scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमराजनीतिकांग्रेस के भीतर मायावती के साथ मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में गठबंधन करने के लिए दबाव

कांग्रेस के भीतर मायावती के साथ मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में गठबंधन करने के लिए दबाव

Text Size:

मायावती और कांग्रेस के बीच की बातचीत रुक चुकी है. क्योंकि मायावती “एकमुश्त समझौता” करना चाहती है. वो विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए एक साथ सीट साझा करना चाहती है.

नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने अजीत जोगी के जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) के साथ हाथ मिलाकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कांग्रेस के लोगों को तगड़ा झटका दिया है, जहां मायावती की पार्टी की मौज़ूदगी बहुत ही महत्वपूर्ण है.

इन दोनों राज्यों के कांग्रेस नेता बीएसपी के साथ गठबंधन करने के लिए पार्टी हाई कमान पर दबाव बना रहे हैं, इससे भले ही कुछ सीटों को छोड़ना पड़ जाये.

लेकिन पिछले हफ्ते मायावती ने मध्यप्रदेश में 22 उम्मीदवारों की घोषणा की, जहां पर 230 सीटों की असेंबली सीटें है.भले ही केंद्रीय कांग्रेस नेता मध्यप्रदेश में गठबंधन के लिए उनसे बातचीत कर रहे है.

दिप्रिंट ने दोनों दलों में कई सूत्रों से बात की जिन्होंने कहा कि मायावती ‘एकमुश्त समझौता ‘ करना चाहती है , जिसमें वो मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विधानसभा और लोकसभा चुनावों की सीटों पर समझौता करना चाहती है.


यह भी पढ़ें : Why Mayawati won’t break her alliance with Samajwadi Party in Uttar Pradesh


इस समय बातचीत बीच मझधार में फंस गई है. कांग्रेस इस समय विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन बनाना चाहती है और बाद में लोकसभा चुनावों का फैसला बाद में लेना चाहती है.

लेकिन राज्य के नेताओं ने जितनी जल्दी हो सके बसपा के साथ समझौता करने के लिए नेतृत्व पर दबाव डालना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के सांसदों में डर है अगर बसपा मध्यप्रदेश में अकेले चुनाव में जाती है, तो पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.

एक कांग्रेस विधायक ने कहा, “पिछले तीन चुनावों से हम बसपा की वजह से चुनाव हार रहे हैं.” “हमने अतीत में बसपा के साथ गठबंधन करने की कोशिश की है लेकिन ऐसा नहीं हो सका. हालांकि, इस बार गठबंधन होने की संभावना लग रही है. यदि इस बार ऐसा नहीं हुआ तो हम फिर से हार सकते हैं. ”

2013 के विधानसभा चुनावों में, बीएसपी को 60 सीटों पर 10,000 से ज्यादा वोट मिले और बीजेपी ने उन 60 सीटों में से 39 सीटें जीतीं थी. पार्टी सूत्रों ने कहा कि 230 में से 82 सीटें ऐसी हैं, जिन्हें कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों से नहीं जीती है और अगर बसपा के साथ गठबंधन नहीं होता है तो जीतने की भी कोई उम्मीद भी नहीं है. इस मामले में, कांग्रेस की लड़ाई 148 सीटों तक ही सीमित है.

किसी भी पार्टी को मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कम से कम 116 सीटों की ज़रूरत होती है.

मध्यप्रदेश के एक अन्य नेता ने कहा, “पार्टी के लिए 230 सीटों में से 116 सीटें जीतना बहुत मुश्किल होगा, खासकर जब बीजेपी सभी 230 सीटों पर लड़ रही हो.”

कोई प्रयास नहीं

विपक्षी मतों के विभाजन को रोकने के लिए कांग्रेस बीएसपी, समाजवादी पार्टी (एसपी) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के साथ गठबंधन करने की कोशिश कर रही है.

हालांकि, सपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कांग्रेस कि तरफ से संभावित गठबंधन करने के लिए कोई प्रयास नहीं किये गए है.

वरिष्ठ सपा नेता और पार्टी प्रवक्ता सुनील यादव साजन ने कहा, “हमारे नेता अखिलेश यादव जी ने हमेशा यह कहा है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्य की पार्टियों को समायोजित करने के लिए कांग्रेस का दिल बड़ा होनी चाहिए.

साजन ने कहा “लेकिन हम अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. हम कांग्रेस का इंतज़ार नहीं कर सकते.”अभी तो यही स्थिति है अगर कुछ होना है, तो वह शीर्ष स्तर पर होगा”

कांग्रेस के राज्य स्तर के नेताओं ने बताया की गठबंधन पर बयान देने के बावजूद मध्यप्रदेश के पार्टी अध्यक्ष कमलनाथ अभी तक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पास बातचीत के लिए नहीं गए है.

विकल्प की तलाश

गठबंधन का दबाव केवल मध्य प्रदेश तक ही सीमित नहीं है. 24 सितंबर को कांग्रेस गठबंधन कमेटी ने ए.के एंटनी के नेतृत्व में संभावित गठजोड़ों पर विभिन्न राज्यों के नेताओं से मुलाकात की. बैठक में, महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने दृढ़ता से राज्य में बीएसपी के साथ गठबंधन करने की वकालत की.

महाराष्ट्र में शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी है.


यह भी पढ़ें : This is why Mayawati’s BSP is such a valuable political ally


महाराष्ट्र कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “बसपा के साथ गठबंधन महत्वपूर्ण है, खासकर जब असदुद्दीन ओवैसी और प्रकाश अम्बेडकर ने एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है.”

एक कांग्रेसी नेता ने कहा, “हमें दलित मतदाताओं को रुझाने के लिए बसपा की जरुरत पड़ेगी”.

ओवैसी के अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) और अम्बेडकर के भरीपा बहुजन महासंघ (बीबीएम) ने घोषणा की है कि वे महाराष्ट्र में गठबंधन को तैयार है और 2 अक्टूबर को औरंगाबाद में संयुक्त रैली करेंगे.

वर्तमान में कांग्रेस नेतृत्व गठबंधन चर्चाओं के सभी विकल्पों पर विचार कर रही है और चुप्पी बनाए रखी है.

बीएसपी भी आखिरी समय में गठबंधन का इंतज़ार कर रही है. नाम न बताने की शर्त पर एक बसपा नेता ने कहा कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हाथ से निकल गया है लेकिन उनके पास अभी भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में मौका है, यदि वे सही दिशा से काम करें.

Read in English : Pressure mounts within Congress for alliance with Mayawati in MP and Maharashtra

share & View comments