नई दिल्ली: पिछले तीन दिनों से महाराष्ट्र में चली जबरदस्त गहमागहमी के बाद आखिरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार की शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने संबंधी उद्घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये. अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर कहा, ‘महाराष्ट्र के राज्यपाल ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया के खत्म होने के 15 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी कोई भी राजनीतिक दल राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं, ऐसे में राष्ट्रपति शासन ही एक बेहतर विकल्प है.’
बता दें कि 10 नवंबर को भारतीय जनता पार्टी द्वारा महाराष्ट्र में सरकार बनाए जाने के इनकार के बाद से वहां पेच फंस गया और पिछले दो दिनों में राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने एक के बाद एक शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का बुलावा भेजा. मंगलवार शाम8.30 बजे एनसीपी को दी गई अवधि खत्म हो रही है
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Mumbai: Congress leaders Mallikarjun Kharge, Ahmed Patel and KC Venugopal arrive at YB Chavan centre for a meeting with NCP chief Sharad Pawar. President's Rule has been imposed in the state of #Maharashtra. pic.twitter.com/OAjkhuxsX6
— ANI (@ANI) November 12, 2019
वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, के सी वेणुगोपाल राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिलने पहुंचे हैं. अभी भी महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए कांग्रेस पार्टी और एनसीपी जोड़-तोड़ में लगी है. जबकि शिवसेना ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
शिवसेना के एक वकील ने मंगलवार को कहा कि यदि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है तो पार्टी उच्चतम न्यायालय में दूसरी याचिका दाखिल करेगी.
शिवसेना की ओर से पहली याचिका दायर करने वाले वकील सुनील फर्नांडिस ने कहा, ‘राज्य में यदि राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है तो हम आज ही दूसरी याचिका दायर करेंगे.’
उन्होंने कहा कि उनकी पहली याचिका पर मंगलवार को तत्काल सुनवाई किये जाने के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार से कोई जवाब नहीं मिला है. इस याचिका में पार्टी ने राज्य में सरकार गठन के लिए समर्थन पत्र सौंपने के लिए तीन दिन का समय नहीं दिये जाने संबंधी राज्यपाल के सोमवार के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया है.
वहीं देर शाम शिवसेना के दूसरे वकील राजेश इनामदार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर कहा , अभी तक जितनी भी सूचनाएं हमें मिल रही हैं सभी समाचार चैनलों के माध्यम से मिल रही है. अब समय आ गया है कि इसपर कानूनी विचार हो, अगर इस मामले में किसी कानूनी कदम की जरूरत होगी तो हम कानून के अंदर रहते हुए उठाएंगे.
Rajesh Inamdar, Shiv Sena's lawyer: About the President's Rule, whatever information I'm getting it's through the news channels. Let's have a legal discussion on this&accordingly if there is a necessity of filing a petition we will take a legal recourse as per law. #Maharashtra pic.twitter.com/SmM08qUECj
— ANI (@ANI) November 12, 2019
कांग्रेस ने किया विरोध, संवैधानिक प्रक्रिया का बनाया मजाक
कांग्रेस ने मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने के लिए उनकी आलोचना की और आरोप लगाया कि उन्होंने ‘न्याय का हनन’ किया है और संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक बनाया है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पर राकांपा, शिवसेना और भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के लिए ‘मनमाने ढंग से’ समय देने का आरोप भी लगाया.
सुरजेवाला ने कहा, ‘ये बेईमानी से भरा हुआ और राजनीति से प्रेरित है.’
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘राज्यपाल कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करके लोकतांत्रिक न्याय का हनन किया है और संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक बनाया है.’
कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्विटर पर जारी किए गए एक बयान में कहा गया, ‘उन्हें विश्वास है कि संविधान के अनुरूप सरकार का गठन नहीं किया जा सकता है (और इसलिए) आज संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधानों को लागू करने की रिपोर्ट भेजी है.’
Governor Koshiyari has committed a grave travesty of the democracy & made a mockery of the Constitutional process in reccomending President’s Rule in Maharashtra.
Four grave violations of the Constitutional Scheme, as expressed in SR Bommai judgment, stand out.
1/3 pic.twitter.com/Ixp0pKF9du— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 12, 2019
कोश्यारी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए मंगलवार शाम साढ़े आठ बजे तक का समय दिया था और इस बीच उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की रिपोर्ट भेज दी है.
बता दें कि अगर आज कांग्रेस और एनसीपी की बात बन भी जाती है तो भी उसे सरकार बनाने के लिए तीसरी पार्टी का सहारा लेना पड़ेगा. क्योंकि 288 विधानसभा वाली महाराष्ट्र में शिवसेना के जहां 56 विधायक हैं. वहीं भाजपा के 105 विधायक हैं. जबकि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के क्रमश: 44 और 54 विधायक है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस को 134 विधायकों की आवश्यकता है जबकि इन दोनों के पास 98 ही विधायक हैं. ऐसे में किसी भी सूरत में उन्हें शिवसेना का सहयोग लेना ही पड़ेगा.