हैदराबाद: मुख्यमंत्री के निवास और मुख्य कार्यस्थल, प्रगति भवन के गेट खोलने से लेकर, हैदराबाद के प्रसिद्ध लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में अपनी पहली फाइल पर हस्ताक्षर करने तक, रेवंत रेड्डी संयुक्त आंध्र के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों वाई.एस. राजशेखर रेड्डी, जिन्हें वाईएसआर के नाम से जाना जाता है में से एक के नक्शेकदम पर चलते दिख रहे हैं.
शुक्रवार को तेलंगाना के पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद, रेवंत ने शिकायत निवारण के लिए जनता के कई सदस्यों से मुलाकात करके वाईएसआर की ‘प्रजा दरबार’ की परंपरा को बहाल किया. यह उस समय हुआ जब एक दिन पहले लोहे के दरवाजे, ऊंची फैंसिंग और कांटेदार बाड़ को तोड़ दिया गया था, जो महलनुमा मुख्यमंत्री आवास प्रगति भवन को मजबूत करते थे, जिसका नाम नए शासन ने महात्मा ज्योति राव फुले प्रजा भवन रख दिया है.
सीएमओ की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘प्रजा दरबार’ के पहले दिन सैकड़ों लोग, जिनमें कई विकलांग लोग भी शामिल थे, परिसर में एकत्र हुए. “सीएम ने उनकी समस्याओं के बारे में पूछा और सरकारी मदद के लिए उनकी दलीलें सुनीं. उन्होंने शिकायतों के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने का आश्वासन दिया.”
संयुक्त आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (2004-09) वाईएसआर द्वारा शुरू किया गया – जिस राज्य से तेलंगाना अलग हुआ था – ‘प्रजा दरबार’ कांग्रेस द्वारा अपने अभय हस्तम घोषणापत्र में किए गए वादों में से एक था.
70-सूत्रीय घोषणापत्र पार्टी की छह चुनावी गारंटी के अलावा था, जिसमें वित्तीय सहायता और महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा और सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर शामिल थे.
लेकिन ‘प्रजा दरबार’ एकमात्र वाईएसआर विरासत नहीं है जिसे रेवंत ने अपनाया है. शुक्रवार को एलबी स्टेडियम में सीएम पद की शपथ लेने के तुरंत बाद, मंच पर रहते हुए कांग्रेस की छह कल्याण गारंटियों के कार्यान्वयन को मंजूरी देने के लिए एक फाइल पर हस्ताक्षर किए. इससे उन्होंने वही दिखाया जो वाईएसआर ने लगभग 20 साल पहले किया था, जब मई 2004 में सीएम के रूप में कार्यभार संभालने के दौरान उन्होंने राज्य में किसानों को मुफ्त बिजली प्रदान करने के लिए एक फाइल पर वहीं, हस्ताक्षर किए थे.
पूर्व सिविल सेवकों ने दिप्रिंट को बताया कि ‘प्रजा दरबार’ का आश्वासन और रेवंत का कांग्रेस के चुनावी वादों का तत्काल कार्यान्वयन उनके अक्सर-मायावी पूर्ववर्ती, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख के.चंद्रशेखर राव के दृष्टिकोण के बिल्कुल विपरीत था.
एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आर.वी. चंद्रवदन ने दिप्रिंट को बताया, “संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के विपरीत – इनमें सबसे प्रमुख वाईएसआर हैं — मुख्यमंत्री केसीआर ने खुद को लोगों से अलग कर लिया था. उनका विश्वास था कि वह तेलंगाना में लोगों की हर समस्या और उसके समाधान को जानते थे.”
हालांकि, बीआरएस नेताओं ने अतीत में ऐसी धारणाओं को खारिज कर दिया है. केसीआर के बेटे और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने चुनाव से कुछ हफ्ते पहले संवाददाताओं से पूछा, “जब विभिन्न स्तरों पर संस्थाएं ठीक से काम कर रही हैं तो इसकी क्या ज़रूरत है?”
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‘दृढ़’ प्रगति भवन से प्रजा भवन तक
एलबी स्टेडियम में अपने उद्घाटन भाषण में रेवंत ने कहा कि उनकी सरकार ने मुख्यमंत्री के कार्यालय-सह-निवास का नाम बदलकर महात्मा ज्योति राव फुले प्रजा भवन कर दिया है.
2016 में उद्घाटन किया गया, यह भवन नौ एकड़ के भूखंड पर बना है और इसमें तीन ब्लॉक शामिल हैं.
पॉश बेगमपेट इलाके में स्थित, बंगला, जिसे सीएम के रूप में केसीआर के पहले कार्यकाल के दौरान 50 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर बनाया गया था, में 15,000 वर्ग फुट का एक बहुउद्देशीय ब्लॉक है जिसमें लगभग 1,000 लोगों की बैठने की क्षमता वाला एक मीटिंग हॉल भी है.
