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Sunday, 22 December, 2024
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केवल गांधी परिवार ही कांग्रेस को एकजुट रख सकता है, राहुल को अब ज़िम्मा संभालना चाहिए: सिद्धारमैया

दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में, सिद्दारमैया कहते हैं कि मोदी की लोकप्रियता घट गई है. वो आगे कहते हैं कि कर्नाटक सीएम बासवराज बोम्मई ने, कुर्सी संभालने के बाद से राज्य के लिए कुछ नहीं किया है.

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बेंगलुरू: शनिवार को कांग्रेस कार्यकारी समिति (सीडब्लूसी) की बैठक से पहले, वरिष्ठ पार्टी नेता और पूर्व कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शुक्रवार को ज़ोर देकर कहा कि नेहरू-गांधी परिवार के नेतृत्व के बिना कांग्रेस में एकजुटता नहीं हो सकती.

सिद्दारमैया ने, जो कर्नाटक विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं, एक इंटरव्यू में दिप्रिंट से कहा, ‘सच्चाई यही है- केवल नेहरू-गांधी परिवार ही कांग्रेस को एकजुट रख सकता है. मेरे विचार में इसका मतलब ये नहीं है कि वंशवाद की राजनीति जारी रहनी चाहिए, लेकिन लोग चाहते हैं कि नेहरू-गांधी परिवार पार्टी की अगुवाई करे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सोनिया गांधी और राहुल गांधी लोगों की पसंद हैं और जैसा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में होता है, उन्हें पार्टी की अगुवाई करनी चाहिए.’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दृढ़ राय है कि राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष का प्रभार संभाल लेना चाहिए.

सिद्दारमैया ने आगे कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इस मौक़े पर नेहरू-गांधी के अलावा, किसी और के लिए पार्टी की कमान संभालना मुमकिन है. एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस समिति) के और भी अध्यक्ष हुए हैं, निजलिंगप्पा से लेकर नरसिम्हा राव तक, लेकिन फिलहाल अध्यक्ष पद के लिए नेहरू परिवार ही सही रहेगा’.

उन्होंने कहा कि इस महीने सोनिया गांधी के साथ हुई बैठक में उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व का समर्थन किया.

सिद्दारमैया ने कहा, ‘प्रियंका गांधी भी चाहती हैं कि राहुल अध्यक्ष बनें. वो बहुत सक्रिय हैं. आज उत्तर प्रदेश के अंदर तमाम विपक्षी नेताओं के बीच वो सबसे मज़बूत हैं. मुद्दों के बारे में वो अखिलेश या मायावती के मुक़ाबले ज़्यादा मुखर हैं.’ इसी सांस में उन्होंने आगे कहा कि पार्टी के अंदर राहुल गांधी एक लोकप्रिय पसंद हैं.

उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस में उथल-पुथल मची हुई है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता संगठन में ओवरहॉल की मांग कर रहे हैं, जिसमें अन्य बातों के अलावा एक ‘पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व’, तथा सीडब्लूसी सदस्यता के लिए चुनाव कराए जाने की बात उठ रही है.

इन नेताओं में कपिल सिब्बल, शशि थरूर, ग़ुलाम नबी आज़ाद, मनीष तिवारी, और भूपिंदर सिंह हूडा वग़ैरह शामिल हैं.

कुछ नेता पिछले महीने कपिल सिब्बल के पीछे लामबंद हो गए थे, जब उन्होंने पार्टी के कामकाज पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद उनके घर पर कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने हमला कर दिया था.


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‘मोदी की लोकप्रियता घट गई है’

दिप्रिंट से बात करते हुए सिद्दारमैया ने कहा, कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का प्रदर्शन, अगले चुनावों में पार्टी की हार सुनिश्चित कराएगा.

सिद्दारमैया ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता घट गई है. 2019 की उनकी लोकप्रियता के मुक़ाबले, उनकी छवि को झटका लगा है, लेकिन फिलहाल मैं उसके बारे में बात नहीं करूंगा’. इसके बाद उन्होंने कहा कि ‘महंगाई, बेरोज़गारी दर, और कोविड-19 कुप्रबंधन’ की वजह से नागरिक ग़ुस्से में हैं.

सिद्दारमैया ने आगे कहा, ‘लोगों ने बीजेपी के झूठ को पकड़ना शुरू कर दिया है. मीडिया और सोशल मीडिया की मदद से नरेंद्र मोदी ने, देश में भव्यता का एक भ्रम पैदा कर दिया था, जिसमें बीजेपी को कांग्रेस के विकल्प के रूप में दिखाने की कोशिश की गई थी, जो लंबे समय तक सत्ता में रही थी. लोगों ने अब इस वास्तविकता को समझना शुरू कर दिया है, कि मोदी जितना झूठ कोई नहीं बोलता.’

