मुंबई: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि उन्होंने कई बार राजनीति छोड़ने के बारे में भी सोचा और राजनीति अब सामाजिक या विकासपरक बदलाव के बजाय सत्ता पर अधिक केंद्रित हो गई है.
नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा, ‘हमें यह समझने की जरूरत है कि आखिर राजनीति शब्द का क्या अर्थ है. क्या राजनीति समाजकरण (सामाजिक कार्य), राष्ट्रकरण (राष्ट्र निर्माण), विकास (विकास कार्य) या सिर्फ सत्ताकरण (सत्ता का खेल) है?’
उन्होंने कहा कि पहले के समय में—महात्मा गांधी के समय से—राजनीति एक सामाजिक आंदोलन का हिस्सा थी. इसका मतलब सामाजिक कार्य और राष्ट्र निर्माण से जुड़ा होना अधिक था.
गडकरी ने कहा, ‘लेकिन अब हम देख रहे है कि इसका मतलब 100 प्रतिशत सत्ताकरण (पावर प्ले) हो गया है.’ उन्होंने कहा कि राजनीति को सामाजिक और आर्थिक सुधार का एक सच्चा साधन होना चाहिए.
नागपुर से सांसद और सड़क परिवहन और राजमार्ग जैसे केंद्रीय मंत्रालयों को संभाल रहे गडकरी यहां सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) गिरीश गांधी को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
गडकरी ने कहा, ‘जब गिरीश भाऊ राजनीति में थे तो मैं उन्हें हतोत्साहित करता था. मैंने भी इस बारे में काफी सोचा कि मुझे कब राजनीति छोड़ देनी चाहिए. जीवन में कुछ करने के लिए राजनीति से बेहतर तमाम चीजें हैं.’
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पूर्व एमएलसी गिरीश गांधी ने 2014 में पार्टी छोड़ दी थी. गडकरी के करीबी सहयोगी गांधी ने तब से किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
गडकरी ने यह भी कहा कि राजनीति ‘विरोधाभासों, मजबूरियों और सीमाओं’ का खेल है.
उन्होंने आगे कहा, ‘कोई नहीं जानता कि कब क्या हो जाए. जैसा कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है.’
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