नई दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि मानसून सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सरकार संसद में विधेयक लाए.
यह मांग ऐसे वक्त आई है जब श्रीनगर में राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है. जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अधिकार क्षेत्र को लेकर खुलकर टकरा रहे हैं — जबकि अब तक उनका रवैया अपेक्षाकृत शांत रहा था.
राहुल और खरगे द्वारा लिखे गए संयुक्त पत्र में कहा गया है, “पिछले पांच साल से जम्मू-कश्मीर की जनता लगातार राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रही है. यह मांग पूरी तरह वैध है और उनके संवैधानिक व लोकतांत्रिक अधिकारों पर आधारित है. इतिहास में पहले कई केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा दिया गया है, लेकिन स्वतंत्र भारत में जम्मू-कश्मीर जैसा मामला पहले कभी नहीं हुआ.”
90-सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 6 विधायक हैं और पार्टी जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है. हालांकि, हाल के समय में दोनों दलों के बीच संबंधों में तल्खी देखी गई है. उमर अब्दुल्ला ने ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर कांग्रेस के आरोपों और विपक्षी INDIA गठबंधन की कमज़ोर स्थिति पर नाराज़गी जताई थी.
सोमवार को जब कई विपक्षी दलों ने उमर अब्दुल्ला को 1931 में डोगरा सेना द्वारा मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने श्रीनगर के नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान जाने से रोकने के लिए एल-जी प्रशासन द्वारा बल प्रयोग की निंदा की, उस समय कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व चुप रहा.
हालांकि, कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष तारिक हामिद करा ने इस घटना की आलोचना की. राहुल और खरगे ने अपने पत्र में इस मामले का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि अगस्त 2019 में जब अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, तब उन्होंने राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया था.
तब से कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 पर संभलकर प्रतिक्रिया दी है — कभी इसे हटाने के तरीके की आलोचना की, तो कभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार के फैसले को सही ठहराने के बाद इस मुद्दे को बंद मान लिया.
हालांकि, राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पार्टी लगातार करती रही है, जिसे राहुल और खरगे ने दोहराया है.
उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह आश्वासन दिया था कि जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा.
राहुल और खरगे ने पत्र में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग भी रखी है, जिससे जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्तता और स्वशासन का अधिकार मिलता है (जैसा कि पूर्वोत्तर राज्यों में होता है).
उन्होंने कहा, “यह कदम लद्दाख के लोगों की सांस्कृतिक, विकासात्मक और राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में अहम होगा. इससे उनकी ज़मीन, पहचान और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी.”
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