नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान विपक्ष पर हमलावर बने रहे. इस दौरान उन्होंने तीन पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर मशहूर कवि मैथिलीशरण गुप्त, सुभाषचंद्र बोस तक को याद किया..यही नहीं किसान आंदोलन से नाराज विपक्ष की तुलना उन्होंने ‘नाराज फूफी’ तक से कर डाली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनाकाल का जिक्र करते हुए कहा ‘कोरोना के कारण आप लोग फंसे रहते होंगे, लेकिन आपने सारा गुस्सा मेरे ऊपर निकाल दिया तो आपका मन भी हल्का हुआ. मैं आपके लिए काम आया, ये मेरा सौभाग्य मानूंगा. ये आनंद आप लगातार लेते रहिए और मोदी है तो मौका लीजिए.’
पीएम मोदी ने सफेद कुर्ते के साथ जामवारी शॉल ओढ़ा था..वो करीब एक घंटे तक बोले और इस दौरान उनके निशाने पर विपक्ष लगातार बना रहा. अपने अभिभाषण में पीएम ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जो सदन में मौजूद थे कि ओर इशारा करते हुए उनके पुराने एक बयान को दोहराया. उन्होंने मनमोहन सिंह के उस बयान को पढ़कर विपक्ष को याद दिलाया कि कैसे उन्होंने कृषि से जुड़े एक बड़े बाजार की वकालत की थी.
मोदी बोले, ‘मजा ये है जो लोग पॉलिटिकल बयानबाजी करते हैं उछल-उछल के, उनकी सरकारों ने भी अपने-अपने राज्यों में थोड़ा-बहुत तो किया ही है. किसी ने कानूनों की मंशा पर सवाल नहीं उठाए हैं. शिकायत ये है कि तरीका ठीक नहीं था… जल्दी कर दिया… ये रहता है. वो तो परिवार में शादी होती है तो फूफी नाराज होकर कहती है.. मुझे कहां बुलाया.. वो तो रहता है… इतना बड़ा परिवार है तो वो तो रहता ही है.’
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आंदोलन जीवी और परजीवी
किसान आंदोलन का जिक्र किए जाने के दौरान प्रधाननंत्री ने बुद्धिजीवी से लेकर आंदोलन जीवी और परजीवी तक की बात की. उन्होंने कहा, ‘हमने बुद्धिजीवी सुने थे लेकिन अब आंदोलनजीवियों की एक नई जमात आ गई है जो हर आंदोलन में दिखाई देते हैं. ये वकीलों का आंदोलन हो, छात्रों का आंदोलन हो, सब जगह पहुंच जाते हैं. ये आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं. देश को इन आंदोलनजीवियों से बचाने की जरूरत है.
पीएम ने लोगों को अगाह करते हुए कहा, ‘ऐसे लोगों की पहचान करके हमें इनसे बचना होगा. हमें ऐसे लोगों से सतर्क रहने की जरूरत है जो भारत को अस्थिर करना चाहते हैं. ‘
सदन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का उद्धरण पढ़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमारी सोच है कि बड़ी मार्केट को लाने में जो अड़चने हैं, हमारी कोशिश है कि किसान को उपज बेचने की इजाजत हो.’ प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है, आप गर्व कीजिए.’
कांग्रेस और सभी दलों ने कृषि सुधारों की बात कही है. पिछले 2 दशक से ये सारी बातें चल रही हैं. ये समाज परिवर्तनशील है. आज के समय हमें जो सही लगा उसे लेकर चलें, आगे नई चीजों को जोड़ेगें. रुकावटें डालने से प्रगति कहां होती है.
मैं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के एक उद्धरण पर प्रकाश डालना चाहूंगा, ‘उन्होंने कहा था, 1930 के दशक में पूरे विपणन शासन की स्थापना के कारण अन्य कठोरता हैं जो हमारे किसानों को अपनी उपज बेचने से रोकते हैं जहां उन्हें रिटर्न की उच्चतम दर मिलती है.’
इसी वाक्य के साथ प्रधानमंत्री ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की. उन्होंने कहा कि एमएसपी था, है और हमेशा रहेगा.
LIVE: PM Shri @narendramodi's reply to the motion of thanks on the President's Address in the Rajya Sabha. #PMinRajyaSabha https://t.co/Kj67VyEMjd
— BJP (@BJP4India) February 8, 2021
सदन को याद दिलाए शास्त्री से सुभाष चंद्र बोस तक
मोदी यहीं नहीं रुके इसके बाद उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री को भी याद किया और कहा, ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी को जब कृषि सुधारों को करना पड़ा, तब भी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वो पीछे नहीं हटे थे. तब लेफ्ट वाले कांग्रेस को अमेरिका का एजेंट बताते थे, आज मुझे ही वो गाली दे रहे हैं. पीएम ने कहा, ‘जब भी कोई नया कानून आता है, कुछ वक्त के बाद उसमें सुधार होता ही है.’
