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Friday, 22 November, 2024
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‘कैब’ पर जदयू के समर्थन से निराश प्रशांत किशोर और पवन वर्मा, कहा- नीतीश कुमार फिर से करें विचार

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में जदयू के नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने कहा कि जदयू विधेयक का समर्थन इसलिए कर रही है क्योंकि यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है.

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नई दिल्ली: जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि वो नागरिकता संसोधन विधेयक 2019 में पार्टी द्वारा समर्थन करने के निर्णय पर फिर से विचार करें.

वर्मा ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, ‘नीतीश कुमार से मैं कहना चाहता हूं कि वो इस बिल को राज्य सभा में समर्थन देने पर विचार करें. ये बिल असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता और सद्भावना के खिलाफ है. ये विधेयक जदयू के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के भी खिलाफ है. गांधी जी इसे कड़े तौर पर खारिज कर देते.’

इससे पहले जदयू नेता प्रशांत किशोर ने भी इसी तरह की भावना को जताया था और ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था कि पार्टी द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने पर मुझे निराशा हो रही है.

जनता दल (यू) द्वारा लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किये जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने सोमवार को निराशा जाहिर की थी.

उन्होंने कहा था कि विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. देर रात लोकसभा में विधेयक पर मतदान होने के बाद जब वह पारित हो गया तब किशोर ने ट्वीट किया कि विधेयक पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता.

उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ. यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है. पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है.’

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में जदयू के नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने कहा कि जदयू विधेयक का समर्थन इसलिए कर रही है क्योंकि यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है.

श्री श्री रविशंकर ने करीब एक लाख श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता देने का अनुरोध किया

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने मंगलवार को केन्द्र से अनुरोध किया कि वह पिछले तीन दशक से भी ज्यादा वक्त से देश में शरणार्थियों की तरह रह रहे एक लाख से ज्यादा श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता देने पर विचार करे.

उन्होंने ट्वीट किया है, ‘मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह देश में पिछले 35 वर्ष से शरणार्थियों की तरह रह रहे एक लाख से भी ज्यादा श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता देने पर विचार करे.’

रविशंकर ने यह अपील ऐसे वक्त में की है, जब एक दिन पहले ही लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हुआ है.

इस प्रस्तावित कानून के तहत हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के वे लोग जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं, और अपने देश में धर्म के आधार पर प्रताड़ना झेल चुके हैं, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी.

तमिलनाडु में बड़ी संख्या में श्रीलंकाई तमिल रहते हैं.

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