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Friday, 19 September, 2025
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5 साल के मासूम की रेप-मर्डर वारदात ने पंजाब में बढ़ाई ‘पंजाबी बनाम प्रवासी’ की खाई

होशियारपुर की पंचायतों ने प्रस्ताव पास कर प्रवासी मज़दूरों को गांव की बाहरी सीमाओं पर बसने को कहा है. पंजाब के कई इलाकों में पंजाबी और ‘प्रवासियों’ के बीच झड़पों की भी खबरें आई हैं.

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चंडीगढ़: पंजाब में पिछले हफ्ते होशियारपुर में एक प्रवासी मज़दूर द्वारा पांच साल के बच्चे के साथ रेप-मर्डर की वारदात के बाद ‘पंजाबी बनाम प्रवासी’ विवाद और भड़क गया है.

जैसे ही वारदात की खबर फैली और बच्चे के माता-पिता ने आरोपी को सार्वजनिक फांसी देने की मांग की और पूरे राज्य में न्याय के लिए विरोध मार्च निकाले गए. कई जिलों में प्रदर्शनकारियों ने “प्रवासी भगाओ, पंजाब बचाओ” के नारे लगाए. इन प्रदर्शनों को कई निहंग संगठनों का भी समर्थन मिला.

होशियारपुर, बठिंडा और बरनाला की कम से कम 40 पंचायतों ने इस हफ्ते प्रस्ताव पास किए, जिनमें कहा गया कि बाहर से आए मज़दूर—ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार से पंचायत क्षेत्र की बाहरी सीमा पर रहेंगे. कुछ प्रस्तावों में ये भी कहा गया कि प्रवासियों को गांव के पते पर वोटर कार्ड, आधार कार्ड बनाने या केवल पंजाब निवासियों के लिए बने सरकारी लाभ लेने की अनुमति न दी जाए.

तनाव बढ़ने पर होशियारपुर, बठिंडा, समराला, आनंदपुर साहिब, सुल्तानपुर लोदी, कपूरथला और बलाचौर की सब्ज़ी मंडियों में स्थानीय लोगों और प्रवासी मज़दूरों के बीच झड़पों की खबरें आईं. हालात बिगड़ने से बचाने के लिए पुलिस चौकसी बरत रही है. बुधवार को कपूरथला, बठिंडा और पठानकोट में पुलिस ने फ्लैग मार्च किया ताकि लोगों को सुरक्षा का एहसास दिलाया जा सके.

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मुद्दे पर सतर्क रुख अपनाया है.

उन्होंने कहा, “प्रवासियों के खिलाफ विरोध केवल यहां ही नहीं, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी हो रहे हैं. स्थानीय लोग मानते हैं कि उनकी नौकरियां बाहरी लोग, जिनमें पंजाबी भी शामिल हैं, ले रहे हैं.”

मान ने आगे कहा, “होशियारपुर मामले में कानून अपना काम करेगा और आरोपी को कड़ी सज़ा मिलेगी, लेकिन हम कैसे कह सकते हैं कि लोग यहां न रहें? हमारे कितने ही पंजाबी देश के दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं. अगर कल वहां उनसे कहा जाए कि वो निकल जाएं तो?”

हज़ारों प्रवासी मज़दूर—खासकर यूपी और बिहार से आए पंजाब के खेतों और फैक्ट्रियों में काम करते हैं. इसी वजह से ‘पंजाबी बनाम प्रवासी’ मुद्दा दशकों से पंजाब की राजनीति में गर्माया हुआ है.

लेकिन जैसे-जैसे ये खाई गहरी हो रही है, आम आदमी पार्टी की सरकार मुश्किल में फंस रही है. एक तरफ उसे पंजाबी पहचान की रक्षा करते दिखना है, दूसरी तरफ वह प्रवासी मज़दूरों को नाराज़ भी नहीं कर सकती, जो राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं.

यह मुद्दा अब बड़ा राजनीतिक विवाद बनता दिख रहा है. विपक्षी नेताओं ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे कानून की मांग फिर दोहराई है, जिसमें प्रवासियों को ज़मीन खरीदने, वोटर बनने या सरकारी नौकरी पाने से रोका गया है.

कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा, जो लगातार प्रवासियों के खिलाफ “सुरक्षात्मक प्रावधानों” की मांग करते रहे हैं, उन्होंने कहा कि होशियारपुर की घटना ने ये साफ कर दिया है कि पंजाब में गैर-पंजाबियों का लगातार आना और बसना राज्य की जनसांख्यिकी को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है.

प्रेस को दिए एक बयान में उन्होंने कहा कि पंजाब को तुरंत हिमाचल और उत्तराखंड जैसे कानून की ज़रूरत है. उन्होंने बताया कि जनवरी 2023 में वह पहले ही पंजाब विधानसभा के स्पीकर को प्राइवेट मेंबर बिल सौंप चुके हैं. खैरा ने मांग की कि AAP सरकार और सीएम भगवंत मान तुरंत यह बिल पेश और पास करें, ताकि पंजाब की पहचान को बचाया जा सके.

पिछले महीने शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने बाबा बकाला की एक सभा में इसी मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि अगर अकाली सत्ता में आए, तो सरकारी नौकरियां सिर्फ पंजाबी युवाओं को मिलेंगी और नई कंपनियों में 80% पंजाबी भर्ती को अनिवार्य बनाया जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि प्रवासियों को पंजाब में ज़मीन खरीदने से रोका जाएगा.

‘सहजीवी रिश्ता’

हालांकि, विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि पंचायतों द्वारा पारित प्रस्ताव असंवैधानिक हैं और किसी भी तरह का चरमपंथ न सिर्फ आर्थिक नुकसान करेगा बल्कि राज्य में कानून-व्यवस्था की बड़ी समस्या भी खड़ी करेगा.

डीएवी कॉलेज, सेक्टर 10, चंडीगढ़ के पॉलिटिकल साइंस विभाग की डॉ. कंवलप्रीत कौर ने कहा, “पंजाब का यूपी और बिहार से आए मज़दूरों के साथ ऐतिहासिक और गहराई से जुड़ा सहजीवी रिश्ता है. पंजाब उनके बिना चल ही नहीं सकता और प्रवासी भी पंजाब से बहुत लाभान्वित हुए हैं. यह दोनों तरफ के लिए फायदेमंद स्थिति रही है और यही वजह है कि यह दशकों से चला आ रहा है.”

उन्होंने आगे कहा, “सारे मज़दूरों को यूपी-बिहार वापस भेजने की मांग गुस्से और उस बच्चे की घटना से हुए दुख की वजह से आया एक चरम कदम है. यह प्रतिक्रिया समझ में आती है, लेकिन व्यावहारिक नहीं है. असल में मज़दूरों के पंजाब में आने से पहले उनकी पृष्ठभूमि की जांच प्रणाली को मज़बूत करने की ज़रूरत है. राज्य को अपराधियों के लिए सुरक्षित ठिकाना नहीं बनने देना चाहिए, जिनका बैकग्राउंड संदिग्ध है, उन्हें ज़रूर वापस भेजा जाना चाहिए.”

डॉ. कौर ने यह भी कहा कि नेताओं को “बिना जांच किए बड़े पैमाने पर वोटर और आधार कार्ड बनवाना बंद करना होगा.” उनके मुताबिक, “शहरों में प्रवासियों को नेताओं द्वारा स्थायी रूप से बसने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि उन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जा सके.”

होशियारपुर की घटना

पुलिस के मुताबिक, यह विवाद 9 सितंबर को होशियारपुर के एक गुरुद्वारे के बाहर से 5 साल के बच्चे के कथित अपहरण से शुरू हुआ. आरोपी नांके, जो एक दुकान पर हेल्पर था, नशे की हालत में बच्चे को उठा ले गया और उसके साथ रेप व हत्या कर दी. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपी को कुछ ही घंटों में गिरफ्तार कर लिया. फुटेज में नांके को दोपहिया वाहन पर बच्चे को गुरुद्वारे से उठाकर ले जाते हुए देखा गया था. पुलिस का कहना है कि आरोपी ने बच्चे का शव श्मशान घाट में फेंक दिया.

