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Monday, 18 November, 2024
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कोटा आंदोलन अब बेअसर, पाटीदारों को लुभा रहा EWS, फिर भी सौराष्ट्र में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है BJP

गुजरात की कुल 182 सीटों में से 48 सौराष्ट्र क्षेत्र में ही आती हैं, और काफी प्रभावशाली माने वाले इस समुदाय की एक बड़ी आबादी यहीं रहती है. कोटा आंदोलन के कारण भाजपा की सीटों की संख्या 2012 में 30 से घटकर 2017 में 19 ही रह गई थी.

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राजकोट: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा है कि 2017 के पाटीदार कोटा आंदोलन को एक लंबा समय बीत चुका है और माना जा रहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण के केंद्र के फैसले ने गुजरात में भाजपा के प्रति प्रभावशाली पाटीदार समुदाय की भावनाओं को काफी हद तक बदल दिया है, इसके बावजूद पार्टी सौराष्ट्र क्षेत्र में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

उन्होंने कहा कि वो क्षेत्र, जहां अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ एक बड़ी आबादी इस समुदाय की है, वहां इस चुनाव में यह निर्णायक फैक्टर साबित हो सकता है.

गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को दो चरणों में वोट डाले जाने हैं. वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी. कुल 182 सीटों में से 48 सौराष्ट्र में हैं.

पहले चरण के मतदान के लिए मंगलवार को प्रचार थम चुका है. और इसमें सौराष्ट्र क्षेत्र सहित 19 जिलों की 89 सीटों के लिए 788 उम्मीदवार मैदान में हैं.

2017 में पाटीदार आंदोलन ने इस समुदाय को भाजपा से दूर कर दिया और क्षेत्र में पार्टी के वर्चस्व में खासी गिरावट आई. सत्तारूढ़ पार्टी 2017 में सौराष्ट्र में 2012 में 30 के मुकाबले केवल 19 सीटें जीत पाई थी. इसके विपरीत, कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या 15 से बढ़ाकर 28 कर ली थी. यही वजह है कि भाजपा राज्य में कुल 99 सीटों पर सिमट गई थी, जो आंकड़ा 1995 के बाद से सबसे कम था.


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सौराष्ट्र पर भाजपा की रणनीति

सौराष्ट्र का दिल माने जाने वाले राजकोट में वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि, 2017 के बाद से जमीनी स्थिति बदल चुकी है, लेकिन पार्टी यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही कि भाजपा अपने पारंपरिक गढ़ में फिर शीर्ष पर काबिज हो सके.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वल्लभभाई कथीरिया ने दिप्रिंट को बताया, ‘पीएम नरेंद्र मोदी नवंबर में ही राजकोट सहित सौराष्ट्र में चार बार प्रचार कर चुके हैं. इससे स्पष्ट है कि पाटीदारों के समर्थन के बावजूद हम सौराष्ट्र को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं.’

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, गुजरात की कुल 6 करोड़ की आबादी में पाटीदारों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ है और माना जाता है कि ये कुल 182 सीटों में से 65-70 पर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं.

राजकोट दक्षिण—राजकोट की चार सीटों में से एक, जहां पाटीदार समुदाय का दबदबा है—में भाजपा ने पहली बार मैदान में उतरे उद्योगपति रमेश तिलारा को अपना प्रत्याशी बनाया है. जो श्री खोडलधाम ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं. इस ट्रस्ट का पाटीदारों खासकर लेउवा पटेल (पाटीदार समुदाय की दो उपजातियों में से एक, दूसरी कडवा पटेल है) पर गहरा प्रभाव है.

ट्रस्ट ने राजकोट के कागवड़ गांव में लेउवा पटेलों की अधिष्ठात्री देवी खोडल माता का मंदिर बनवाया है.

मौजूदा विधायक गोविंद भाई पटेल को टिकट नहीं दिए जाने के बाद तिलारा को मैदान में उतारा गया. भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘तिलारा को मैदान में उतारने से निश्चित तौर पर यह संदेश जाएगा कि श्री खोडलधाम मंदिर ट्रस्ट हमारे पीछे है, हालांकि ट्रस्ट खुद को राजनीति से दूर ही रखता है.’

पदाधिकारी ने यह भी माना कि मौजूदा विधायक गोविंद भाई पटेल और पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को हटाकर नए चेहरों को टिकट दिए जाने से राजकोट दक्षिण और पश्चिम सहित कुछ सीटों पर भाजपा कार्यकर्ताओं के एक वर्ग में नाराजगी है. लेकिन पार्टी पदाधिकारी को लगता है कि भाजपा के खिलाफ एंटी-इन्कम्बेंसी को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी था.