विपक्षी दल के नाते कांग्रेस की क्या रणनीति है, ये पूछने पर सिद्दारमैया ने कहा, ‘हमें बस करना ये है कि इस सरकार की विफलताओं को उजागर कर दें- कोविड-19 से लेकर भ्रष्टाचार तक. किसान, युवा, महिलाएं, मज़दूर, सब इस सरकार से तंग आ चुके हैं.’

जब उनसे ये पूछा गया कि कांग्रेस देश के बहुत से प्रांतों में तेज़ी से अपनी ज़मीन क्यों खोती जा रही है, तो सिद्दारमैया ने इस बात से इनकार किया कि पार्टी कमज़ोर हो रही है. उन्होंने कहा, ‘बहुत से राज्यों में हमारे नेताओं ने अलग होकर क्षेत्रीय पार्टियां बना लीं. चाहे आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी हो, पश्चिम बंगाल में टीएमसी हो, या महाराष्ट्र में एनसीपी हो, वो सब कांग्रेस में थे.अलग अलग कारणों से उन्होंने अपने रास्ते अलग कर लिए हैं, लेकिन वो अभी भी कांग्रेस के मूल्यों और विचारधारा को मानते हैं.’

इस बारे में पूछने पर कि यही पार्टियां कांग्रेस में चुनावी सेंध लगा रही हैं, सिद्दारमैया ने ज़ोर देकर कहा कि कांग्रेस अकेली पार्टी है, जिसका आधार सभी प्रांतों में मौजूद है.

उन्होंने कहा, ‘हां, हमारे नेताओं ने अलग होकर क्षेत्रीय पार्टियां बना ली हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कांग्रेस हर जगह कमज़ोर है. कांग्रेस अकेली पार्टी है जिनका पूरे देश में जनाधार है. हम वापसी करेंगे. चीज़ें ऐसी ही नहीं बनी रहेंगी. लोकतंत्र में कोई एक पार्टी हमेशा के लिए सत्ता में नहीं रहेगी. बदलाव ज़रूर आएगा’.

‘CM बनने की आकांक्षा में कुछ ग़लत नहीं’

इसी महीने, अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बुलावे पर, सिद्दारमैया ने दिल्ली का एक छोटा सा दौरा किया था. उस दौरे से अटकलबाज़ियां शुरू हो गईं थीं, कि उन्हें प्रदेश राजनीति से बाहर लाकर, कोई राष्ट्रीय भूमिका दी जा सकती है.

लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सब महज़ अटकलें हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘न तो ऐसी कोई पेशकश थी, और न ही मेरी किसी राष्ट्रीय भूमिका में कोई रूचि है. मेरा सियासी करियर कर्नाटक में रहा है, और आगे भी ऐसा ही रहेगा’.

कर्नाटक में दिलचस्पी फिर से मुख्यमंत्री बनने की उस आकांक्षा में है, जिसे वो पाल रहे हैं.

सिद्दारमैया इस बात को बिल्कुल नहीं छिपाते, कि वो शीर्ष पद की दौड़ में हैं. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान करेगा, लेकिन, पहले हमें बहुमत हासिल करने की ज़रूरत है. उसके बाद विधायकों को अपनी पसंद का निर्णय करना होगा. कोई ये दावा नहीं कर सकता कि वो अगला मुख्यमंत्री होगा. मैं नहीं जानता कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा कि नहीं, लेकिन कांग्रेस पार्टी को सत्ता में आना है. बीजेपी को हराना बहुत ज़रूरी है, जो राज्य को तबाह कर रही है’.

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखने में कोई बुराई नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मैं इससे इनकार नहीं करूंगा कि मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षाएं हैं. मुख्यमंत्री बनने की चाहत रखने में कुछ ग़लत नहीं है, लेकिन इसकी आकांक्षा रखने का मतलब ये नहीं है कि पार्टी नेताओं के बीच कोई मतभेद हैं. जी परमेश्वरा (पूर्व डिप्टी सीएम) मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, डीके शिवकुमार (प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष) भी बनना चाहते हैं, और एमबी पाटिल (पूर्व गृह मंत्री) भी यही चाहते हैं, लेकिन आख़िरकार हर कोई आलाकमान की बात सुनेगा’.

उन्होंने कहा, ‘आलाकमान जो भी कहेगा, मैं उसकी बात सुनूंगा’.

सिद्दारमैया इस पर भी बल देते हैं, कि उनके और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच कोई मतभेद नहीं हैं.

शिव कुमार के ऊपर सहयोगी कांग्रेस नेताओं की ओर से लगाए गए, भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सिद्दारमैया ने कहा, ‘कर्नाटक कांग्रेस में कोई अंदरूनी मुद्दे नहीं हैं. हम सब एकजुट हैं और एक होकर ही लड़ेंगे’.