जलंधर रेंज के डीआईजी नवीन सिंगला ने दिप्रिंट को पुष्टि करते हुए कहा, “सीसीटीवी फुटेज में उस दोपहिया वाहन का नंबर साफ दिखा जिस पर बच्चे को उठाकर ले जाया गया था.”

उन्होंने आगे बताया, “जैसे ही मामला पुलिस को रिपोर्ट किया गया, अपहरणकर्ता को कुछ ही घंटों में पकड़ लिया गया, लेकिन तब तक वह बच्चे की हत्या कर चुका था. फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार, अपहरण के आधे घंटे के भीतर ही बच्चे को मार दिया गया था.”

पीड़ित परिवार छह महीने पहले ही होशियारपुर शहर के दीप नगर इलाके में आकर रहने लगा था. माता-पिता दोनों छोटे-मोटे काम करते थे. उनके दो बच्चे—एक बड़ी बेटी और बेटा हर रोज़ गुरुद्वारे जाते थे, जब तक कि माता-पिता काम से वापस नहीं लौट आते.

जैसे ही इस निर्मम घटना की खबर फैली और बच्चे का शव बरामद हुआ, उस कॉलोनी के गुस्साए निवासी, जहां परिवार रहता था, इकट्ठा होकर विरोध करने लगे. उनका कहना था कि “बाहरी लोग” (प्रवासी) ही राज्य में बढ़ते हिंसक अपराधों के लिए जिम्मेदार हैं.

गांव की पंचायतों ने पास किए प्रस्ताव

घटना के बाद होशियारपुर की करीब 38 पंचायतों ने ऐसे ही प्रस्ताव पास किए, जिनमें मांग की गई कि प्रवासी मज़दूर पंचायत की सीमा वाले रिहायशी इलाकों से बाहर जाकर गांव के बाहरी हिस्सों में खेतों पर बने मोटर कमरों में रहें.

कुछ प्रस्तावों में यह भी कहा गया कि ग्रामीण अपने घर बाहरियों को किराए पर न दें. अगर कोई ऐसा करता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.

दिप्रिंट ने जिन पंचायत प्रस्तावों को देखा, उनमें यह भी लिखा था कि प्रवासियों की पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य हो और उन्हें गांव का पता इस्तेमाल करके वोटर कार्ड या आधार कार्ड बनाने की इजाजत न दी जाए, न ही उन्हें पंजाब के निवासियों के लिए बनी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले.

इसी तरह के प्रस्ताव सोमवार को बठिंडा जिले के गेहरी भागी और बरनाला जिले के कट्टू गांव की पंचायतों ने भी पास किए.

होशियारपुर में पिछले हफ्ते एक प्रदर्शनकारी ने मीडिया को बताया, “ये लोग यहां काम ढूंढने आते वक्त गलत पते बताते हैं. जब ये अपराध करते हैं और पुलिस इनके पते पर जाती है, तो ये मिलते ही नहीं. इसी वजह से ये अपराध करने से डरते नहीं है. इनमें से कई पहले से ही आपराधिक पृष्ठभूमि वाले होते हैं.”

उसने आगे कहा, “स्थानीय नेता बिना बैकग्राउंड चेक किए ही इनके आधार और वोटर कार्ड यहां बनवा देते हैं, ताकि उन्हें वोट मिल सके.”

‘पूर्वियों का बदनाम करना’

गैंगस्टर से कार्यकर्ता बने लखा सिधाना ने पंजाब के लोगों से कहा कि वे अपने आस-पास हो रही घटनाओं के प्रति जागरूक हों. एक वीडियो संदेश में उन्होंने पीड़ित परिवार के अटूट रोते हुए दृश्य दिखाए और कहा, “हमें इन लोगों की गतिविधियों को रोकने के लिए कानून लाना चाहिए.”

तनाव सड़कों पर भी फैल गया. बठिंडा के लेहरा मोहब्बत के निवासियों ने आरोप लगाया कि मंगलवार को एक पंजाबी लड़के से कीमत पर बहस करने पर प्रवासी फल विक्रेताओं ने उस पर हमला किया.

