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Thursday, 21 November, 2024
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BJP पर निशाना साधते हुए जम्मू-कश्मीर में कैसे अपना विस्तार कर रही है आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता अभी दिल्ली और गुजरात चुनाव में व्यस्त हैं, इसलिए जम्मू-कश्मीर में राज्य कोर्डिनेशन कमिटी के चेयरमैन हर्ष देव सिंह ने जिम्मा संभाला हुआ है और लगातार रैलियां और धरने कर रहे हैं.

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जम्मू/सांबा: आम आदमी पार्टी (आप) जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को टक्कर देने के लिए बिल्कुल तैयार नजर आ रही है. जम्मू के सांबा जिले में बारी ब्राह्मणा में रविवार को आम आदमी पार्टी की रैली में इस बात को काफी बार दोहराया भी गया.

जम्मू-कश्मीर में आप के राज्य कॉर्डिनेशन कमिटी के चेयरमैन हर्ष देव सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘रोज तकरीबन 50 से 100 लोग पार्टी में शामिल हो रहे हैं.’

सिंह खुद हाल ही में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं. मई महीने तक वे जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) के चेयरमैन थे लेकिन एक दोपहरी में वे बारी ब्राह्मणा में सफेद टोपी पहने लोगों की बड़ी भीड़ को संबोधित कर रहे थे.

मंच पर उनके साथ जेकेएनपीपी के पूर्व नेता यशपाल कुंडल भी मौजूद थे. 2002-2008 तक चली कांग्रेस-पीडीपी शासन में दोनों ही मंत्री रह चुके हैं.

सिंह और कुंडल दोनों ही जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी के प्रमुख चेहरे हैं और उनके आने से पार्टी ने बीते कुछ महीनों में बड़े बदलाव देखे हैं. जुलाई में पार्टी ने पुरानी इकाई को भंग कर दिया था ताकि संगठन को मजबूत किया जा सके और तब से ही राज्य में पार्टी के विस्तार पर काम किया जा रहा है.

बीते दो महीनों में पार्टी ने 1450 नए अधिकारियों को नियुक्त किया है. ब्लॉक स्तर पर नियुक्तियों को पूरा कर लिया गया है, हालांकि ग्रामीण स्तर पर कमिटी बनाना अभी भी बाकी है. लोगों तक पहुंचने के क्रम में पार्टी ने युवा, महिला, डॉक्टर, किसान, व्यापारी, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति की अलग-अलग इकाई बनाई है.

जम्मू के सांबा जिले में 27 नवंबर को आम आदमी पार्टी की एक रैली का दृश्य | फोटो: अमोघ रोहमेत्रा | दिप्रिंट

एक पार्टी नेता के मुताबिक, जुलाई से अगस्त तक लोगों को साथ जोड़ने के लिए चले दो महीने के अभियान से काफी सफलता मिली. पार्टी दावा कर रही है कि जम्मू प्रांत में उसके 12,500 कार्यकर्ता और कश्मीर में 8000 कार्यकर्ता हैं.

जम्मू-कश्मीर में संगठन को मजबूत देने के लिए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली से भी लोगों को भेजा है. इस टीम के एक सदस्य वैभव तिवारी, जो कि मीडिया रिलेशन विशेषज्ञ हैं, वे दिल्ली और पंजाब में चुनाव अभियान के दौरान भी पार्टी से जुड़े रहे हैं.

उनके अनुसार राज्य इकाई को इसलिए भंग किया गया क्योंकि कुछ लोग नागरिकों की सेवा के लिए शामिल नहीं हुए थे बल्कि ‘विधायक या पार्षद’ बनने के लिए आए थे. तिवारी 4 जुलाई से ही राज्य में हैं जिस दिन इकाई को भंग किया गया था.

मीडिया में किस तौर पर दिखाई देते हैं, ये भी पार्टी के विस्तार की कोशिशों में से एक है. उदाहरण के तौर पर, स्थानीय अखबारों में पंजाब की भगवंत मान सरकार की उपलब्धियों को छापा जा रहा है. एक विज्ञापन में लिखा है, ’24 घंटे बिजली, सस्ती बिजली’. वहीं दूसरे विज्ञापन में लिखा है, ‘सात महीने बनाम 70 साल’.

