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Thursday, 2 May, 2024
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‘पुराना आदमी है, और सयाना भी’ — छिंदवाड़ा में चमक रहा है कमलनाथ का सितारा

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम कमल नाथ की छिंदवाड़ा पर चार दशकों से मजबूत पकड़ रही है. निवासियों के अनुसार, जिले के विकास का अधिकांश श्रेय उन्हीं को जाता है.

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छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर, स्टारटेक कॉल सेंटर के कार्यालय वाली शानदार कांच की इमारत की चमकदार रोशनी वाली लॉबी में 41-वर्षीया सरिता सारणपुर एक आलीशान कुर्सी पर बैठी हैं. उनके पीछे, दो आदमी व्हाइट बोर्ड लगा रहे हैं जिसमें कंपनी के ग्लोबल नेटवर्क को दर्शाने वाला एक नक्शा है — उत्तरी अमेरिका में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा से लेकर एशिया प्रशांत में भारत, श्रीलंका, मलेशिया और फिलीपींस तक.

एक बच्चे की मां, सरिता 2014 से स्टारटेक में काम कर रही हैं और अपना ज्यादातक समय भारतीय दूरसंचार प्रमुख, भारती एयरटेल लिमिटेड के ग्राहकों से कॉल करने में बिताती हैं.

फूलों की डिज़ाइन वाली शालीन सूती सलवार कमीज़ पहने हुए उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “काम पर आना-जाना आसान है और काम का माहौल और सैलरी अच्छे हैं.”

स्टारटेक, वो कॉल सेंटर जहां सरिता काम करती हैं, उसके पूरे भारत में 17 जगहों पर ऑफिस हैं और इसमें 20,000 से अधिक लोग काम करते हैं. उन स्थानों में से एक छिंदवाड़ा है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार 190,008 की आबादी वाला टियर-3 शहर है.

The Startek call centre in Chhindwara | By special arrangement
छिंदवाड़ा में स्टारटेक कॉल सेंटर का ऑफिस | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

छिंदवाड़ा में स्टारटेक का प्रबंधन करने वाले अनुराग हेरोल्ड के अनुसार, यह कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की वजह से था कि कॉल सेंटर का पहली बार 2012 में जिले में परिचालन शुरू हुआ जब वे अभी भी केंद्रीय मंत्री थे.

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छिंदवाड़ा, चार दशकों से अधिक समय तक कमलनाथ का गढ़ रहा — 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान हो रहा है और यह पूर्व केंद्रीय मंत्री नहीं बल्कि उनके बेटे और मौजूदा सांसद नकुल हैं जो भाजपा के विवेक बंटी साहू के खिलाफ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

Congress leader Kamal Nath addressing a public meeting | By special arrangement
एक रैली के दौरान कांग्रेस नेता कमल नाथ | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

लेकिन जहां तक अधिकांश मतदाताओं — जिनमें सरिता भी शामिल हैं — का सवाल है, उनका वोट अभी भी कमलनाथ के लिए आरक्षित है, जो 2018 से 2023 तक राज्य कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष भी रहे हैं.

उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार आज राज्य में महिलाओं को (मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के तहत) 1,250 रुपये दे रही है, लेकिन इस नौकरी ने पिछले 10 साल से मेरे परिवार को स्थिरता दी है. कमलनाथ जी ने हमारे लिए और छिंदवाड़ा के लिए जो काम किया है, वो अलग है.”


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पायलट योजनाओं, कौशल विकास केंद्रों का परिचय

1980 में कमल नाथ ने अपना पहला लोकसभा चुनाव छिंदवाड़ा से लड़ा, जो तब भी कांग्रेस का गढ़ था. उस चुनाव के दौरान उनका परिचय देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मतदाताओं से कहा था: “वे मेरे तीसरे बेटे हैं, कृपया उनका ख्याल रखें.”

