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Tuesday, 16 December, 2025
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‘पिछड़ा’ बताते हुए G RAM G बिल को लेकर केंद्र पर विपक्ष का हमला, प्रियंका और थरूर ने जताई आपत्ति

लोकसभा में ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज चौहान ने जब नया बिल पेश करने की कोशिश की, जो MGNREGA की जगह लेने वाला है, तो विपक्ष की बेंचों पर विरोध शुरू हो गया.

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नई दिल्ली: ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में बदलाव और मनरेगा की जगह नया कानून लाने के प्रस्ताव के खिलाफ विपक्ष ने मंगलवार को जोरदार विरोध दर्ज किया. विपक्ष ने इस कदम को “पिछड़ेपन की ओर ले जाने वाला” बताया और चेतावनी दी कि इससे यूपीए सरकार के दौर में बने काम के अधिकार के ढांचे को कमजोर किया जाएगा.

लोकसभा में उस समय हंगामा हो गया जब ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G विधेयक, 2025 पेश करने की कोशिश की. यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा की जगह लेने का प्रस्ताव करता है.

लोकसभा में विपक्ष की अगुवाई कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा, डीएमके के वरिष्ठ नेता टीआर बालू, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एनके प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने की. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इस पर कड़ा रुख अपनाया, भले ही हाल के दिनों में पार्टी नेतृत्व से उनकी दूरी की चर्चाएं रही हों.

प्रियंका गांधी ने कहा कि किसी भी विधेयक को “किसी की महत्वाकांक्षा, जुनून या पूर्वाग्रह” के आधार पर सदन में पेश या पारित नहीं किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, “हर योजना का नाम बदलने का जुनून समझ से परे है. जब भी ऐसा किया जाता है, केंद्र सरकार को पैसा खर्च करना पड़ता है. बिना किसी चर्चा के, बिना सदन की अनुमति के, इतनी जल्दबाजी में यह विधेयक पारित नहीं किया जाना चाहिए. इस विधेयक को या तो वापस लिया जाए या कम से कम गहन जांच के लिए स्थायी समिति को भेजा जाए.”

जब सत्तापक्ष की ओर से यह कहा गया कि महात्मा गांधी प्रियंका गांधी के परिवार से नहीं थे, तो उन्होंने जवाब दिया, “महात्मा गांधी मेरे परिवार से नहीं थे, लेकिन वे मेरे परिवार जैसे थे, और यही पूरे देश के लिए सच है.”

अपने जवाब में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जब विधेयक पर विस्तृत चर्चा होगी, तब वे विपक्ष द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब देंगे. उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं. कांग्रेस ने जवाहर रोजगार योजना का नाम बदला था. क्या इसका मतलब यह था कि उसने जवाहरलाल नेहरू का अपमान किया. गांधी ने आत्मनिर्भर और सशक्त गांवों की कल्पना की थी. नया कानून गांवों के समग्र विकास के जरिए उनके सपने को साकार करेगा. मुझे G RAM G पर आपत्ति समझ नहीं आती. योजना को कमजोर नहीं किया जा रहा है. यह विधेयक राम राज्य स्थापित करने के लिए है.”

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया मंच एक्स पर नए विधेयक के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया. उन्होंने इसे “महात्मा गांधी के आदर्शों का सीधा अपमान” बताया. उन्होंने लिखा, “मोदी जी को दो चीजों से गहरी नफरत है—महात्मा गांधी के विचारों से और गरीबों के अधिकारों से.”

उन्होंने आगे कहा, “अब मोदी जी मनरेगा को केंद्रीकृत नियंत्रण का औजार बनाना चाहते हैं. पहला, बजट, योजनाएं और नियम केंद्र तय करेगा. दूसरा, राज्यों को 40 प्रतिशत खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा. तीसरा, जैसे ही पैसा खत्म होगा या फसल के मौसम में, मजदूरों को महीनों तक काम नहीं मिलेगा.”

लगभग सभी विपक्षी सांसदों ने विधेयक पेश किए जाने के दौरान आपत्ति जताते हुए कहा कि नई व्यवस्था में राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और योजना मांग आधारित होने के बजाय आपूर्ति आधारित हो जाएगी.

प्रस्तावित बदलाव के तहत केंद्र और अधिकांश राज्य खर्च को 60:40 के अनुपात में साझा करेंगे.

हालांकि, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने थोड़ा अलग रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि समय के साथ योजनाओं और नीतियों को अपडेट करने की जरूरत होती है. लेकिन उन्होंने योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने का विरोध किया और विधेयक को समिति को भेजने की मांग का समर्थन किया.

उनका यह रुख इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि 2011 में यूपीए-2 सरकार के दौरान, जब उनके पिता शरद पवार कृषि मंत्री थे, उन्होंने फसल बोने और काटने के चरम मौसम में योजना के काम रोकने की सिफारिश की थी ताकि खेतों के लिए श्रमिक उपलब्ध हो सकें. नया विधेयक भी कृषि चक्र के चरम मौसम में काम रोकने का प्रस्ताव करता है.

शशि थरूर ने कहा कि केंद्र का यह कदम “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और पिछड़ेपन की ओर ले जाने वाला” है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना विधेयक से उसका “नैतिक आधार और ऐतिहासिक वैधता” छीनने जैसा है.

विधेयक के नाम पर टिप्पणी करते हुए तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने अपने बचपन का एक गीत भी उद्धृत किया. “देखो ये दीवानो ओ दीवानो ये काम मत करो, राम का नाम बदनाम मत करो.” उनका इशारा इस बात की ओर था कि सिर्फ G RAM G जैसा संक्षिप्त नाम बनाने के लिए शीर्षक में हिंदी और अंग्रेजी दोनों का इस्तेमाल किया गया है.

उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है. यह इस अहम कार्यक्रम की आत्मा और दार्शनिक आधार पर हमला है. महात्मा गांधी की राम राज्य की कल्पना कभी केवल राजनीतिक कार्यक्रम नहीं थी. यह गांवों को सशक्त बनाने पर आधारित सामाजिक-आर्थिक खाका था. मूल कानून ने इस गहरे संबंध को स्वीकार किया था कि सच्ची रोजगार गारंटी और उत्थान जमीनी स्तर से ही आना चाहिए.”

थरूर ने कहा कि योजना का 40 प्रतिशत वित्तीय बोझ राज्यों पर डालना न सिर्फ “वित्तीय रूप से गैर-जिम्मेदाराना” है, बल्कि इससे योजना के टिकाऊ रहने पर भी खतरा पैदा होगा.

उन्होंने कहा, “देयता में यह अचानक और भारी बदलाव गरीब राज्यों के लिए इसे असंभव बना देगा. इससे मजदूरी भुगतान में देरी होगी, काम के दिन घटेंगे और अंततः योजना का ही विनाश हो जाएगा.” उन्होंने प्रियंका गांधी की बात को दोहराया.

डीएमके सांसद टी.आर. बालू ने आरोप लगाया कि नए विधेयक के जरिए “राष्ट्रपिता का मजाक उड़ाया जा रहा है.” सौगत राय ने कहा कि भगवान राम एक पूजनीय व्यक्तित्व हैं, लेकिन “महात्मा गांधी ज्यादा प्रासंगिक हैं.”

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोलते हुए कहा, “आप उस मंत्री के रूप में याद किए जाएंगे जिसने महात्मा गांधी का नाम हटाया.”

समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यह विडंबना है कि सत्ताधारी दल के नेता “दुनिया भर में घूमकर महात्मा गांधी की मूर्तियों पर माला चढ़ाते हैं”, लेकिन योजना से उनका नाम हटा रहे हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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