पुट्टुपल्ली (कोट्टायम): दो बार केरल के मुख्यमंत्री रहे ओमान चांडी का कहना है कि सितंबर 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी थी, तो कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने मंदिर की ‘विशेष परिस्थितियों पर विचार किए बिना’ एक बयान जारी किया था.
कांग्रेस ने अपने बयान ने फैसले का स्वागत किया था और इसे ‘प्रगतिशील और दूरगामी’ नतीजे वाला करार दिया था. हालांकि, अपने पुथुपल्ली स्थित निवास पर दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में चांडी ने कहा कि आमतौर पर कांग्रेस पार्टी लैंगिक समानता के पक्ष में खड़ी होती है, लेकिन सबरीमला मुद्दा स्पष्ट रूप से अलग था.
चांडी ने कहा, ‘यह एक सदियों पुरानी परंपरा है. इसके अलावा, यहां महिलाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं था लेकिन केवल एक विशेष आयु वर्ग की महिलाओं के आने पर रोक थी. और महिलाएं भी खुद को मंदिर से दूर रखना चाहती हैं.’
अब, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के चुनावी घोषणापत्र में पत्थानमथिट्टा जिले में स्थित मंदिर की परंपराओं की रक्षा के लिए एक कानून बनाने का वादा किया गया है. लेकिन चांडी इसे अपनी पार्टी का ‘यू-टर्न’ मानने से इनकार करते हैं. हालांकि उन्होंने माना कि इस मामले पर केंद्रीय नेतृत्व का मूल रुख ‘भिन्न’ था.
चांडी ने कहा, ‘कोई यू-टर्न नहीं है, कांग्रेस का हमेशा एक ही रुख रहा है. माकपा सरकार ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के समर्थन वाला हलफनामा दिया था. लेकिन जब हम सत्ता में आए, तो हम जानते थे कि हलफनामा मंदिर की परंपराओं और रीति-रिवाजों के खिलाफ है. इसलिए हमने मंदिर की परंपराओं का समर्थन करते हुए एक नया हलफनामा दिया. और हम चाहे सरकार में रहे या विपक्ष में, हमने एक ही रुख अपनाया है.’
उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया कि 2016 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने मंदिर में मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी का समर्थन किया था.
यह भी पढ़ें: सबरीमला मामला: महिलाओं के साथ भेदभाव से जुड़े सवाल पर गुरुवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
‘केरल कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं, शशि थरूर को देखें’
ओमन चांडी 1970 से लगातार 11 बार पुथुपल्ली सीट से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. यदि इस बार भी जीत दर्ज करते हैं तो वह दिवंगत नेता के.एम. मणि की बराबरी कर लेंगे, जिन्होंने 2019 में अपनी मृत्यु से पहले लगातार 12 बार पाला सीट से पहले कांग्रेस का और फिर अपनी केरल कांग्रेस (एम) का प्रतिनिधित्व किया.
पिछले महीने केरल कांग्रेस में ‘गुटबाजी’ के आरोप खुलकर सामने आए थे जब पार्टी के पूर्व नेता पी.सी. चाको ने जबर्दस्त गुटबाजी के चलते पार्टी छोड़ दी, और इसे ‘केरल में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा अभिशाप’ करार दिया.
चाको ने यह बात उठाई थी कि राज्य में कांग्रेस पार्टी के भीतर दो प्रमुख समूह हैं जिसमें एक का नेतृत्व चांडी करते हैं और दूसरा केरल के मौजूदा नेता विपक्ष रमेश चेन्नीथला द्वारा संचालित है. उन्होंने आरोप लगाया था कि किसी को भी आगे बढ़ने के लिए इनमें से किसी एक समूह का हिस्सा बनना पड़ता है.
लेकिन चांडी ने इन सभी आरोपों से इनकार किया और कहा, ‘यह सही नहीं है, यहां इतने सारे नेता बिना किसी गुटबाजी के काम कर रहे हैं.’
पूर्व सीएम ने इस संदर्भ में तिरुअनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर का उदाहरण दिया.
उन्होंने कहा, ‘अगर केरल की बात करें तो शशि थरूर एक बहुत ही महत्वपूर्ण नेता हैं. वह एक राष्ट्रीय नेता भी हैं, लेकिन उनका किसी गुटबाजी आदि से कोई लेना-देना नहीं है. वह एक बहुत ही सम्मानित नेता है और काफी सक्रिय भी रहते हैं.’
चांडी ने आगे केरल कांग्रेस (एम) के यूडीएफ से बाहर होने के बारे में चर्चा की और कहा कि यह गठबंधन के लिए कोई बड़ा झटका नहीं होगा.
मौजूदा समय में के.एम. मणि के बेटे जोस के.मणि के नेतृत्व वाली केरल कांग्रेस (एम) ने पिछले साल यूडीएफ को छोड़ दिया था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चे का हिस्सा बन गई.
चांडी ने कहा कि वास्तव में मार्क्सवादी और माकपा तो मणि सीनियर को निशाना बनाते रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘उनके बेटे ने मार्क्सवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाया है, लेकिन मणि को पसंद करने वाले लोग माकपा की ऐसी गतिविधियों से सहमत नहीं होंगे. इसलिए मुझे नहीं लगता कि इसकी वजह से यूडीएफ को कोई बड़ा झटका लगेगा.
कांग्रेस ने कभी ‘भाजपा-मुक्त भारत’ नहीं चाहा
चांडी ने दिसंबर में राज्य के पंचायत चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की वजह ‘केरल के चुनावी पैटर्न’ को बताया. उन्होंने कहा, ‘अलग-अलग चुनाव यहां अलग-अलग तरह के रहते हैं. उदाहरण के तौर पर लोकसभा चुनाव मुख्यत: यूडीएफ के पक्ष में रहे हैं. पिछले चुनाव में हमने 20 में से 19 सीटें जीती थीं.’
वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव मुख्य तौर पर पार्टी के उम्मीदवारों और असतुंष्टों पर निर्भर करते हैं.
राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के एकदम सिमट जाने को चांडी ने ‘अस्थायी झटका’ बताया और कहा कि भाजपा की तरह सत्ता में होने पर इसने कभी विपक्ष के सफाये की उम्मीद नहीं की थी.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने भारत के सुनहरे सिद्धांत कायम रखे हैं…मोदी तो विरोधियों के सफाये के लिए कुछ भी कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस ने तो यहां तक कि जब भाजपा ने संसद में केवल दो सीटें जीती थीं, तब भी ‘भाजपा के सफाये’ का आह्वान नहीं किया था.
चांडी ने कहा, ‘कांग्रेस ने ‘भाजपा-मुक्त भारत’ नारा नहीं दिया था. लेकिन मोदी ने एक चुनाव जीता, उन्हें बहुमत मिला, और फिर वह ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ का नारा बुलंद करने लगे.’
उन्होंने कहा कि दोनों दलों के बीच यही अंतर है कि कांग्रेस लोकतंत्र में विश्वास करती है.
यह भी पढ़ें: कोविड केस बढ़ने के बीच केरल ने सबरीमाला मंदिर के खुलने की अवधि में कैसी व्यवस्थाएं की हैं