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Wednesday, 18 December, 2024
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लाभार्थियों का OTP वेरिफिकेशन, रोज़ रिपोर्ट — UP में लोकसभा अभियान का सूक्ष्म प्रबंधन कैसे कर रही है BJP

यूपी बीजेपी इकाई के एक जिला अध्यक्ष ने बताया कि ‘वरिष्ठों को बेवकूफ बनाने’ का कोई तरीका नहीं है क्योंकि सब कुछ रोज़ाना रिकॉर्ड करके रिपोर्ट कार्ड भेजा जा रहा है, जिसे डिजिटल किया जा रहा है.

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लखनऊ: हर रोज़ रिपोर्ट कार्ड, नुक्कड़ सभाओं में उम्मीदवारों की अनिवार्य उपस्थिति से लेकर पन्ना प्रमुखों का परिवारों के एक समूह के लिए ‘जिम्मेदार’ होना — उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का चुनाव अभियान संपूर्ण और जवाबदेही पर आधारित है.

पार्टी के एक जिला अध्यक्ष ने कहा कि “कोई भी वरिष्ठों को मूर्ख नहीं बना सकता” क्योंकि सब कुछ हर रोज़ रिकॉर्ड किया जा रहा है और रिपोर्ट कार्ड ऊपर भेजा जा रहा है, जिसे डिजिटल किया जा रहा है.

देश के सबसे बड़े राज्य में आगामी लोकसभा के लिए भाजपा का अभियान प्रबंधन कॉरपोरेट कुछ ऐसा है. कार्यकर्ता रोज़ाना संपर्क किए गए मतदाताओं का विस्तृत विवरण तैयार करते हैं, सभी जिला प्रमुखों की साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं और उम्मीदवारों की दैनिक गतिविधि की रूपरेखा तैयार की जाती है.

उदाहरण के लिए लाभार्थी संपर्क अभियान में पार्टी और बूथ स्तर के कार्यकर्ता दैनिक आधार पर महत्वपूर्ण केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंच रहे हैं, लेकिन बूथ स्तर पर एक पार्टी कार्यकर्ता केवल यह दावा नहीं कर सकता कि उसने एक निश्चित संख्या में लोगों से संपर्क किया है. प्रत्येक श्रमिक या लाभार्थी जिससे वे संपर्क करते हैं, उन्हें पार्टी के टोल-फ्री नंबर पर कॉल करने के लिए कहा जाता है. लाभार्थी को एक ओटीपी आता है, जिसके जरिए से यह वेरीफाई जाता है कि सच में संपर्क किया गया है.

जिला अध्यक्ष ने बताया, “हम हर दिन जिलों में एक हज़ार से अधिक श्रमिकों से संपर्क करते हैं. हमने अब तक 1.5 लाख से अधिक को कवर किया है और लक्ष्य 5-6 लाख है. नंबरों में जालसाजी की कोई गुंजाइश नहीं है — यह सब डिजिटल रूप से प्रबंधित है.”

हर एक श्रमिक संपर्क रिपोर्ट कार्ड में संसदीय क्षेत्र संख्या, लोकसभा क्षेत्र, कवर किए गए मंडल, प्रत्येक मंडल में कार्यकर्ताओं की संख्या और संपर्क किए गए लोगों की संख्या शामिल होती है, जिसमें “वेरीफाई” लोगों का एक अलग कॉलम होता है.

पार्टी द्वारा आयोजित नुक्कड़ सभाएं इस बात का एक और उदाहरण हैं कि अभियान की कितनी सावधानीपूर्वक निगरानी की जाती है. हर एक निर्वाचन क्षेत्र में कितनी नुक्कड़ सभाएं — गांवों में लगभग 50 से 60 लोगों की सभा — आयोजित करने की योजना है. योजना पहले से ही पार्टी द्वारा विस्तृत है और उम्मीदवार को बिना किसी असफलता के दिन की सभाओं में शामिल होना है. फिर हर एक बैठक की तस्वीरें अपलोड की जाती हैं और केंद्र में पार्टी प्रबंधन के साथ साझा की जाती हैं.


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जिला अध्यक्ष ने कहा, “राज्य भर के सभी जिला अध्यक्षों की साप्ताहिक बैठकों में इसकी समीक्षा की जाती है. अगर कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है, यहां तक कि बी.एल. संतोष (भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव) जैसा कोई भी उनकी खिंचाई कर सकते हैं और उन्हें लक्ष्य पूरा करने के लिए कह सकते हैं.”

एक सख्त पदानुक्रम है जो हर स्तर पर निष्पादन सुनिश्चित करता है. भाजपा की केंद्रीय टीम शीर्ष पर है, उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी और महासचिव (संगठन) धर्मपाल सिंह की अध्यक्षता वाली राज्य टीम है.

राज्य टीम के नीचे, अलग-अलग क्षेत्रीय टीमें हैं, जिन्हें आगे जिला टीमों में विभाजित किया गया है. प्रत्येक जिले में दो प्रमुख होते हैं, जिनके अधीन लगभग 20 से 30 मंडल होते हैं, प्रत्येक के अपने मंडल अध्यक्ष होते हैं. इन्हें आगे शक्तिकेंद्रों में विभाजित किया गया है, जिनके मुखिया संयोजक हैं. प्रत्येक शक्तिकेंद्र के अंतर्गत चार से पांच बूथ होते हैं. प्रत्येक बूथ में लगभग 1,000 लोग होते हैं, जिन्हें पन्ना प्रमुखों में विभाजित किया जाता है — जो पार्टी की विशाल संरचना की सबसे निचली इकाई है.

पार्टी के घर-घर संपर्क अभियान के अनुसार, प्रत्येक पन्ना प्रमुख से चुनाव से पहले अपने दायरे के प्रत्येक घर में तीन से पांच बार जाने की उम्मीद की जाती है. पन्ना प्रमुख मतदाता सूची के एक पृष्ठ का प्रमुख होता है, जिसमें लगभग 30 मतदाता होते हैं और उन तक पार्टी का संदेश सीधे पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि ये मतदाता चुनाव के दिन मतदान करने आएं.

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, “मतदान से छह से सात दिन पहले, वे इन घरों में जाएंगे और उन्हें परिवार पर्ची देंगे, जिसमें परिवार के सभी मतदाताओं का विवरण होगा और उन्हें अपना वोट डालने के लिए कहां जाना है.”

पदाधिकारी ने कहा, “आखिरकार, मतदान से तीन दिन पहले, वे व्यक्तिगत मतदाता पर्चियां भी सौंपते हैं. ये चुनाव से पहले मतदाताओं के साथ नियमित संपर्क सुनिश्चित करने के तरीके हैं.”

पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी के अनुसार, पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग 1.75 लाख बूथ हैं, जिनमें से प्रत्येक में 15 से 20 पन्ना प्रमुख हैं.

जिला अध्यक्ष ने कहा, “इस बार हमारा माइक्रो लेवल प्रबंधन 2019 की तुलना में काफी मजबूत है. ज़मीनी स्तर पर, हमारा अभियान बहुत अच्छी तरह से समन्वित है और दिल्ली में केंद्रीय टीम द्वारा बारीकी से निगरानी की जा रही है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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