नई दिल्ली: 75 साल के बीएस येदियुरप्पा भले भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय राजनीति की उम्र सीमा को पार कर लिया हो पर बीजेपी की दक्षिण भारत की राजनीति में अभी भी वे जवान हैं. इसी साल फरवरी में 75 साल पूरा किए ताक़तवर लिंगायत समुदाय के नेता येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बनने के लिए अब और इंतजार करने के मूड में नहीं है. बीजेपी हाईकमान ने उन्हें लोकसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के लिए जोर आजमाईश करने से मना किया था पर लोकसभा चुनाव में राज्य की 28 में से 25 सीटें मोदी की झोली में भरने के बाद येदियुरप्पा का धैर्य जबाब दे रहा है.
इसी बीच कर्नाटक लोकसभा के नतीजे, कुमारस्वामी के हठीपन, कांग्रेस के बंगलूरू लॉबी का उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर के खिलाफ बग़ावत ने जेडीएस कांग्रेस गठबंधन आपसी मतभेद को खोलकर सामने रख दिया है.
तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए ताक़तवर नेता येदियुरप्पा के लिए ऑपरेशन लोटस को पूरा करने का इससे बेहतर कोई मौका नहीं हो सकता था. यह पहली बार हो रहा है कि सरकार गिराने की कोशिश कर चुके येदियुरप्पा के हाथ में असंतुष्ट विधायकों का पका पकाया खेमा आता दिख रहा है .
कांग्रेस पार्टी के पूर्व मंत्री रामलिंगा रेड्डी के क़रीबी चार विधायक ने उपमुख्यमंत्री परमेश्वर के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है सात बार के विधायक रामालिंगा रेड्डी उपमुख्यमंत्री रामेश्वरम के इस्तीफे के बाद अपना रुख नरम करने को तैयार हैं वहीं जेडीएस के संकट की वजह खुद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी है.
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बंगलूरु में तेजी से बदलते हालात में विधायकों की निगरानी के लिए बीजेपी ने सोमवार शाम बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई है और बैठक के बाद सभी विधायकों को बंगलूरू के बाहर सुरक्षित रिजॉर्ट में स्थानांनतरित किया जाएगा . बीजेपी मंगलवार तक स्पीकर का फैसला आने तक अपनी तरफ से सरकार को गिराने की पहल करते हुए नहीं दिखना चाहती है. बीजेपी कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की आपसी कलह के कारण स्वाभाविक राजनैतिक मौत से उपजी परिस्थिति में स्थायी सरकार के विकल्प के रूप में अपने को दिखाना चाहती है.
कुछ और विधायकों के इस्तीफे के बाद बीजेपी बल्लेबाज़ी के पक्ष में
कर्नाटक बीजेपी नेताओं के मुताबिक अगले दो दिनों में गठबंधन के बीच जारी असंतोष के कारण कुछ और विधायक इस्तीफ़ा दे सकते है और ऐसे में स्पीकर के आर रमेश पर 13 विधायकों के इस्तीफा स्वीकार करने का दबाब बढ़ेगा. सोमवार सुबह निर्दलीय विधायक और मंत्री एच नागेश के इस्तीफे के बाद कांग्रेस जेडीएस गठबंधन पर सरकार बचाने की खुली खिड़की बंद होती दिखाई दे रही है .जिस तेजी से निजी विमान से निर्दलीय विधायक एच नागेश को बंगलूरू से मुबंई पहुंचाया गया वह बीजेपी की तख्ता पलटने की तैयारी को दिखाता है.
बीजेपी रणनीतिकारों के मुताबिक कोई भी विधायक इतनी जल्द चुनाव में नहीं जाना चाहता और बीजेपी के स्थायी सरकार देने की संभावना के कारण गठबंधन से ऐसे असंतुष्ट विधायक निकलना चाहते हैं .
अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी
बीजेपी के प्लान के मुताबिक बुधवार तक स्पीकर अगर 13 विधायकों के इस्तीफ़े स्वीकार नहीं करते तो बीजेपी कुमारस्वामी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी करने वाली है इसके लिये 12 दिन का नोटिस देना होगा ऐसी स्थिति में राजनैतिक दलबदल का खेल लंबा चलने की संभावना है.