बीआरएस शासन के आलोचकों का दावा है कि सार्वजनिक बातचीत के लिए जगह होने के बावजूद, केसीआर शासन के इतने सालों में इमारत न केवल जनता के लिए बल्कि बीआरएस विधायकों के लिए भी तेज़ी से प्रतिबंधात्मक बन गई थी. उदाहरण के लिए, केसीआर कैबिनेट के पूर्व मंत्री एटाला राजेंदर, जो अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हैं, ने बार-बार सार्वजनिक बयान दिया है कि कैसे उनके सहित पार्टी विधायकों को गेट पर रोका गया और प्रवेश से इनकार कर दिया गया क्योंकि उनके पास कोई केसीआर से मिलने की अनुमति नहीं थी.
इस साल फरवरी में रेवंत ने तब विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने कहा कि अगर इमारत को “नक्सलियों द्वारा उड़ा दिया जाता” तो भी इससे जनता को कोई नुकसान नहीं होता.
तेलंगाना सूचना और जनसंपर्क विभाग के पूर्व आयुक्त चंद्रवदन, जो अब भाजपा से जुड़े हुए हैं के अनुसार, केसीआर – 2014 में राज्य के गठन के बाद से राज्य के पहले मुख्यमंत्री – ने “एक दुखद विरासत” छोड़ी है.
उन्होंने कहा, “उन्होंने न केवल जनता से दूरी बना ली, बल्कि वे प्रशासनिक मामलों और फाइलों को निपटाने के लिए अधिकारियों से नहीं मिलते थे, जिससे परियोजनाओं में देरी हुई और कभी-कभी शासन ठप्प हो गया और वह अनुभवी, उत्साही सिविल सेवकों सहित दूसरों के विचारों को भी खारिज कर रहे थे.”
एक अन्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, अकुनुरी मुरली ने दिप्रिंट को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रजा दरबार को बंद करने का फैसला किया – एक परंपरा जो वाईएसआर के उत्तराधिकारी के. रोसैया (दिवंगत कांग्रेस नेता और 2009 से 2010 तक संयुक्त आंध्र के सीएम) और किरण कुमार रेड्डी (पूर्व- कांग्रेस नेता और 2010-2014 तक आंध्र के सीएम) ने अपनाई थी.
नागरिक समाज समूह जागो तेलंगाना के संयोजक मुरली ने दिप्रिंट को बताया, “उन्हें श्रेय देने के लिए एकजुट आंध्र प्रदेश में सीएम – चाहे वे किसी भी क्षेत्र से आए हों – लोगों के लिए अपनी समस्याएं पेश करने के लिए आसानी से उपलब्ध थे. वाईएसआर ने एक कदम आगे बढ़कर शिकायत निवारण को व्यवस्थित किया.”
उन्होंने बताया, “वाईएसआर के कैंप कार्यालय में प्रजा दरबार के लिए एक डेस्क और विशेष अधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई थी, जहां वह हर दिन कम से कम 15-30 मिनट के लिए जनता से मिलते थे.”
उन्होंने कहा, वाईएसआर ने यह सुनिश्चित किया कि सार्वजनिक शिकायतों का कम्प्यूटरीकरण किया जाए, उन पर कार्रवाई की जाए और उन्हें उनके तार्किक अंत तक पहुंचाया जाए.
केसीआर के जाने-माने आलोचक अकुनुरी ने दिप्रिंट को बताया, “उनकी अकर्मण्यता, ऐसी परंपरा के प्रति उनकी नापसंदगी या जनता द्वारा सामना किए जाने के डर को दोष दें, लेकिन केसीआर ने प्रजा दरबार को बंद करने का फैसला किया, जिससे खुद को वास्तविक सार्वजनिक प्रतिक्रिया से अलग कर लिया.”
‘उन्नत समाधान तंत्र’
सीएमओ के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रजा दरबार को वाईएसआर-युग के मुकाबले अपग्रेड किया जा रहा है.
अधिकारी ने कहा, “शिकायत पंजीकरण के लिए 15 डेस्क खोले गए हैं. याचिकाओं को ऑनलाइन पंजीकृत करने और प्रत्येक याचिका के लिए एक शिकायत संख्या (आईडी) जारी करने के लिए एक विशेष तंत्र विकसित किया गया है. आवेदक को एसएमएस के साथ एक प्रिंट की हुई रसीद दी जाएगी.”
अधिकारियों ने बताया कि प्रजा दरबार के अंदर 320 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है, कतार में इंतज़ार कर रहे लोगों के लिए बाहर छत वाली संरचनाएं बनाई गई हैं और जनता को पैकेज्ड पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है.
सीएमओ की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, “सीएम के प्रजा दरबार के पहले दिन को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली क्योंकि लोग न केवल हैदराबाद बल्कि सभी जिलों से आए थे.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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