बठिंडा एसएसपी अमनीत कोंडल ने दिप्रिंट को बताया कि आरोपी के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा,
“स्थिति नियंत्रित है. जिन दो गांवों में प्रस्ताव पास किए गए हैं, वहां लोगों को काउंसलिंग भी दी जा रही है.”

एक और घटना में, कपूरथला के सुलतानपुर लोधी में स्थानीय सब्जी विक्रेताओं और प्रवासियों के बीच झड़प हुई, जब आरोप है कि प्रवासियों ने उनके ठेले लगाने से रोक दिया. शहीद भगत सिंह नगर जिले के बालाचौर में भी ऐसा ही संघर्ष हुआ.

गुस्सा जालंधर तक भी फैल गया, जहां स्थानीय लोगों ने एक प्रवासी युवक पर हमला किया, जिस पर आरोप था कि उसने छह साल की लड़की को अपने कमरे में लुभाया. पुलिस ने कहा कि आरोपी और बच्ची दोनों पंजाब के बाहर के हैं और “नफरत फैलाने वाली सोशल मीडिया पोस्ट्स को कड़ी कार्रवाई के साथ देखा जा रहा है.”

डीआईजी सिंगला ने कहा, “आरोपी और पीड़ित दोनों पंजाब के बाहर के हैं. मामला दर्ज कर लिया गया है.” उन्होंने यह भी कहा कि “नफरत फैलाने वाली सोशल मीडिया पोस्ट्स पर भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है.”

मंगलवार को बठिंडा में कुछ स्थानीय निवासियों ने बाजार में जाकर प्रवासी विक्रेताओं से उनका आधार कार्ड और सड़क किनारे सामान बेचने की अनुमति मांगी. उन्होंने कई विक्रेताओं से अपने राज्यों में लौटने को भी कहा है.

जब इन “सार्वजनिक छापों” के वीडियो सोशल मीडिया पर फैल गए, पुलिस ने उन स्थानीय निवासियों को हिरासत में लिया, जो प्रवासियों को छोड़ने के लिए धमका रहे थे. कोंडल ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें परेशानी फैलाने से रोकने के लिए हिरासत में लिया गया है, लेकिन राज्य भर में तनाव जारी है.

चंडीगढ़ के सेक्टर 26 के एसजीजीएस कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रोफेसर हरजेश्वर पाल सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि “पंजाबी बनाम प्रवासी” संघर्ष कुछ वक्त से शांत था, लेकिन होशियारपुर की घटना ने इसे फिर से भड़काया.

सिंह ने अपराध की निंदा की लेकिन प्रवासियों के प्रति स्टेरियोटाइपिंग के खतरे के बारे में भी चेताया.

उन्होंने कहा, “ऐसी घटनाएं कई कारणों से बढ़ रही हैं—बढ़ती असमानता, बेरोज़गारी, प्रतिस्पर्धी राजनीति, सोशल मीडिया वगैरह.”

उन्होंने कहा, “पूर्वियों (भैय्याओं) का व्यापक स्टेरियोटाइपिंग और बदनाम करना भी निंदनीय है. कई लोग इस घटना को बहाना बनाकर पूर्वियों की संपत्ति पर हमला कर रहे हैं, उनके खिलाफ अवैध प्रस्ताव पास कर रहे हैं, उन्हें खदेड़ने की मांग कर रहे हैं और उनकी संपत्ति व वोट के अधिकार से भी वंचित कर रहे हैं. यह साफ तौर पर नस्लभेदी, अवैध और असंवैधानिक है.”

सिंह ने यह भी कहा कि कुछ “सीमांत राजनीतिक समूहों और नेताओं” द्वारा समर्थित वायरल सोशल मीडिया अभियान राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाएगा, जो ‘सर्बत दा भला’ के सिद्धांत पर गर्व करता है.

उन्होंने चेतावनी दी, “यह पंजाब की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकता है और हिंदी बेल्ट में उन कई पंजाबी लोगों के खिलाफ प्रतिक्रिया भड़का सकता है, जो व्यापार, पढ़ाई और अन्य कारणों से वहां रहते और जाते हैं.”

उन्होंने यह भी कहा, “साथ ही, राज्य में आने वाले लोगों की सही पहचान और पंजीकरण अनिवार्य होना चाहिए.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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