भाजपा के एक दूसरे नेता ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए पर्दे के पीछे सक्रिय हैं कि यह असंतुष्ट खेमा पार्टी का खेल बिगाड़ न पाए.’

तिलारा ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि 2017 में पटेल युवा पाटीदार आरक्षण आंदोलन का हिस्सा बन गए थे. उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, सरकार ने सक्रिय पहल की और पाटीदारों की नाराजगी दूर कर दी. यहां तक कि पटेल बुजुर्गों ने भी युवाओं को आंदोलन से पीछे हटने के लिए मनाने की कोशिश की.’

तिलारा का मानना है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर केंद्र के फैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निश्चित तौर पर भाजपा के प्रति पटेल समुदाय का नजरिया बदलेगा. उन्होंने कहा, ‘वैसे फैसले से पहले ही उनकी नाराजगी दूर हो गई थी. इसके अलावा पाटीदार आंदोलन के साथ उभरे युवा चेहरे हार्दिक पटेल भी अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं, इससे पार्टी के प्रति उन लोगों का नजरिया बदलने में भी मदद मिली है जो आंदोलन खत्म होने के बाद भी अपनी स्पष्ट राय नहीं बना पा रहे थे.

त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस का वोट बैंक आप के निशाने पर

सौराष्ट्र की कई सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला तय माना जा रहा है.

लेकिन कांग्रेस नेता इस बात पर कोई कयास लगाने से कतरा रहे हैं कि आप की वजह से किसको और कितना नुकसान होगा.

गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हेमांग वासवदा ने कहा कि हालांकि इस स्तर पर यह बताना मुश्किल है कि आप आखिरकार किसका वोट काटेगी, केजरीवाल की पार्टी मुख्यत: कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक रहे दो वर्गों पर अपनी नजरें टिका रखी हैं—निम्न मध्यम वर्ग और गरीब.

राजकोट से ही आने वाले वासवदा का कहना है, ‘वे (आप) सीटें नहीं जीत सकते हैं लेकिन वोट काटेंगे. और यही निर्णायक फैक्टर साबित होगा. 2017 में 182 सीटों में से 26 में जीत का अंतर 3,000 वोटों से कम था. ऐसी सीटों पर आप सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी.’

कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़कर भाजपा और आप में चले जाने के अलावा केंद्रीय नेतृत्व के चुनाव प्रचार में नहीं उतरने की वजह से भी पार्टी के कार्यकर्ता निरुत्साहित हैं. हालांकि, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते राजकोट में एक रैली को संबोधित किया था, लेकिन जमीनी स्तर पर पार्टी पदाधिकारियों को लगता है कि इसमें काफी देरी हुई और यह नाकाफी भी है.

राज्य के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘2017 में हमने सौराष्ट्र क्षेत्र की 48 में से 28 सीटें जीती थी. लेकिन इस बार यह प्रदर्शन दोहराना वास्तव में कठिन है.’

इस बीच, आप नेताओं ने बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के समूह के साथ प्रचार अभियान चला रखा है.

आप के टिकट पर राजकोट पूर्व से चुनाव लड़ रहे राहुल भुवा हर सुबह व्यस्त पारेवड़ी चौक जाते हैं और करीब दर्जनभर समर्थकों के साथ अपना प्रचार करते हैं. वह अपनी कारों, बाइक या बसों से चौराहा क्रास करने वालों का अभिवादन करते हैं. लाउडस्पीकर और आप के बैनरों से सजा एक ऑटो रिक्शा चौराहे से कुछ दूरी पर खड़ा है, जिस पर रुक-रुक कर पार्टी के चुनावी गीत बज रहे हैं और लोगों को भुवा को वोट देने की अपील की जा रही है.

रविवार सुबह राजकोट के एक चौराहे पर दिप्रिंट से बातचीत में भुवा ने कहा, ‘हम मानते हैं कि लोग बदलाव चाहते हैं, लोग युवा और शिक्षित नेता चाहते हैं. आम आदमी पार्टी एक ऐसी ही पार्टी है. हमारे पास पैसे या संसाधन भले ही न हों, लेकिन हमारे इरादे नेक हैं.’

उन्होंने कहा कि आप ने अपने मुख्य चुनावी वादों में मुफ्त बिजली, बेहतर शिक्षा प्रणाली और अस्पताल सुविधाओं पर फोकस किया है. साथ ही जोड़ा, ‘और, हमें विश्वास है कि, लोग हमें एक मौका देंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः रावी द्विवेदी)


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