छिंदवाड़ा ने तब से नाथ का गढ़ होने की प्रतिष्ठा हासिल की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने तीन को छोड़कर लगातार हर लोकसभा में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है — 1996 में जब उनकी पत्नी अलका इस सीट से चुनी गईं, 1997 में, जब भाजपा के दिग्गज नेता सुंदर लाल पटवा ने उन्हें हराया था और 2019 में जब बेटे नकुल ने कांग्रेस के लिए सीट जीती.

A view of Confederation of Indian Industry's skill development centre in Chhindwara | Iram Siddique | ThePrint
छिंदवाड़ा में भारतीय उद्योग परिसंघ का कौशल विकास केंद्र | फोटो: इरम सिद्दीकी/दिप्रिंट

2004 में यूपीए के सत्ता में आने के बाद नाथ ने विभिन्न महत्वपूर्ण विभाग संभाले हैं. 2004 से 2009 तक वे केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री (2009-11), शहरी मामलों के मंत्री (2011-14) और बाद में (2012-14) संसदीय मामलों के मंत्री रहे.

2012 में संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री के पद पर वे यूपीए के संकटमोचक बन गए. उन्होंने यूपीए को एक महत्वपूर्ण बहस जीतने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने उन्हें बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने की अनुमति दी.

इन वर्षों के दौरान, छिंदवाड़ा एक शांत और साधारण शहर से व्यापक सड़क और रेल नेटवर्क और एक मॉडल रेलवे स्टेशन के साथ उद्योगों के केंद्र में बदल गया, जिसने दिल्ली और भोपाल को महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान की.

नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, इस शहर का अधिकतर श्रेय नाथ को जाता है. उन्होंने कहा, “यूपीए के सत्ता में आने के साथ, नाथ ने केंद्र में दो लोगों को तैनात किया, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सभी पायलट सरकारी योजनाएं सबसे पहले छिंदवाड़ा में लागू हों.”

Congress leader Kamal Nath inaugurating Startek in Chhindwara | By special arrangement
छिंदवाड़ा में स्टारटेक का उद्घाटन करते कांग्रेस नेता कमल नाथ | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

नाथ ने व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान (एफडीडीआई), परिधान प्रशिक्षण और डिजाइन केंद्र (एटीडीसी), और आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम जैसे विभिन्न कौशल विकास केंद्रों की स्थापना में भी मदद की.

छिंदवाड़ा में सोनी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के प्रभारी मनोज सोनी ने कहा, “ये केंद्र युवाओं को कैंपस प्लेसमेंट की तैयारी में मदद करने के लिए टीसीएस, एचसीएल और इंफोसिस जैसे आईटी दिग्गजों के साथ भी सहयोग करते हैं.”

उद्योग निकाय भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के स्थानीय कार्यालय में एक प्रशिक्षण केंद्र का प्रबंधन करने वाले शिवगोपाल के अनुसार, इन पहलों से न केवल 36.82 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) वाले छिंदवाड़ा को, बल्कि आसपास के आदिवासी जिलों बालाघाट, सिवनी, मंडला और डिंडोरी को भी मदद मिली. उन्होंने कहा, कई आदिवासी छात्र कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए छिंदवाड़ा आते हैं.

स्टारटेक के हेरोल्ड ने कहा, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले ऐसे कई युवा पुरुष और महिलाएं 50 किमी दूर से छिंदवाड़ा तक यात्रा करते हैं.


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‘जिला बनाने में की मदद’

2019 के आम चुनाव में भाजपा ने मध्य प्रदेश में राज्य की 29 संसदीय सीटों में से 28 पर जीत हासिल की. हालांकि, छिंदवाड़ा कांग्रेस के साथ मजबूती से बना रहा, नाथ के बेटे नकुल ने भाजपा के आदिवासी चेहरे नाथनशाह कावरेती के खिलाफ 37,536 वोटों के अंतर से सीट जीती.

2019 के उपचुनाव में भी कमल नाथ ने भाजपा के विवेक साहू को 24,612 वोटों से हराकर छिंदवाड़ा विधानसभा सीट जीती.

