्य है.’

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने इज़राइली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिए भारत में कुछ लोगों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को निजता के उल्लघंन से सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है और ‘सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा’ की दुहाई देने मात्र से न्यायालय ‘मूक दर्शक’ बना नहीं रह सकता.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया मौजूदा साक्ष्य ‘गौर करने योग्य प्रतीत होते हैं.’ पीठ ने केन्द्र का स्वयं विशेषज्ञ समिति गठित करने का अनुरोध यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि ऐसा करना पूर्वाग्रह के खिलाफ स्थापित न्यायिक सिद्धांत का उल्लंघन होगा.

शीर्ष अदालत ने अपने पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन से तीन सदस्यीय समिति के कामकाज की निगरानी करने का आग्रह किया और समिति से जल्द ही रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा.


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