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी जम्मू-कश्मीर जाने की योजना बना रहे हैं. दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि गुजरात विधानसभा चुनाव और दिल्ली के एमसीडी चुनाव के बाद वह जम्मू-कश्मीर जा सकते हैं.

तो जम्मू-कश्मीर में पार्टी के एजेंडा में आखिर है क्या? आम आदमी पार्टी के नेताओं के अनुसार, सबसे पहले पार्टी को मजबूत बनाया जाए ताकि वह भाजपा को सीधी टक्कर दे सके और महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे पर उसे घेरा जाए.


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भाजपा की असफलताओं को मुद्दा बनाने पर जोर

आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता अभी दिल्ली और गुजरात चुनाव में व्यस्त हैं, इसलिए जम्मू-कश्मीर में राज्य कोर्डिनेशन कमिटी के चेयरमैन हर्ष देव सिंह ने जिम्मा संभाला हुआ है और लगातार रैलियां और धरने कर रहे हैं.

कभी जेकेएनपीपी के प्रमुख चेहरा रहे सिंह ने इसके संस्थापक भीम सिंह से तकरार के बाद पार्टी छोड़ दी. सिंह अभी घर-घर जाकर आम आदमी पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में लगे हैं.

उन्होंने दावा किया, ‘रैलियों से हमें अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं. दो-तीन दिन में हम एक बड़ी रैली करते हैं. कुछ दिनों पहले हमने चेनानी में रैली की थी जहां हजारों लोग आए थे.’

सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘भाजपा सरकार के कारण लोग महंगाई और बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. गांवों को नजरअंदाज किया जा रहा है, पानी की स्थिति खराब है, सड़कें दुरुस्त नहीं है और स्कूलों में स्टाफ की कमी है. शैक्षणिक गतिविधियां पूरी तरह से लचर हो गई हैं.’ उन्होंने कहा, ‘बदलाव के लिए आम आदमी पार्टी की जरूरत है. लोगों ने दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य में क्रांति होते हुए देखा है, इसलिए वे उम्मीद लगा रहे हैं.’

तिवारी ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी का पूरा जोर लोगों को 8 सालों से चल रही भाजपा सरकार की असफलताओं के बारे में जागरूक करना है.

इसकी शुरुआत 2014 से हुई जब भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 25 सीटें हासिल की और 2018 तक पीडीपी के साथ राज्य में गठबंधन सरकार में रही. 2018 में विधानसभा भंग होने के बाद राज्य में अगस्त 2019 तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा और नरेंद्र मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त कर दिया, जो कि जम्मू-कश्मीर को स्वायत्ता प्रदान करता था. साथ ही राज्य का दर्जा भी छीन लिया.

तब से केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर उप-राज्यपाल के अंतर्गत है जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है.


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व्यावहारिक रणनीति

रविवार को सांबा में हुई रैली में लगभग 200 ‘आप’ कार्यकर्ता शामिल हुए थे, जिनमें से कुछ को हाल ही में पार्टी में शामिल किया गया था.

उन्हें संबोधित करने वाले सभी वक्ता, ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर सिंह तक अपने भाषण में एक बात पर जोर देते दिखे, पहले दिल्ली की नीति का उदाहरण दिया गया, फिर पंजाब का और अंत में बेरोजगारी और महंगाई को लेकर भाजपा पर चौतरफा हमला किया गया.

उदाहरण के लिए ‘आप’ यूथ विंग के नेता प्रेम नाथ ने दर्शकों को बताया कि ‘आप’ उनकी ‘आशा की एकमात्र किरण’ थी.

उन्होंने कहा, ‘हमने दिल्ली में (खुद को) साबित किया है और हमने पंजाब में भी साबित किया है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने उन्हें (बीजेपी) पांच चुनाव जिताए हैं, दो लोकसभा, एक विधानसभा, बीडीसी (ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल) और डीडीसी (जिला विकास परिषद) चुनाव लेकिन उन्होंने ‘आम आदमी’ की नहीं सुनी.’

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के अध्यक्ष यश पॉल कुंडल ने भी ऐसा ही कहा.

उन्होंने कहा, ‘हर घर तक संदेश पहुचाएं- सिलेंडर, सब्जी आदि के रेट देखें. हमारे युवाओं का भविष्य बचाएं.’