इस बीच, कांग्रेस में उथल-पुथल जारी रही. 2020 में नाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में बनी कांग्रेस सरकार वर्तमान में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में विद्रोह के कारण गिर गई थी. दिसंबर 2023 में कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर के बावजूद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हटाने में विफल रही, जिसके कारण भाजपा में दलबदल की घटनाएं हुईं और अंततः नाथ को राज्य पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा. पार्टी छोड़ने वालों में प्रमुख नाथ के वफादार और छिंदवाड़ा के पूर्व विधायक दीपक सक्सेना थे, जिन्होंने अपने चुनाव के लिए रास्ता बनाने के लिए 2019 में विधानसभा सीट खाली कर दी थी.

ऐसी भी चर्चाएं थीं कि राज्य कांग्रेस इकाई के भीतर बढ़ती अशांति का सामना कर रहे नाथ खुद भाजपा में चले जाएंगे, हालांकि उन्होंने अंततः इसे अफवाह बताकर खारिज कर दिया.

हालांकि, इन असफलताओं के बावजूद, ज़मीन पर नाथ के लिए समर्थन मजबूत बना हुआ है, कुछ लोग पार्टी से दलबदल को विश्वासघात के रूप में भी देख रहे हैं.

छिंदवाड़ा में एक फर्नीचर की दुकान के मालिक 64-वर्षीया राजगेरे गोस्वामी का मानना है कि यह निर्वाचन क्षेत्र नाथ का बहुत आभारी है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “जो राजा है उसको राजा बोलेंगे, जो प्रजा है वो प्रजा है.”

गोस्वामी ने कहा, “शिवराज (पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान) 20 साल तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन छिंदवाड़ा के आसपास कोई विकास नहीं हुआ. जब यहां सड़कें नहीं थीं तो कमल नाथ यहां आए और अपने प्रयासों से इस जिले का निर्माण करवाया.”

भाजपा नेताओं के पास भी नाथ की प्रशंसा के शब्द हैं. शहर के ओल्ड पावर हाउस इलाके में भाजपा नेता आलोक शर्मा प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता प्रतुल चंद्र द्विवेदी की एक मूर्ति की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि यह नाथ ही थे जिन्होंने 1980 के दशक में इसे स्थापित करवाया था. द्विवेदी ने 1980 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहे.

शर्मा ने कहा, “कमलनाथ जी प्रतुल चंद्र द्विवेदी को मानते थे और जब द्विवेदी जी बीमार पड़े तो कमल नाथ ने ही उनका इलाज करवाया. द्विवेदी के निधन के बाद, जब लोगों ने एक मूर्ति की मांग की, तो उन्होंने (नाथ) राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से ऊपर उठकर इसकी स्थापना कराई.”

दूसरों की तरह शर्मा भी निर्वाचन क्षेत्र के अधिकांश विकास का श्रेय नाथ को देते हैं, लेकिन उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर जिले में आदिवासियों को ‘बरगलाने’ के लिए अपने रसूख और पैसे का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया. शर्मा ने कहा, “अब उन्होंने अपने बेटे नकुलनाथ को आगे कर वंशवाद की राजनीति को रास्ता दे दिया है.” उन्होंने कहा कि बीजेपी के उम्मीदवार विवेक साहू चुनाव जीतेंगे.

कांग्रेस की घटती लोकप्रियता से कमलनाथ प्रभावित?

छिंदवाड़ा में भाजपा के विवेक साहू वोट मांगने के लिए रैलियां और घर-घर अभियान चलाकर कमल नाथ के गढ़ पर कब्ज़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

भाजपा की छिंदवाड़ा इकाई के प्रमुख, साहू ने 2011 में पार्टी की युवा शाखा, भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपना करियर शुरू किया.

यह तीसरी बार है जब साहू नाथ परिवार के खिलाफ आमने-सामने हैं, इससे पहले दो बार पूर्व मुख्यमंत्री — 2019 छिंदवाड़ा विधानसभा उपचुनाव और 2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में असफल रहे थे.