अपने विधायकों को लेकर आश्वस्त बीजेपी राजनैतिक दलबदल के लंबा खिंचने पर अपने फायदा की उम्मीद कर रही है . 224 के सदन में इस्तीफ़े स्वीकार किए जाने के बाद विधानसभा की वास्तविक संख्या 211 रह जाएगी जिसमें गठबंधन के विधायकों की संख्या स्पीकर मिलाकर 106 रह जाएगी . बीजेपी का संख्याबल 105 है यानि साधारण बहुमत से महज दो विधायक कम ऐसी स्थिति में जेडीएस कांग्रेस के लिए सरकार बचाना बेहद मुश्किल होगा .
बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व जल्दबाजी के पक्ष में नहीं
कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष येदियुरप्पा की जल्दबाजी के कारण अपने हाथ जला चुकी बीजेपी हाईकमान इस बार जल्दबाजी में कोई फ़ैसला नहीं लेना चाहता. कर्नाटक के बीजेपी प्रभारी मुरलीधर राव के मुताबिक ‘अभी स्थिति बदल रही है और पार्टी स्पीकर के फैसले आने के बाद ही वैकल्पिक सरकार बनाने की दिशा में कदम उठाएगी.’ बीजेपी मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के राज्यपाल से मानसून सत्र स्थगित करने का अनुरोध करने की स्थिति में राज्यपाल के फैसले का भी इंतजार करना चाहती है.
कर्नाटक से केन्द्र सरकार में शामिल संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को कहा कि कर्नाटक का संकट देवगौड़ा और सिद्धारमैया की आपसी राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई है और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनने के लिए जेडीएस को ब्लैकमेल कर रहें है इस पूरे घटनाक्रम में बीजेपी किसी तरह शामिल नहीं है. बीजेपी का यह बयान मूलत जेडीएस कांग्रेस के संकट को अंदरूनी करार देने के तहत दिया गया है ताकि स्थिति पलटने पर या सरकार बच जाने की सूरत में बीजेपी पर छींटे ना पड़े .
विधानसभा सत्र टालने की जेडीएस कांग्रेस रणनीति क्या रंग लायेगी ?
वहीं कुमारस्वामी सरकार के पास अब मात्र दो विकल्प बचे है एक तो मुख्यमंत्री पद को छोड़ना और असंतुष्टों के नुमाइन्दों को सत्ता की बागडोर सौंपना पर यह इतना आसान नहीं है दैवगौड़ा परिवार को यह त्याग शायद ही मंज़ूर हो. असंतोष की चाबी सिद्धारमैया मल्लिकार्जुन खड़गे से निकलकर बीजेपी के हाथ में जानें की सूरत में ऐसा कर पाना बेहद मुश्किल होगा .दूसरा विकल्प संभावनाएं तलाशने के लिए विधानसभा सत्र टालने का है पर इसके राज्यपाल की सहमति जरूरी है .
कांग्रेसी विधायकों के नहीं मानने पर कारवाई की तैयारी
कांग्रेस ने अपने असंतुष्टों को मनाने के लिए सारे मंत्रियों के इस्तीफे ले लिए है और असंतुष्ट विधायकों को मंत्रिपद का ऑफर दिया है पर मंत्रिपद ठुकराने और इस्तीफे वापस नहीं लेने की सूरत में कांग्रेस के पास उनपर कारवाई करने का ही विकल्प बचा है . कांग्रेस ने मंगलवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है जिसमें भाग नहीं लेने पर बाग़ी विधायकों के खिलाफ कारवाई का विकल्प खुल जाता है लेकिन वैसी सूरत तभी आएगी जब कांग्रेस मान चुकी होगी कि विधायक किसी सूरत में इस्तीफे वापस लेने को तैयार नहीं है और सरकार बचाने के लिये क़ानूनी रास्ता अपनाने का ही एकमात्र विकल्प बचा है .