सांबा की रैली में स्थानीय आम आदमी पार्टी के नेता | फोटो: अमोघ रोहमेत्रा | दिप्रिंट

रोजगार और बढ़ती कीमतों पर पार्टी का ध्यान कई युवाओं को आकर्षित करता है. सांबा में एक रैली में मोहम्मद हामिद ने कहा कि उन्हें ‘आप’ से उम्मीद है.

हामिद ने कहा, ‘मेरा भाई भाजपा सरपंच है लेकिन मैं आम आदमी पार्टी में शामिल हो रहा हूं. मेरे पास ग्रेजुएशन की डिग्री है फिर भी मैं बेरोजगार हूं. मैंने कई जगहों पर कोशिश की लेकिन नौकरी ही नहीं है.’

एक और स्थानीय युवा अहमद आजाद ने कहा कि ‘आप’ कम से कम एक मौके की हकदार तो है.

उन्होंने कहा, ‘हम अपनी समस्या को लेकर कई जगहों पर गए, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो कभी सत्ता में थे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मैं इसलिए ‘आप’ में शामिल हुआ हूं.’


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‘अनुच्छेद 370 इतना बड़ा मुद्दा नहीं’

अगस्त 2019 के बाद से ही नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसे क्षेत्रीय राजनीतिक दल राज्य में अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि अनुच्छेद 370 की बहाली उनके एजेंडे में शामिल नहीं है.

हर्ष देव सिंह कहते हैं, ‘अनुच्छेद 370 हमारे लिए उतना बड़ा मुद्दा नहीं है. हम कहते हैं कि लोगों का काम होना चाहिए. हमारे लिए मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार का है.’

तिवारी भी कहते हैं, ‘धारा 370 से ‘आप’ का कोई लेना देना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करेगा हम उसका स्वागत करेंगे.’ हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव में जाने वाली पार्टी के लिए राज्य में दोबारा 370 का दर्जा बहाल करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा.

चुनाव का संचालन अपने आप में एक बड़ा मुद्दा है.

पिछले महीने कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में अगला विधानसभा चुनाव मतदाता सूची में संशोधन के बाद होगा.

हालांकि तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है जिसके कारण आलोचना की जा रही है कि चुनाव में देरी हो रही है.

पिछले शुक्रवार को एक प्रोटेस्ट रैली के दौरान सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा डाल रही है. उन्होंने चुनाव आयोग की भी आलोचना की.

लेकिन चुनाव को लेकर अनिश्चितता के बावजूद पार्टी आने वाले हफ्तों में अपनी गतिविधियों को तेज करने की योजना बना रही है.


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केजरीवाल और कश्मीर

‘आप’ की योजना दिल्ली और गुजरात के चुनाव खत्म होने के बाद बड़े चेहरों को मैदान में उतारने की है.

तिवारी ने कहा, ‘धीरे-धीरे (केजरीवाल) के दौरे शुरू हो जाएंगे. चुनाव खत्म होने के बाद हम हर विधानसभा, हर जिले में जनसभा शुरू करेंगे.’ उन्होंने कहा कि इन सभाओं में आप के मंत्री और विधायक शामिल होंगे.

तिवारी ने कहा कि डोर-टू-डोर अभियान को भी गति दी जाएगी, जितना दिल्ली और पंजाब चुनाव से पहले किया गया था. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि कश्मीर घाटी में यह एक कठिन काम हो सकता है.

तिवारी ने कहा, ‘डोर-टू-डोर में सुरक्षा की वजह से चुनौती है, हालांकि हमारे किसी नेता को कोई धमकी नहीं मिली है.’

एक और मुद्दा यह हो सकता है कि ‘आप’ के पास जम्मू के विपरीत कश्मीर में कोई बड़ा चेहरा नहीं है. हालांकि सिंह ने कहा कि इससे पार्टी में लोगों के जुड़ने की क्षमता प्रभावित नहीं होगी.

तिवारी ने कहा कि जम्मू की तुलना में कश्मीर में ‘लोकतांत्रिक गतिविधियां’ और भी ज्यादा जरूरी हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमारा काम दोनों क्षेत्रों में एक साथ होगा. केजरीवाल सर के लिए दोनों प्रांत सामान महत्व के होंगे.’

(अनुवाद: कृष्ण मुरारी और ऋषभ राज)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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