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Sunday, 3 November, 2024
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प्रियंका ने PM को लिखा पत्र, कहा- किसानों के प्रति सच में नीयत साफ है तो अजय मिश्रा को बर्खास्त कीजिए

प्रियंका ने मांग की कि देशभर में किसानों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को वापस लिया जाए और सभी ‘शहीद’ किसानों के परिवारों को आर्थिक अनुदान दिया जाए.

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लखनऊ: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को पत्र लिखकर मांग की कि वह लखीमपुर की घटना के मामले में पीड़ितों को न्याय दिलाएं और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करें.

प्रियंका ने मांग की कि देशभर में किसानों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को वापस लिया जाए और सभी ‘शहीद’ किसानों के परिवारों को आर्थिक अनुदान दिया जाए.

कांग्रेस महासचिव ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, ‘प्रधानमंत्री जी लखनऊ आये हैं. वह पुलिस के आला अधिकारियों के सम्मेलन में भाग लेंगे. मैंने उन्हें पत्र लिखा है. मैं आपके माध्यम से उस पत्र को देश और प्रदेश के सामने रखना चाहती हूं.’ उन्होंने पत्र पढ़कर मीडिया को सुनाया.

पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री लखनऊ आए हैं जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी हिस्सा ले रहे हैं.

बाद में उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, ‘दूरबीन लेकर अपराधी और गुंडे खोजने वाले गृहमंत्री, किसानों को कुचलने वाले अपराधी के पिता और गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ मंच साझा कर रहे हैं. टेनी ने खुद किसानों को धमकाया था, जिसके बाद किसानों को कुचला गया. कैसे होगा किसानों के साथ न्याय?’

कांग्रेस ने एक तस्वीर भी इसके साथ साझा की जिसमें अमित शाह और अजय मिश्रा अन्य अधिकारियों के साथ बैठे नजर आ रहे हैं.

प्रियंका ने प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में लिखा, ‘लखीमपुर किसान नरसंहार में अन्नदाताओं के साथ हुई क्रूरता को पूरे देश ने देखा. आपको यह जानकारी भी है कि किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलने का मुख्य आरोपी आपकी सरकार के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का बेटा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने राजनीतिक दबाव के चलते इस मामले में शुरुआत से ही न्याय की आवाज को दबाने की कोशिश की.’

उन्होंने पत्र में कहा, ‘महोदय, मैं लखीमपुर के शहीद किसानों के परिजनों से मिली हूं. वे असहनीय पीड़ा में हैं. सभी परिवारों का कहना है कि वे सिर्फ अपने शहीद परिजनों के लिए न्याय चाहते हैं और मिश्रा के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पद पर बने रहते हुए उन्हें न्याय की कोई आस नहीं है. लखीमपुर किसान नरसंहार मामले में जांच की हालिया स्थिति उन परिवारों की आशंका को सही साबित करती है. देश की कानून व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार गृह मंत्री अमित शाह जी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आपके उसी मंत्री के साथ मंच साझा करते हैं.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘आप देश के प्रधानमंत्री हैं, आप देश के किसानों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह से समझते होंगे. हर देशवासी के लिए न्याय सुनिश्चित करना प्रधानमंत्री का कर्तव्य ही नहीं, उनका नैतिक दायित्व होता है. देशवासियों को सम्बोधित करते हुए आप ने कल कहा कि किसानों के हित को देखते हुए सच्चे मन और पवित्र हृदय से कृषि क़ानूनों को वापस लेने का अभूतपूर्व निर्णय लिया गया है. आपने यह भी कहा कि देश के किसानों के प्रति आप नेक-नीयत रखते हैं. यदि यह सत्य है तो लखीमपुर किसान नरसंहार मामले में पीड़ितों को न्याय दिलाना भी आपके लिए सर्वोपरि होना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी अब भी आपके मंत्रिमंडल में अपने पद पर बने हुए हैं. यदि आप इस सम्मेलन में आरोपी के पिता के साथ मंच साझा करते हैं तो पीड़ित परिवारों को स्पष्ट संदेश जाएगा कि आप अब भी कातिलों का संरक्षण करने वालों के साथ खड़े हैं. यह किसान सत्याग्रह में शहीद हुए 700 से अधिक किसानों का घोर अपमान होगा.’

