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Sunday, 22 December, 2024
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राजभर ने UP चुनाव में BJP के साथ गठबंधन की संभावनाएं नकारी, कुछ शर्तों के साथ विपक्ष से हाथ मिलाने को तैयार

एसबीएसपी प्रमुख ओपी राजभर ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भाजपा उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करेगी, और स्वतंत्र देव सिंह के साथ अपनी मुलाकात को उन्होंने ‘शिष्टाचार भेंट’ करार दिया.

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लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख और योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रह चुके ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि उनकी पार्टी 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ कोई गठबंधन नहीं करने जा रही है.

उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और पार्टी उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के साथ हाल ही में लखनऊ में एक मुलाकात करने वाले राजभर ने दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में इस बैठक को ‘शिष्टाचार भेंट’ बताया और कहा कि ‘जब तक भाजपा को यूपी से बाहर नहीं कर देता आराम से नहीं बैठूंगा.’

राजभर की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब मंगलवार को स्वतंत्र देव सिंह के साथ उनकी मुलाकात के बाद इस तरह की अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि एसबीएसपी प्रमुख भगवा पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘हां, यह बात सच है कि मैं स्वतंत्र देव सिंह और दयाशंकर सिंह से मिला था लेकिन मैं अक्सर भाजपा और अन्य दलों के नेताओं से मिलता रहता हूं. मैं भाजपा के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ूंगा. दयाशंकर बलिया के हैं और मैं भी वहीं से आता हूं. स्वतंत्र देव सिंह को मैं लंबे समय से जानता हूं, इसलिए यह शिष्टाचार भेंट थी.

उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्र देव भी ओबीसी नेता हैं. राजनेताओं के बीच इस तरह की बैठकें अक्सर होती रहती हैं.’


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मांगों की सूची

राजभर ने कहा कि भाजपा उनकी तरफ से की जाने वाली किसी भी मांग को स्वीकार नहीं करने जा रही है, ‘इसलिए उसके साथ किसी भी तरह के गठबंधन की कोई संभावना नहीं है.’

हम एक ओबीसी मुख्यमंत्री की मांग कर रहे हैं. हम 2017 में गठबंधन में शामिल हुए क्योंकि हमने सोचा था कि वे (भाजपा) केशव मौर्य (यूपी में भाजपा का ओबीसी चेहरा) को मुख्यमंत्री बनाएंगे, लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से उन्होंने योगी आदित्यनाथ को चुना. अब वे फिर से आदित्यनाथ को ही मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे करेंगे, इसलिए उनके साथ गठबंधन का कोई मतलब नहीं है.

एसबीएसपी प्रमुख की तरफ अन्य मांगों की जो सूची रखी गई है उनमें जाति आधारित जनगणना, लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण, समान और अनिवार्य मुफ्त शिक्षा, घरों में मुफ्त बिजली और सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि यह भाजपा सरकार इन मांगों को स्वीकार नहीं करेगी.’

भाजपा और एसबीएसपी के बीच महीनों चली तनातनी के बाद 2019 में राजभर को योगी आदित्यनाथ सरकार से बर्खास्त कर दिया गया था.

सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए दरवाजे अभी खुले हैं

राजभर ने यह भी संकेत दिया कि वह विपक्षी दलों के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं, उनका कहना था कि अब समय आ गया है कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो जाए. उन्होंने कहा, ‘मैंने हर पार्टी के लिए अपने दरवाजे खोल रखे हैं लेकिन अगर वे हमारा समर्थन चाहते हैं तो उन्हें हमारी मांगों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए. पूर्वी उत्तर प्रदेश में हमारी पार्टी का अच्छा-खासा दबदबा है.’

एसबीएसपी प्रमुख ने कहा, ‘हर किसी को इस वक्त राजभर की जरूरत है. हम किसी भी पार्टी को सरकार बनाने से रोक सकते हैं, किसी का खेल बिगाड़ सकते हैं.’

उन्होंने दावा किया कि राजभर समुदाय के अलावा, उनकी पार्टी को बिंद, निषाद, मौर्य और कुशवाहा जैसे अन्य ओबीसी समुदायों का भी समर्थन हासिल है और पूर्वांचल में ओबीसी के बीच एसबीएसपी का खासा असर है.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा हमारे बिना वाराणसी में तीन सीटें भी नहीं जीत सकती. इसी तरह, समाजवादी पार्टी हमारे समर्थन के बिना बलिया या गाजीपुर में नहीं जीत सकती. इन जिलों में 20 फीसदी से ज्यादा वोटों पर हमारा प्रभाव है. यह हमारी ताकत है.’

राजभर ने यह भी कहा कि अगर विपक्ष के नेताओं को उनकी जरूरत है तो वे उनसे संपर्क करें. उन्होंने कहा, ‘अगर सपा को हमारी जरूरत है तो उन्हें मुझसे संपर्क करना चाहिए. अगर कांग्रेस को हमारी जरूरत है तो प्रियंका गांधी को हमसे मिलना चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी बड़े विपक्षी दल के साथ गठबंधन नहीं हो पाता है तो उनकी पार्टी सभी 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.

उन्होंने कहा, ‘आधा दर्जन से ज्यादा छोटी पार्टियां हमारे साथ हैं. कुछ और जुड़ेंगी. मैं फिर स्पष्ट करना चाहूंगा कि हम भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं. जिस दिन मैंने सरकार छोड़ी, मैंने फैसला कर लिया था कि तब तक आराम से नहीं बैठूंगा जब तक मैं भाजपा को उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं कर देता.’

एआईएमआईएम की टिप्पणी पर

यूपी भाजपा अध्यक्ष के साथ उनकी बैठक पर एआईएमआईएम की टिप्पणी के संदर्भ में जवाब देते हुए राजभर ने कहा कि ‘एआईएमआईएम अभी भी भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा है. उन्हें समझना चाहिए कि हम भाजपा के साथ नहीं जा रहे हैं.’

हालांकि, उन्होंने कहा कि वह तो एआईएमआईएम है जिसे अपना रुख स्पष्ट करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे साथ चर्चा किए बिना ही एआईएमआईएम ने घोषणा की कि 100 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. तो कौन जल्दी में है? हमारे संकल्प भागीदारी मोर्चा में सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक जब कोई बात नहीं हुई, तो उन्होंने सीटों की संख्या की घोषणा कैसे की? अगर वे हमारे साथ चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उन्हें पहले अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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