scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमराजनीतिअक्टूबर में प्रियंका ने दिया था UP में कांग्रेस महासचिव के पद से इस्तीफा, अब तक नई नियुक्ति नहीं

अक्टूबर में प्रियंका ने दिया था UP में कांग्रेस महासचिव के पद से इस्तीफा, अब तक नई नियुक्ति नहीं

यूपी कांग्रेस के लिए नई टीम नियुक्त किए जाने के बाद प्रियंका ने अपना इस्तीफा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दिया था. जानकारी मिली है कि वे चुनावी राज्यों में अपनी भूमिका की तलाश कर रही हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: मल्लिकार्जुन खरगे के पार्टी अध्यक्ष नियुक्त होने से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा ने अक्टूबर 2022 में उत्तर प्रदेश के प्रभारी कांग्रेस महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

राजनीतिक रूप से देश के सबसे प्रभावी राज्य में पार्टी आठ महीने से कांग्रेस पार्टी बिना प्रभारी के है.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के दो अलग-अलग सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए एक नई टीम नियुक्त किए जाने के बाद प्रियंका ने तत्कालीन अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. वे अब चुनावी राज्यों में एक नई भूमिका की तलाश कर रही हैं, जहां वह प्रचार कर सकें, जैसा कि हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में देखा गया है.

बृजलाल खबरी को पिछले साल 1 अक्टूबर को अजय लल्लू की जगह उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जबकि खरगे को 19 अक्टूबर को पार्टी अध्यक्ष चुना गया था. खबरी की नियुक्ति के.सी. वेणुगोपाल के कार्यालय के आदेश पर की गई थी. वेणुगोपाल कांग्रेस पार्टी में महासचिव (संगठन) हैं.

जबकि सभी महासचिवों और प्रभारियों ने एक नई संगठनात्मक टीम के लिए बॉल रोलिंग सेट करने के लिए खरगे को अपना इस्तीफा सौंप दिया, प्रियंका ने पहले भी ऐसा किया है.

प्रियंका के एक करीबी सूत्र ने कहा, “उन्होंने सोचा कि यह एक मिसाल कायम करेगा क्योंकि चुनाव हारने के बाद महासचिव आमतौर पर इस्तीफा नहीं देते हैं. वे अब राज्यों में चुनाव प्रचार में शामिल होना चाहती हैं और यूपी नहीं लौट सकती हैं.”

उनका इस्तीफा पिछले साल फरवरी-मार्च में यूपी चुनाव के करीब सात महीने बाद आया था.

इस बीच, खरगे ने अभी तक एक नई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) और महासचिवों और प्रभारियों की एक टीम का गठन नहीं किया है.

अप्रैल-मई 2022 में प्रियंका ने अपने महिला-केंद्रित लड़की हूं, लड़ सकती हूं अभियान के साथ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के अभियान का नेतृत्व किया था. पार्टी ने चुनाव के लिए 40 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, लेकिन 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में केवल 2 सीटों पर ही कामयाब रही. नतीजतन, कांग्रेस का पहली बार यूपी विधान परिषद में एक भी सदस्य नहीं है.

उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद से प्रियंका ने पिछली जुलाई में केवल एक बार लखनऊ का दौरा किया, और आखिरी बार जब राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा दो दिनों के लिए राज्य से गुजरी थी, तब उन्हें देखा गया था. हालांकि, वे हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक चुनाव अभियानों में बड़े पैमाने पर शामिल थीं.

जबकि प्रियंका हिमाचल में मुख्य अभियान का चेहरा थीं, उन्होंने गृह लक्ष्मी योजना की घोषणा की, जिसमें कर्नाटक में घरों की सभी महिला प्रमुखों को न्यूनतम 2,000 रुपये की आय का वादा किया गया था. उन्होंने कर्नाटक में राहुल गांधी से अधिक, लगभग 30 रैलियों को संबोधित किया.

प्रियंका तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में भी रैलियां कर रही हैं और 12 जून को मध्य प्रदेश का दौरा करने वाली हैं.

उत्तर प्रदेश चुनाव के ठीक बाद, प्रियंका कांग्रेस पार्टी की ओडिशा इकाई के साथ भी बैठकें कर रही थीं, जिसे बाद में पुनर्गठित किया गया था.

एआईसीसी के एक सदस्य ने कहा, “उनकी अगली संगठनात्मक भूमिका कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा तय की जाएगी, लेकिन वे चुनाव प्रचार में शामिल होने की इच्छुक हैं. उन्हें अभी तक किसी नई भूमिका की पेशकश नहीं की गई है, लेकिन वे आगे चलकर चुनाव अभियानों में अधिक शामिल रहेंगी.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: क्या CM गहलोत ‘सब्सिडी’ से बर्बाद कर रहे हैं राजस्थान की अर्थव्यवस्था? डेटा दिखाता है कि ऐसा नहीं है


 

share & View comments