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Sunday, 22 December, 2024
होमराजनीतिसंसद प्रांगण में भावुक हो एक बार फिर रो पड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

संसद प्रांगण में भावुक हो एक बार फिर रो पड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

गुजरात चुनाव के बाद पहली बार भाजपा सांसदों को संबोधित कर रहे थे. मई 2014 में भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद मोदी भावनाओं में बहकर रो पड़े थे.

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नई दिल्ली : बुधवार को भाजपा के सांसदों को संबोधित करते हुए भावुक हुए. गुजरात में कड़वी लड़ाई के बाद लगातार छठी बार जीतने के बाद यह भाजपा संसदीय दल की पहली बैठक थी.

दिप्रिंट को सूत्र बताते हैं कि ‘गुजरात’ शब्द का उच्चारण करते ही मोदी की आंखों में आंसू आ गए, एक बार नहीं बल्कि तीन बार, जब-जब उन्होंने गृहराज्य से प्रधानमंत्री कार्यालय तक की अपनी यात्रा को याद किया.

तीन वर्षो में यह दूसरी बार है, जब मोदी संसद में भावुक हुए हैं. मई 2014 में भी मोदी भावनाओं में बहकर रो पड़े थे, जब उनको भाजपा संसदीय दल का नेता चुना गया था.

मोदी ने याद किया कि गुजरात में 1990 के दशक में जब भाजपा को बहुमत मिला था, तो किस तरह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कई बार उनकी पीठ ठोंकी थी.

भाजपा सूत्रों के मुताबिक मोदी ने कहा, ‘वाजपेयी जी ने कई बार मेरी पीठ ठोंकी और सीटों की संख्या के लिए मेरी तारीफ की.’

प्रधानमंत्री ने सांसदों को याद दिलाया कि गुजरात की विजय आसानी से नहीं मिली है. उन्होंने कहा, ‘यह आसान जीत नहीं थी. किसी को भी यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि यह आसानी से मिली जीत है.’

मोदी ने कहा कि गुजरात भाजपा ने दो मजबूत नेताओं केशुभाई पटेल और शंकरसिंह वाघेला को हाल-फिलहाल खोया है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दोनों ही मजबूत समुदायों से थे. हालांकि, हमने जीत दर्ज की. यह सिद्ध करता है कि लोग आपका समर्थन करेंगे, यदि आप ईमानदारी से अपना काम करें.’

मोदी यह कहते हुए भावुक हो गए कि कोई भी प्रधानमंत्री सत्ता में आने के तीन वर्षों के अंदर इतने राज्यों में जीत नहीं दर्ज कर पाया था.

मोदी ने कहा, ‘मैंने गुजरात का दौरा 12 दिसंबर को खत्म किया और सर्वदलीय बैठक मे भी भाग लिया. मैंने इस बीच कई और राज्यों का भी दौरा किया. मैं आप सभी को ऐसा ही करने का आमंत्रण देता हूं. आप मेंरे साथ आ सकते हैं, लेकिन आपको जानना चाहिए कि आपको मेरी तरह काम करना होगा.’

प्रधानमंत्री ने नेताओं को ज़मीनी स्तर तक पहुंचने और काम करने को कहा.

मोदी ने कहा, ‘सबसे बड़ा नेता भी जीत का आनंद लेता है, जब वह कड़ी मेहनत से मिली हो.’

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