नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए 12 राज्यसभा सदस्यों के निलंबन के विरोध में बुधवार को संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया और निलंबन रद्द करने की मांग की.
संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन में राहुल गांधी के अलावा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टीआर बालू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले और कई अन्य सांसद भी मौजूद थे.
विपक्षी सांसदों ने ‘वी वान्ट जस्टिस’, ‘निलंबन वापस लो’ के नारे लगाए.
कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि 12 सदस्यों का निलंबन रद्द किया जाना चाहिए ताकि सदन सुचारू रूप से चल सके. मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वह निलंबन के फैसले पर पुनर्विचार करें और निलंबन रद्द करें.
Delhi | Congress MP Rahul Gandhi among opposition MPs protesting against the suspension of 12 opposition members of Rajya Sabha pic.twitter.com/98Ssz5RJt8
— ANI (@ANI) December 1, 2021
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विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ा शून्यकाल
12 सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन की बैठक बुधवार को शुरू होने के दस मिनट बाद ही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. उसके बाद जैसे ही कार्यवाही शुरू की गई सदन में एक बार फिर हंगामा शुरू हो गया जिसके बाद सदन 2 बजे तक स्थगित कर दी गई.
हंगामे की वजह से उच्च सदन में शून्यकाल नहीं हो पाया.
Winter session of Parliament | Rajya Sabha adjourned till 2 pm as Leader of Opposition Mallikarjun Kharge raised the issue of suspension of 12 MPs. pic.twitter.com/kMeJcivIom
— ANI (@ANI) December 1, 2021
बैठक शुरू होने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए . इसके बाद उन्होंने जैसे ही शून्यकाल शुरू कराया, विपक्षी सदस्यों ने 12 सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया और अपने स्थानों से आगे आ गए.
सभापति ने सदस्यों से कहा कि वह जो कुछ कर रहे हैं, उसे पूरा देश देख रहा है. उन्होंने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और शून्यकाल चलने देने को कहा . उन्होंने कहा ‘…. कोई पछतावा नहीं है. आसन के समक्ष आ जाना, कार्यवाही बाधित करना, सदन में तख्तियां दिखाना, नारेबाजी करना, मंत्री के हाथों से दस्तावेज छीनना, कागज फाड़ कर आसन की ओर उछालना, अवज्ञा करना… वह सब कुछ करना जो सदन की गरिमा के, नियमों के खिलाफ है… और उस पर कोई पछतावा नहीं….’
नायडू ने कहा ‘आप कार्यवाही नहीं चलने देना चाहते, आप शून्यकाल नहीं चलने देना चाहते, आप विशेष उल्लेख नहीं चाहते… जो कुछ आप कर रहे हैं, वह लोग देख रहे हैं.’
सदन में व्यवस्था बनते नहीं देख उन्होंने करीब 11:10 बजे बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
गौरतलब है कि संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया.
उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी.
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं.
इससे पहले बैठक शुरू होने पर केसी(एम) पार्टी के जोस के मणि को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई गई. मणि केरल से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं.
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