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गुरूवार, 29 मई, 2025
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‘कट्टरपंथी और ट्रोल्स’: शशि थरूर ने सर्जिकल स्ट्राइक पर दिए बयान की आलोचना करने वालों को दिया जवाब

हालांकि कांग्रेस नेता ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट था कि उनकी टिप्पणी किसके लिए थी. आखिरकार, पार्टी के आलाकमान के करीबी साथियों ने ही उन पर निशाना साधा था.

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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता शशि थरूर और पार्टी नेतृत्व के बीच चल रही खींचतान गुरुवार को और तीखी हो गई, जब चार बार के लोकसभा सांसद ने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक पर अपने बयान की आलोचना करने वालों को “कट्टरपंथी” और “ट्रोल” कहकर खारिज कर दिया.

थरूर ने अपने एक्स पोस्ट में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा साफ था कि वे किसकी ओर इशारा कर रहे हैं. दरअसल, पार्टी हाईकमान के करीबी शीर्ष कांग्रेस नेता जैसे जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने बुधवार को थरूर पर हमला बोला था.

थरूर उन सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व कर रहे हैं जिन्हें केंद्र सरकार ने विभिन्न देशों में भारत का सीमा पार आतंकवाद पर रुख समझाने के लिए भेजा है। फिलहाल वे पनामा सिटी में हैं.

उन्होंने पनामा सिटी में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत 2016 में पहली बार भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर आतंकी अड्डे पर सर्जिकल स्ट्राइक की. इस बयान को लेकर जयराम रमेश, पवन खेड़ा समेत कई नेताओं ने उनकी आलोचना की.

कांग्रेस नेता उदित राज ने यहां तक कह दिया कि शशि थरूर को बीजेपी का प्रवक्ता बन जाना चाहिए. राज के इस बयान का समर्थन पवन खेड़ा और जयराम रमेश दोनों ने किया. इसी महीने की शुरुआत में खेड़ा और रमेश ने थरूर की आलोचना की थी, क्योंकि उन्होंने पार्टी नेतृत्व की सहमति के बिना केंद्र सरकार के बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व स्वीकार कर लिया था.

थरूर ने एक्स पर लिखा, “पनामा में एक लंबा और सफल दिन बिताने के बाद, अब मुझे आधी रात को काम खत्म करना है और छह घंटे में बोगोटा, कोलंबिया के लिए रवाना होना है, तो मेरे पास इसका समय नहीं है — लेकिन फिर भी: उन कट्टरपंथियों के लिए जो मेरे भारतीय सैनिकों की बहादुरी के बारे में जानकारी पर गुस्सा हो रहे हैं:

  1. मैं साफ तौर पर सिर्फ आतंकी हमलों के जवाब में की गई कार्रवाई की बात कर रहा था, न कि पहले हुए युद्धों की.
  2. मेरी बात से पहले हाल के वर्षों में हुए कई हमलों का ज़िक्र किया गया था, जिनके दौरान भारतीय जवाब संयमित और नियंत्रण रेखा (LoC) व अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) के प्रति हमारी जिम्मेदारी से सीमित थे. लेकिन हमेशा की तरह, आलोचक और ट्रोल मेरी बातों को जैसा चाहें, वैसे तोड़-मरोड़ सकते हैं। मेरे पास करने को और भी जरूरी काम हैं. शुभ रात्रि.”

थरूर ने यह जवाब पवन खेड़ा की उस पोस्ट पर दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस हमेशा यह मानती रही है कि यूपीए सरकार के समय, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब भी सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक की गई थीं.

खेड़ा ने एक खबर का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर, जो 2016 में विदेश सचिव थे, उन्होंने एक संसदीय समिति को बताया था कि “LoC के पार पहले भी सीमित, लक्ष्य-विशेष आतंकवाद विरोधी कार्रवाई पेशेवर तरीके से की गई हैं, लेकिन यह पहली बार था जब सरकार ने इसे सार्वजनिक किया.”

थरूर की एक्स पोस्ट के कुछ मिनट बाद, खेड़ा ने “द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर” किताब का एक अंश साझा किया, जिसे तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने लिखा है। इस किताब में थरूर ने बताया था कि कांग्रेस सरकार के दौरान कई सर्जिकल स्ट्राइक की अनुमति दी गई थी, लेकिन उसे राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया.

खेड़ा ने उस अंश के साथ लिखा, “मैं उस डॉ. शशि थरूर से सहमत हूं जिन्होंने 2018 में अपनी किताब में सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में लिखा था.”

शशि थरूर ने अपनी किताब में लिखा, “2016 में पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (LoC) पर की गई ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और म्यांमार में विद्रोहियों के पीछे की गई सैन्य कार्रवाई का बेशर्मी से चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया — जो कांग्रेस ने कभी नहीं किया, जबकि उसने पहले भी कई सर्जिकल स्ट्राइक की मंजूरी दी थी — यह बात बहुत शर्मनाक थी क्योंकि यह उस सिद्धांत को कमजोर करती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में गोपनीयता और गैर-राजनीतिक रवैया जरूरी होता है.”

पनामा सिटी में एक सभा को संबोधित करते हुए थरूर ने कहा कि 2016 में “पहली बार भारत ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा को पार कर एक आतंकवादी ठिकाने पर सर्जिकल स्ट्राइक की.”

“यहां तक कि कारगिल युद्ध के दौरान भी हमने एलओसी पार नहीं की थी, लेकिन उरी हमले में हमने किया. फिर पुलवामा में हमला हुआ… इस बार हमने सिर्फ एलओसी ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा भी पार की और बालाकोट में आतंकवादी मुख्यालय को निशाना बनाया.

उन्होंने कहा, “इस बार हमने न केवल एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार हमला किया, बल्कि पाकिस्तान के पंजाबी इलाके को भी निशाना बनाया, जहां आतंकवादियों के ठिकाने, ट्रेनिंग सेंटर और मुख्यालय थे. ये हमले पाकिस्तान के पंजाब और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के नौ स्थानों पर किए गए. और मैं आपसे कहना चाहता हूं कि अब यह नया तरीका बन गया है. प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर जरूरी था क्योंकि ये आतंकवादी आए और 26 महिलाओं के माथे से सिंदूर मिटा दिया.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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