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Sunday, 22 December, 2024
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कौन किसके साथ? NCP में विभाजन के बाद BJP और MNS में क्यों हो रही है तीखी नोकझोंक

विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा शिंदे के नेतृत्व वाली सेना और अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट के साथ गठबंधन में सुरक्षित है, बीजेपी को किसी अन्य सहयोगी की जरूरत नहीं है.

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मुंबई: पिछले साल लगभग इसी समय, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक ठाकरे को दूसरे को टक्कर देने के लिए उकसा रही थी, राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के लिए प्रस्ताव बना रही थी और पहले से ही शिव सेना में विभाजन से परेशान उद्धव ठाकरे को और परेशान कर रही थी.

अब, लगभग एक साल बाद, भाजपा और MNS आमने-सामने हैं क्योंकि भाजपा ने ‘टोल टैक्स चोरी’ के लिए राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे पर निशाना साधा है, और एमएनएस कई मोर्चों पर पलटवार कर रही है. भाजपा को उन भ्रष्टाचार के आरोपों की याद दिला रही है जो उसने एक बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार के खिलाफ लगाए थे और मणिपुर में जातीय हिंसा से निपटने के तरीके पर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना में विपक्षी दल में शामिल हो गए.

इस महीने की शुरुआत में, पवार भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सरकार में पार्टी के विधायकों के एक समूह के साथ डिप्टी सीएम के रूप में शामिल हुए, इस प्रकार शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में विभाजन हो गया.

विश्लेषकों का कहना है कि पिछले साल से बहुत कुछ बदल गया है, जिससे भाजपा और एमएनएस संभावित मित्रों से संभावित प्रतिद्वंद्वियों में बदल गई हैं.

शिवसेना और राकांपा में विभाजन के साथ, भाजपा सुरक्षित स्थिति में है, एक तरफ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना और दूसरी तरफ अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा का समर्थन है. सत्तारूढ़ गठबंधन एक संतृप्त स्थान बन गया है, जिससे किसी अन्य साथी के लिए सीधे या गुप्त समझ के माध्यम से बोर्ड पर आने के लिए बहुत कम जगह बची है.

राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई ने दिप्रिंट से कहा, “अजित पवार गुट के शामिल होने के बाद, बीजेपी को एमएनएस की जरूरत नहीं है और न ही एमएनएस के पास वहां ज्यादा जगह है. इस बीच, MNS को एहसास हुआ कि उनका मतदाता वह है जो कांग्रेस और राकांपा विरोधी है, इसलिए वह न तो भाजपा और न ही विपक्षी महा विकास अघाड़ी से हाथ मिल सकती है.”

महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), शरद पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी का गुट और कांग्रेस शामिल हैं.

पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, इस बीच एमएनएस के सदस्यों को लगता है कि या तो अपने स्वतंत्र रास्ते पर चलकर या अलग हो चुके चचेरे भाइयों, राज और उद्धव को फिर से एकजुट करके पार्टी के कायाकल्प के लिए अधिक अवसर हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनसीपी के विभाजन के तुरंत बाद, वार्ड स्तर के एमएनएस पदाधिकारी ने एक पोस्टर भी लगाया था, जिसमें ठाकरे बंधुओं से एकजुट होने का आग्रह किया गया था.

हालांकि, राज ठाकरे के करीबी सूत्रों ने कहा कि नेता ने इस संभावना के बारे में खुलकर बात नहीं की है और उनके बीच के इतिहास को देखते हुए, पुनर्मिलन एक कठिन काम हो सकता है.


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ट्विटर युद्ध

सोमवार और मंगलवार को बीजेपी और एमएनएस के बीच खुली जंग देखने को मिली. भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे पर कथित तौर पर टोल टैक्स चोरी करने के लिए राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे की आलोचना की गई और मीडिया से टोल बूथ अधिकारियों द्वारा पूरे 10 मिनट तक रोके जाने की शिकायत की गई.