छिंदवाड़ा शहर के बाहरी इलाके खापा मीठी गांव में साहू महिलाओं का अभिवादन करने के लिए अपनी कार रोकते हैं. उनके जाने के बाद, इनमें से एक महिला, प्रीति उसरेके, ने दिप्रिंट को बताया कि वे भाजपा को वोट देंगी क्योंकि मोदी ने “राम मंदिर का निर्माण करवाया है”.

वे आगे कहती हैं, “हम झूठ क्यों बोलें, यह सच है कि कमल नाथ ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है. मेरे परिवार के एक सदस्य को दुबई में नौकरी मिल गई.”

वे अकेली नहीं है. एक अन्य ग्रामीण ने भी पहचान ज़ाहिर न करने की शर्त पर बताया कि उनका वोट भी इस बार बीजेपी को जाएगा. उन्होंने पूछा, “जब भाजपा केंद्र में है तो कांग्रेस को वोट देने का क्या मतलब है? धारा के विपरीत क्यों जाएं?”

दो घर दूर, भाजपा कार्यकर्ता मोहन बाबरकर इन बयानों को सावधानी से देख रहे हैं. उन्होंने कहा, “हमें हमेशा लगता है कि लोग यहां भाजपा को वोट देंगे. वे आते हैं और कसम भी खाते हैं कि वे ऐसा करेंगे, लेकिन जब परिणाम घोषित होते हैं, तो हम लगभग 30 वोटों से हार जाते हैं.”

हालांकि, उन्होंने कहा, “इस बार कुछ अलग महसूस हो रहा है”.

छिंदवाड़ा में 63-वर्षीय चंदलाला चांडक इससे सहमत हैं. उनका कहना है कि कमज़ोर होती कांग्रेस के कारण नाथ अपना जनाधार खो रहे हैं.

चांडक ने कहा, “अगर कांग्रेस एक पेड़ है, तो कमल नाथ एक पेड़ की एक शाखा हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र के लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन जब पेड़ कमज़ोर हो गया है, तो शाखा कितनी दूर तक जाएगी?”

इन विभिन्न मतों के बावजूद, नाथ का क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव बना हुआ है.

सरना गांव में, जहां पूर्व मुख्यमंत्री ने पिछले हफ्ते एक रोड शो किया था, जनरल स्टोर चलाने वाले शेख करीम ने इस बात की आलोचना की कि नाथ ने इस साल की शुरुआत में पार्टी में दलबदल को कैसे संभाला, लेकिन करीम का मानना है कि इसका “मतदान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा”.

उन्होंने कहा, “जो लोग कांग्रेस को वोट देते हैं, वे उसे वोट देते रहेंगे.”

राज्य कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि शहरी क्षेत्रों में भले ही भाजपा को समर्थन प्राप्त है, लेकिन निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में लोग नाथ का समर्थन कर रहे हैं.

ये भावनाएं ज़मीन पर जब-तब देखी जा सकती हैं. चवलपानी गांव में, जहां आदिवासियों की आबादी में बड़ी हिस्सेदारी है, अमित सराटे पानी की गंभीर कमी के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि स्थानीय विधायक कमल नाथ से बार-बार शिकायत करने पर कोई नतीजा नहीं निकला, लेकिन उनसे पूछने पर कि वे किसे वोट देंगे तो सराटे की प्रतिक्रिया त्वरित है.

उन्होंने कहा, “ये वोट सिर्फ हमारे गांव के विकास के बारे में नहीं हैं बल्कि पूरे जिले के विकास के लिए हैं. जिले भर में जबरदस्त विकास हुआ है और हम केवल उन्हें (कमलनाथ को) वोट देंगे.” उनके चाचा शुक्रराम विश्वकर्मा चिल्लाते हैं: “ये पुराना आदमी है और सयाना भी है”.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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