नई दिल्ली: रविवार को बहुत सी भौंहें तन गईं, जब कांग्रेसी नेता आनंद शर्मा ने, एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र के कोविड-19 वैक्सीन के विकास की समीक्षा के लिए, तीन शहरों के दौरे का स्वागत किया.
शर्मा, जो राज्यसभा में उप-नेता प्रतिपक्ष, और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी हैं, इस विषय पर कांग्रेस की अधिकारिक लाइन से पीछे हट गए- उन्होंने पीएम के दौरे को एक ऐसा क़दम बताया, जो ‘फ्रंटलाइन के योद्धाओं का उत्साह बढ़ाएगा, और राष्ट्र को आश्वस्त करेगा’, जबकि उनकी पार्टी ने इसे ‘प्रचार’ हासिल करने का एक उपाय क़रार दिया था.
लेकिन, कुछ घंटों के बाद, ऐसा लगा कि शर्मा कुछ अदल-बदल कर रहे हैं, जब उन्होंने एक संशेधित बयान जारी करते हुए कहा, कि मूल ट्वीट में ‘कुछ पंक्तियां गुम हो गईं, जिस कारण कनफ्यूज़न पैदा हुआ, जिससे बचा जा सकता था’.
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी कांग्रेसी नेता ने, पीएम मोदी के किसी प्रयास या पहल को सराहने की कोशिश की है. बहुत से कांग्रेसी नेताओं ने पीएम मोदी के खिलाफ, व्यक्तिगत हमले न करने की वकालत की है, लेकिन उन्हें पूर्व पार्टी अध्यक्ष और वायनाड़ सांसद, राहुल गांधी के ग़ुस्से का शिकार होना पड़ा.
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राहुल गांधी की लाइन
इस साल जून में राहुल गांधी, कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (सीडब्लूसी) की एक बैठक में, पीएम मोदी की सीधे आलोचना न करने पर, पार्टी नेताओं पर जमकर बरसे थे, और कहा था कि वो ‘मोदी का नाम लेने से नहीं डरते’.
राहुल गांधी कथित रूप से उस वक़्त भड़क गए, जब पार्टी नेता आरपीएन सिंह ने सुझाव दिया था, कि पीएम मोदी की आलोचना ‘व्यक्तिगत नहीं’ बल्कि ‘मुद्दों पर आधारित’ होनी चाहिए. लेकिन, राहुल की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वादरा ने, राहुल की शिकायत को दोहराते हुए कहा, कि ‘राहुल जी और कुछ अन्य को छोड़कर’, बाक़ी कांग्रेस नेता पीएम मोदी की सीधी आलोचना से बचते रहे.
इसलिए आनंद शर्मा की मूल टिप्पणी, पीएम मोदी पर सीधे हमला करने की, राहुल गांधी की लाइन से सीधा इनकार और चुनौती प्रतीत होती है.
राहुल स्वयं पीएम मोदी पर तीखे हमले करने से पीछे नहीं हटे हैं. चाहे इसका मतलब 2016 में, उनपर भ्रष्टाचार आरोप लगाते हुए ये कहना हो, कि उनके पास ऐसी डायरियां हैं, जो मोदी की पोल खोल देंगी, या राफेल सौदे पर विवाद हो, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी पर, भारतीय वायु सेना को ‘बेंचने’ और अपने ‘मित्र’ और कारोबारी अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपए देकर, युवाओं के अवसर ‘चुराने’ का आरोप लगाया.
पार्टी की आधिकारिक लाइन के खिलाफ जाकर, शर्मा का मूल बयान इसलिए भी अहम है, कि पिछले हफ्ते ही उन्होंने कांग्रेस के भीतर, ‘असंतुष्टों’ की आलोचना करने वालों को निशाने पर लिया था, और अपील की थी कि ‘शालीनता और शिष्टाचार’ बना रहना चाहिए.
पूर्व केंद्रीय मंत्री उन 23 नेताओं में थे, जिन्होंने इसी साल अगस्त में, पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर, ‘पूर्ण-कालिक और प्रभावी नेतृत्व’ की मांग की थी.
3 नेता जिन्होंने कहा ‘मोदी को खलनायक मत बनाइए’ कोप का शिकार बने
2014 के लोकसभा चुनावों में, मोदी की अगुवाई में बीजेपी की जीत के बाद से, कांग्रेस में लगातार ये बहस चलती रही है, कि क्या पीएम पर सीधा हमला करना एक ‘सही रणनीति’ है, या फिर ये ऐसी चीज़ है, जो उल्टी भी पड़ सकती है.
पिछले साल अगस्त में, सीनियर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, जयराम रमेश, और शशि थरूर ने दलील दी थी, कि पीएम मोदी को ‘ख़लनायक’ बनाना सही तरीक़ा नहीं था.