घटना के बाद एमएनएस कार्यकर्ताओं ने टोल बूथ पर तोड़फोड़ की थी.

वीडियो में कहा गया है, “याद रखें, यह सरकार लोगों की है. यहां किसी एक नेता या उसके बेटे के लिए अलग-अलग नियमों का पालन नहीं किया जाएगा.” वीडियो में अमित ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे की तस्वीरें एक के बाद एक दिखाई गईं.

एमएनएस ने अमित ठाकरे के एक बयान को साझा करते हुए पलटवार किया और कहा कि अगर सत्तारूढ़ दल पार्टियों को तोड़ने में व्यस्त नहीं होते, तो इरशालवाड़ी को भूस्खलन से बचाया जा सकता था. पार्टी ने एक ट्वीट में कहा कि यह बयान बेहद चुभने वाला है, “दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी ने 31 साल के युवा पर इतना बड़ा हमला बोला है.”

पार्टी ने अजित पवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले महाराष्ट्र भाजपा के पुराने ट्वीट को भी दोबारा पोस्ट किया, साथ ही गढ़चिरौली में ट्यूबरक्लोसिस के कारण 23 वर्षीय व्यक्ति की मौत या पालघर में बाढ़ के पानी के माध्यम से एक गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने जैसे कई मुद्दों पर राज्य सरकार की आलोचना की.

दिप्रिंट से बात करते हुए, एमएनएस नेता यशवंत किलेदार ने कहा कि राज ठाकरे और बीजेपी नेताओं के बीच शिष्टाचार मुलाकात “व्यक्तिगत संबंध से बाहर है और इसे एक राजनीतिक दल के रूप में एमएनएस की भूमिका के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए”.

उन्होंने कहा, “अगर सरकार कुछ गलत करती है, अगर सत्तारूढ़ दल कुछ गलत कर रहे हैं, तो क्या एक पार्टी के रूप में हमें अपना पक्ष रखने का अधिकार नहीं है? आख़िरकार, यह एक लोकतंत्र है. शिष्टाचार मुलाकातें हुई हैं और भविष्य में भी हो सकती हैं. लेकिन MNS एक राजनीतिक दल के रूप में अपनी भूमिका पर कायम रहेगी और गलत होने पर सरकार को जवाब देगी.”

मित्रता से लेकर आलोचना तक

पिछले साल से लेकर अब तक बीजेपी नेताओं और राज ठाकरे के बीच कई मुलाकातें हुईं. दोनों पार्टियों के सूत्रों ने कहा कि दोनों संगठन आने वाले सभी चुनावों, खासकर मुंबई नगर निकाय चुनाव के लिए एक खुला गठबंधन नहीं तो कुछ सहमति बनाने के विचार पर सहमत हो रहे हैं.

जबकि एमएनएस 2014 के बाद से चुनावी तौर पर हार का सामना कर रही है, राज ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी अभी भी मुंबई के कुछ वार्डों में शिवसेना (यूबीटी) के लिए खेल बिगाड़ सकती है.

एमएनएस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “उस समय यह सोचा गया था कि MNS के लिए मुंबई में कायाकल्प करने का सबसे अच्छा मौका भाजपा के साथ गठबंधन करना और मराठी वोटों को उद्धव ठाकरे की शिवसेना से दूर करना था. हालांकि हमारा मतदाता वह है जो कांग्रेस और राकांपा विरोधी रहा है, और यह बदली हुई राजनीतिक स्थिति उपरोक्त तर्क को अब मान्य नहीं मानती है.”

एमएनएस ने एनसीपी में फूट और अजित पवार गुट के सरकार में शामिल होने की कड़ी आलोचना की. इस महीने की शुरुआत में, विधानमंडल का मानसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले, मीडिया रिपोर्टों में राज ठाकरे के हवाले से कहा गया था कि पिछले दो वर्षों में महाराष्ट्र में चल रही राजनीति निंदनीय है और हर घर में गुस्सा है.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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