पीएम ने अपने अभिभाषण के दौरान बारी बारी से न केवल सदन में मोजूद लोगों की कही गई बातों के जवाब दिए बल्कि सदन को याद दिलाया कि किसने कब कब क्या क्या कहा था.इसी दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की बात का भी जिक्र किया. पीएम ने कहा, ‘छोटे किसानों की दयनीय स्थिति हमेशा चौधरी चरण सिंह को परेशान करती थी.
उनका कथन है- ‘किसानों का सेंसस लिया गया तो 33% किसान ऐसे हैं जिनके पास जमीन दो बीघे से कम हैं, दो बीघे नहीं है. 18 फीसदी जो किसान कहलाते हैं, उनके पास दो बीघे से चार बीघे जमीन हैं. ये 51% किसान चाहे जितनी मेहनत करें, अपनी थोड़ी सी जमीन पर ईमानदारी से इनकी गुजर नहीं हो सकती.’
पीएम ने उनकी बातों को याद दिलाने हुए कहा कि अगर अब हम आगे देखें तो ऐसे किसान जिनके पास 1 हेक्टेयर से भी कम जमीन है, 1971 में वे 51% थे, आज 68% हो चुके हैं. ‘यानी देश में ऐसे किसानों की संख्या बढ़ी है जिनके पास बहुत थोड़ी सी जमीन है. आज लघु और सीमांत किसानों को मिलाएं तो 86% से ज्यादा किसानों के पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है. ऐसे किसान 12 करोड़ है. क्या इन किसानों के प्रति हमारी कोई जिम्मेवारी नहीं?’
तृणमूल के सांसद डेरक ओ ब्रायन और कांग्रेस सांसद बाजवा को भाषण और नाम का जिक्र कर उन्होंने कुछ ऐसा कहा कि खुद बाजवा मुस्कुरा पड़े. वहीं गुलाम नबी आजाद को लेकर कांग्रेस को घेरते रहे.
पीएम ने कहा, कांग्रेस के बाजवा साहब भी बोल रहे थे. वह इतने विस्तार से बोल रहे थे कि मुझे लगा कि वह शीघ्र ही आपातकाल (अवधि) तक पहुंच जाएंगे और इस पर बोलेंगे, वह इससे केवल एक कदम दूर हैं. लेकिन वह वहां तक नहीं गए. कांग्रेस इस देश को बहुत निराश करती है, आपने भी ऐसा किया है.’
Bajwa sahab from Congress was also speaking. He was speaking in such detail that I thought he will reach Emergency (period) shortly and speak on it, he is just one step away from it. But he didn't go there. Congress disappoints this country a lot, you did that too: PM Modi pic.twitter.com/YjHtjP0erc
— ANI (@ANI) February 8, 2021
पीएम ने इस दौरान गुलाम नबी आजाद के भाषण पर कांग्रेस की चुटकी ली. पीएम ने कहा, गुलाम नबी जी हमेशा शालीनता से बोलते हैं, कभी भी गलत शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते. हमें उनसे यह सीखना चाहिए, मैं इसके लिए उसका सम्मान करता हूं.
पीएम ने आगे कहा गुलाम नबी साहब ने जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों की प्रशंसा की मुझे विश्वास है कि आपकी पार्टी इसे सही भावना में लेगी, और जी -23 के सुझावों को सुनकर इसके विपरीत करने की गलती नहीं करेगी.’
Ghulam Nabi ji always speaks decently,never uses foul language. We should learn this from him,I respect him for it. He praised elections held in J&K… I believe your party will take it in right spirit,& not commit mistake of doing opposite by listening to suggestions of G-23: PM pic.twitter.com/WQEbSak4fB
— ANI (@ANI) February 8, 2021
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में मैथिलीशरण गुप्त की कविता की पंक्तियां पढ़ी- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है. तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल पल है अनमोल. अरे भारत! उठ, आंखें खोल..!
आज के समय में अगर कहा जाता है तो ऐसे कहते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा हर बंदिश को तोड़, अरे भारत आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़.
पीएम ने सदन में नेताजी के भाषण के एक अंश को भी कोट किया. ‘हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टिट्यूशन नहीं है. ये एक ह्यूमन इंस्टिट्यूशन है. भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों से उदाहरणों से भरा पड़ा है. प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है. आज देशवासियों को भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है. भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीण है, न स्वार्थी है और न ही आक्रामक है. ये सत्यम शिवम सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है’.’
आदरणीय सभापति जी, ये कोटेशन आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस का है. और संयोग है कि उनकी 125वीं जयंती हम मना रहे हैं. दुर्भाग्य इस बात का है कि जाने-अनजाने में नेताजी की इस भावना को, नेताजी के इन विचारों को, नेताजी के इन आदर्शों को भुला दिया है. और उसका परिणाम है कि आज हमीं हमको कोसने लग गए हैं.’
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