एक पुस्तक के विमोचन पर राज्यसभा सांसद रमेश ने कहा था, कि पीएम मोदी का शासन एक ‘पूरी तरह निगेटिव कहानी नहीं है’. उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष को पीएम मोदी के कार्यों को पहचानना चाहिए, जिनकी वजह से 37.4 प्रतिशत मतदाताओं ने, उन्हें चुनकर फिर से सत्ता सौंपी है.
रमेश ने, जो एक पूर्व केंद्रीय मंत्री भी हैं, उज्ज्वला स्कीम का हवाला भी दिया- जिसमें ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को, मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन और सिलिंडर्स दिए गए थे- जिसने बीजेपी की जीत में योगदान दिया था.
रमेश ने कहा, ‘मोदी ऐसी भाषा बोलते हैं, जो उन्हें लोगों से जोड़ती है… अगर आप हर समय उनकी बुराई ही करते रहेंगे, तो आप उनका मुक़ाबला नहीं कर पाएंगे’.
सिंघवी ने रमेश से सहमति जताते हुए कहा था, कि वो ‘हमेशा से कहते आए हैं कि मोदी को ख़लनायक बनाना ग़लत है’.
Always said demonising #Modi wrong. No only is he #PM of nation, a one way opposition actually helps him. Acts are always good, bad & indifferent—they must be judged issue wise and nt person wise. Certainly, #ujjawala scheme is only one amongst other good deeds. #Jairamramesh
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) August 23, 2019
थरूर ने कहा कि उनका भी बहुत समय से यही विचार रहा है.
उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, मैं पिछले छह सालों से कहता आ रहा हूं, कि मोदी की सराहना होनी चाहिए, जब वो कुछ अच्छा कहते या करते हैं. इससे जब भी वो कुछ ग़लत करेंगे, तो हमारी आलोचनाओं की विश्वसनीयता बढ़ेगी’.
लेकिन तीनों नेताओं की टिप्पणियां, कांग्रेस पार्टी के एक वर्ग को पसंद नहीं आईं थीं.
. As you know, I have argued for six years now that @narendramodi should be praised whenever he says or does the right thing, which would add credibility to our criticisms whenever he errs. I welcome others in Oppn coming around to a view for which i was excoriated at the time!
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 23, 2019
पुराने कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री केके तिवारी ने, अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से गुहार लगाई, कि ‘ऐसे कांग्रेसियों को तुरंत निलंबित कर किया जाए, जो मोदी के पक्ष में ऐसे बयान दे रहे हैं, और उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाए’.
थरूर विशेष रूप से केरल कांग्रेस के निशाने पर आए, जिसने कहा कि उनके विचार ‘अस्वीकार्य’ थे, और पीएम मोदी को अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश थे.
थरूर, जो एक पूर्व केंद्रीय मंत्री भी थे, पहले भी साफगोई से पीएम मोदी की प्रशंसा करने के लिए आलोचना झेल चुके थे. 2014 में हफिंगटन पोस्ट के लिए एक लेख में, थरूर ने पीएम मोदी को ‘आधुनिकता और उन्नति का अवतार’ कहा था, जिसने स्वयं को एक ‘घृणित छवि’ से परिवर्तित किया था.
उसके बाद एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा था, कि विपक्ष को पीएम मोदी के अच्छे कामों को नज़रअंदाज़ करने की अशिष्टता नहीं करनी चाहिए.
हद तो तब हो गई जब शरूर ने, स्वच्छ भारत मिशन का राजदूत बनने का, पीएम मोदी का न्योता झट से स्वीकार कर लिया, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया. केरल इकाई ने भी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को एक रिपोर्ट भेजी, जिसमें मोदी के लिए थरूर की प्रशंसा पर, ध्यान आकर्षित कराया गया था.
‘राहुल की सलाह है कि कभी निजी हमले मत कीजिए’
मोदी सरकार को कैसे घेरें, इस बारे में अलग अलग नेताओं द्वारा अपनाए जा रहे तरीक़ों के बारे में पूछे जाने पर, कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा, ‘सरकार पर सवाल उठाने या उसकी पोल खोलने के लिए, कोई स्थाई या एक समान फॉर्मूला या तरीक़ा नहीं है’.
शेरगिल ने कहा, ‘कभी कभी पीएम मोदी पर सीधा हमला करने की ज़रूरत होती है, ताकि उनके शब्दों और कर्मों के दोग़लेपन को सामने लाया जा सके, और साथ ही उनके ऑफिस की गरिमा को भी बनाए रखा जा सके’. उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरे मामलों में, कभी कभी मुद्दा ऐसा होता है, कि राष्ट्र हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठना होता है’.
शेरगिल ने ये भी कहा कि राहुल गांधी की सलाह पर, पार्टी के अंदर एक बड़ी आमराय यही है, कि कभी व्यक्तिगत आक्षेप न हों, और पीएम पर कीचड़ न उछाली जाए.
शेरगिल ने ज़ोर देकर कहा, ‘यही कारण है कि उन्होंने (राहुल) पीएम के लिए, कभी अपशब्द नहीं कहे हैं, जबकि वो स्वयं निजी हमलों का निशाना बनते रहे हैं’.
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