नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को राज्य सभा में सदन का नेता नियुक्त किया गया है. वह थावरचंद गहलोत की जगह लेंगे जिन्हें कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया है.
सूत्रों ने बुधवार को बताया कि संसदीय कार्य मंत्रालय ने राज्य सभा सचिवालय को सूचित किया है कि गोयल सदन के नेता होंगे.
संसदीय सूत्रों ने बताया कि गोयल का दर्जा बढ़ाना पार्टी में उनके कद को दिखाता है.
‘यह बहुत ही प्रभावी और प्रतिष्ठित पद है. अतीत में इस पद को लाल बहादुर शास्त्री, कमलापति त्रिपाठी, इंद्रजीत गुप्ता, मनमोहन सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, प्रणब मुखर्जी, अरुण जेटली जैसे लोगों ने संभाला है.’
भाजपा सूत्र ने कहा कि सदन के नेता के रूप में, गोयल को उच्च सदन में सरकार और विपक्षी दलों के बीच संपर्क का काम देखना होगा.
गोयल 2010 से राज्य सभा के सदस्य हैं.
पिछले हफ्ते हुए कैबिनेट फेरबदल में गोयल को वाणिज्य और कपड़ा मंत्रालय का जिम्मा दिया गया. 2019 से उनके पास रेल मंत्रालय था. गोयल पांच कैबिनेट समितियों के भी हिस्सा हैं.
राज्य सभा के दो बार के सदस्य गोयल वर्तमान में उच्च सदन में राजग के उपनेता हैं और वह केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य भी हैं. उनके पास वाणिज्य और उद्योग, खाद्य एवं उपभोक्ता तथा कपड़ा मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालयों का दायित्व है.
वर्ष 2014 में मंत्री बनने से पहले गोयल पार्टी के कोषाध्यक्ष थे. वह भाजपा की चुनाव प्रबंधन गतिविधियों में भी शामिल रहे हैं.
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सदन का नेता
राज्य सभा के कामकाज के नियमों के अनुसार, सदन का नेता सदन के कामकाज से संबंधित प्रक्रियात्मक मामलों को देखता है और जब भी आवश्यकता होती है, अपनी सलाह देता है. उस उद्देश्य के लिए, वह आम तौर पर या तो सदन में या संसद की चर्चा के दौरान अपने कमरे में उपस्थित होता है.
परंपरा के तौर पर, जब सदन की सेवा से किसी सदस्य के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया जाता है तो आमतौर पर सदन के नेता से परामर्श किया जाता है.
(मौसमी दासगुप्ता के इनपुट के साथ)
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