इसी हफ्ते दो नेताओं- पार्टी मीडिया कॉर्डिनेटर एमए सलीम, और पूर्व लोकसभा सदस्य वीएस उगरप्पा, को एक वायरल वीडियो में शिवकुमार के कथित रूप से रिश्वत लेने के बारे में चर्चा करते दिखाया गया था, जिसके बाद पार्टी के अंदर गुटबाजी की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी थी. सिद्दारमैया ने उगरप्पा के बचाव में कहा, ‘उगरप्पा ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो पार्टी या नेतृत्व के खिलाफ काम करेंगे. वो एक निष्ठावान पार्टी कार्यकर्त्ता हैं. वो एक निजी बातचीत थी और कोई सार्वजनिक आरोप नहीं था, जैसे कि बीएस येदियुरप्पा के पार्टी सहयोगियों ने उनके खिलाफ लगाए थे’. उगरप्पा को पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से, कारण-बताओ नोटिस जारी किया गया है.


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‘बोम्मई ने कर्नाटक के लिए क्या किया है?’

सिद्दारमैया और बीजेपी मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई, जिनकी साझा जड़ें जनता परिवार तक जाती हैं, एक ट्विटर पर एक जंग में भिड़े हुए हैं जो बुधवार से शुरू हुई, जब बोम्मई सूबे में नैतिक पुलिसिंग को लेकर एक बयान दिया था.

सिद्दारमैया ने दिप्रिंट से कहा कि बोम्मई, जिन्होंने जुलाई में सीएम की शपथ ली थी, अब आरएसएस के आदमी बन गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘चाहे वो बासवराज बोम्मई हों या बीएस येदियुरप्पा हों, सरकार बीजेपी की ही है. आरएसएस बैकसीट ड्राइविंग कर रही है. उसमें कोई बदलाव नहीं आया है. सिर्फ मुख्यमंत्री बदला है. बोम्मई अब बीजेपी के आदमी हैं, और आरएसएस के पूरे नियंत्रण में हैं’.

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते बोम्मई ने कुछ नहीं किया है.

सिद्दारमैया ने आरोप लगाया, ‘मुख्यमंत्री होने के नाते बोम्मई ने क्या किया है, सिवाय अपने पूर्ववर्त्ती के रास्ते पर चलने के? क्या उन्होंने पेट्रोल और डीज़ल के दाम घटाने के लिए क़दम उठाए हैं? नहीं. बहुत शर्म की बात है कि बीजेपी ने अपने दो साल से अधिक के शासन में, राज्य में बेघरों को एक भी मकान उपलब्ध नहीं कराया है’.

‘हमें इस बारे में बोलना नहीं पड़ा, बल्कि खुद बासनगौड़ा पाटिल यतनाल, सीपी योगेश्वरा, एच विश्वनाथ और अरविंद बेलाड़ जैसे बीजेपी नेताओं ने बीएस येदियुरप्पा सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. बोम्मई उसी सरकार का हिस्सा थे. वो कहीं बाहर से नहीं आए. बीजेपी ने एक ऐसे आदमी को उठाया, जो उसी भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा था, और उसे किसी और की जगह बिठा दिया. क्या अंतर रहा?’

कांग्रेस विधायक दल के नेता इस बात को लेकर भी आश्वस्त हैं, कि उनकी पार्टी सिंदगी और हनागल सीटों पर उपचुनाव जीतेगी. सिद्दारमैया ने कहा, ‘इस बात के अलावा कि हमारे उम्मीदवार बहुत लोकप्रिय और मज़बूत हैं, हम इसलिए भी जीतेंगे कि लोग बीजेपी सरकार से ऊब चुके हैं. केंद्र तथा राज्य सरकारें दोनों वित्तीय रूप से दिवालिया हैं. केंद्र सरकार कर्नाटक को उसकी जीएसटी मुआवज़ा देने की स्थिति में नहीं है, और इस अन्याय के कारण हमारा राज्य मुसीबत झेल रहा है’.

उन्होंने आगे कहा कि केंद्री करों में कर्नाटक का हिस्सा धीरे धीरे कम हुआ है- एक ऐसा रुझान जिसे बीएस येदियुरप्पा ने भी, 2019-2020 और 2020-2021 के अपने बजट भाषणों में स्वीकार किया था.

सिद्दारमैया ने कहा, ‘करों में कर्नाटक की हिस्सेदारी 38,000 करोड़ रुपए हुआ करती थी, लेकिन अब ये 20,000 करोड़ रुपए है. सहायता अनुदान में भी 50 प्रतिशत कमी आ गई है. जिस कर्नाटक को केंद्रीय करों और सहायता अनुदान से क़रीब 79,000-80,000 करोड़ रुपए मिलते थे, उसे अब मुश्किल से 40,000- 41,000 करोड़ रुपए मिलते हैं. इसकी वजह से, हमारे विकास कार्य बाधित हो रहे हैं’. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार इंदिरा कैंटीन, कृषि भाग्य, अन्न भाग्य, विद्याश्री, और अनुग्रह जैसी फ्लैगशिप स्कीमों को त्याग रही है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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