प्रियंका ने कहा, ‘अगर देश के किसानों के प्रति आपकी नीयत सचमुच साफ है तो आज केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के साथ मंच साझा नहीं कीजिए और उन्हें बर्खास्त कीजिए.’ उन्होंने मोदी से कहा, ‘देशभर में किसानों पर हुए मुक़दमों को वापस लीजिए और सभी शहीद किसानों के परिवारों को आर्थिक अनुदान दीजिए.’

उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र के संबंध में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस महासचिव से छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ‘किसानों की दुर्दशा’ पर ध्यान देने को कहा.

शनिवार को यहां जारी बयान में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में बस्तर रेंज में आदिवासी किसानों की हत्या पर प्रियंका का कोई बयान नहीं आया. सिंह ने कहा, ‘क्या वह बताएंगी कि उनकी पार्टी के कौन-कौन से नेता वहां गये थे?’

भाजपा नेता पूछा कि राजस्थान में किसानों पर लाठी चार्ज हुआ और कांग्रेस शासित प्रदेशों में किसानों पर हुए अत्याचार पर प्रियंका दो शब्द बोल दें तो अच्छा रहेगा.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस के लिए तो ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा भी सिर्फ नारा था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के लिए बने कानूनों को वापस लेने की घोषणा करके किसानों की भावनाओं का सम्मान किया है.

सिंह ने कहा, ‘यह कोई बड़े दिलवाला ही कर सकता है. आप जैसी संकीर्ण और सीमित सोच वाले इसमें मीन मेख ही निकालेंगे.’ उन्होंने प्रियंका को सुझाव दिया कि वह छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब के किसानों की चिंता करें तो बेहतर होगा. सिंह ने कहा कि रही लखीमपुर की घटना की बात, तो इस मामले में सरकार वह सब कुछ कर रही है जो उसे करना चाहिए. किसान इस पर सार्वजनिक रूप से संतोष भी जता चुके हैं.

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी द्वारा चार किसानों को उस वक्त कुचल दिया गया था, जब केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे एक समूह ने तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन किया था. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर दो भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके चालक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी और हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की मौत हो गई थी. इस मामले में गृह राज्य मंत्री मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ हत्या समेत भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.

कांग्रेस ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को शनिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में श्रद्धांजलि दी.

प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट किया, ‘किसान आंदोलन में शहीद हुये सभी किसानों को आज कांग्रेस मुख्यालय में श्रद्धांजलि दी गयी. श्रद्धांजलि सभा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, राष्ट्रीय सचिव रोहित चौधरी तथा कोषाध्यक्ष सतीश आजमानी समेत सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता उपस्थित रहे. शहीद किसानों को नमन.’

प्रदेश कांग्रेस ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘काले कृषि कानून वापस लेने के बीच कुछ जरूरी सवाल हैं, जिनका जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जरूर देना चाहिए. किसान विजय दिवस में शामिल होकर इन सवालों को मजबूती दीजिए, क्योंकि किसान मजबूत, तो देश मजबूत.’

इस ट्वीट के साथ काले रंग का एक पोस्टर भी लगाया गया है जिसमें लिखा है, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने तीन काले कृषि कानून वापस लेने का किया ऐलान. सवाल जो लाजमी हैं. आंदोलन करते हुये जो किसान शहीद हुए उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा? किसानों के खिलाफ षड्यंत्र रचकर आखिर सरकार को क्या हासिल हुआ? किसानों को जो देशद्रोही और गददार ठहराया गया, उसे कैसे माफ किया जा सकता है?

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