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Friday, 22 November, 2024
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बिहार में अधिकारियों पर ‘रेत माफिया’ के हमले के बाद हैरान हैं अधिकारी, बोले- विश्वास ही नहीं हो रहा है

बिहटा कस्बे में महिला अधिकारी के साथ 3 लोगों की टीम पर रेत माफिया के हमले का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें उन्हें घसीटते और पीटते हुए दिखाया गया है. खनन विभाग के निदेशक अवैध रेत खनिकों के लिए स्थानीय लोगों के समर्थन से हैरान हैं.

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पटना: बिहार के माइंस एंड जियोलॉजी विभाग के तीन अधिकारियों पर बिहटा कस्बे में रेत खनन माफिया और सैकड़ों स्थानीय लोगों द्वारा किए गए कथित हमले ने अधिकारियों को झकझोर कर रख दिया है. सोमवार को एक महिला अधिकारी को घसीट कर पीटने का वीडियो वायरल हुआ था.

खनन विभाग के निदेशक मोहम्मद नय्यर इकबाल ने मंगलवार को दिप्रिंट को बताया, ‘‘रेत माफिया द्वारा खनन अधिकारियों पर यह पहला हमला नहीं था, लेकिन हिंसा का इनटेनसिटी और स्केल देख कर विश्वास नहीं हो रहा है.’’

उन्होंने कहा, “हमने एक एफआईआर दर्ज की है और लगभग 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हमने यह भी तय किया है कि भविष्य में छापेमारी दल पर्याप्त सशस्त्र बलों के साथ भेजे जाएंगे.’’

इकबाल अवैध रेत खनिकों के लिए स्थानीय आबादी के समर्थन से भी हैरान दिखे. उन्होंने कहा, “यहां दो गांव हैं और ऐसा लगता है कि वे सभी उनके लिए काम कर रहे हैं.’’

तीनों अधिकारी क्षेत्र में ओवरलोडिंग ट्रकों और अवैध रेत खनन की जांच के लिए बिहटा में थे. हालांकि, बिहटा के कोईलवर पुल पर, वे अवैध रेत खनिकों से घिरे हुए थे, जिन्होंने उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज की.

पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजीव मिश्रा ने 50 गिरफ्तारियों की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने “वायरल वीडियो का उपयोग करके अपराधियों की पहचान की’’.

दिप्रिंट से बातचीत करते हुए खान और भूविज्ञान विभाग के पूर्व मंत्री जनक राम ने रेत माफियाओं में डर न होने की बात कही.

उन्होंने कहा, “रेत खनन में बहुत पैसा है. जब मैंने शिकंजा कसा तो राजस्व 1,600 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,100 करोड़ रुपये हो गया. सच तो यह है कि अवैध खनन करने वालों को सरकारी संरक्षण मिल रहा है और कानून का डर खत्म हो गया है. रेत की कीमत शायद बिहार में सबसे ज्यादा है. यहां यह 6,000 रुपये से 8,000 रुपये प्रति सीएफटी (क्यूबिक फीट) है, जो उत्तर प्रदेश में लागत से तीन गुना अधिक है.’’


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बिहार में बालू खनन में तेजी

2000 में बिहार और झारखंड के विभाजन के बाद, कोयले और लोहे के भंडार उत्तरार्द्ध में केंद्रित हो गए, जिससे बिहार रेत से भर गया. इसके परिणामस्वरूप बिहार में गंगा नदी के किनारे बालू खनन में वृद्धि हुई भोजपुर जिला इस तरह की गतिविधि के लिए मुख्य स्थानों में से एक था.

राज्य के खनन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “जेसीबी और पोकलेन मशीनें रात के समय लाई जाती हैं और स्थानीय आबादी मजदूरों के रूप में काम करती है. हर किसी को घूस मिलती है- स्थानीय पुलिस, खान अधिकारी हों या फिर राजनेता.’’

2017 में बिहार ने रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इससे अवैध खनन में तेजी आई, जिससे कीमतें और बढ़ गईं. जनक राम ने बताया कि राज्य को प्रति वर्ष 1,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है.

पर्यावरणीय चिंता

रेत के अवैध खनन से पर्यावरणविदों में भी चिंता है. पर्यावरणविद दिनेश कुमार मिश्रा ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, “रेत का अवैज्ञानिक खनन नदी के बेसिन को बदल देता है. इसके अलावा, ज्यादातर खनन ट्रकों तक पहुंचने के लिए पुलों के पास होता है, जिससे पुलों को सहारा देने वाले खंभों की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है.”

ट्रैप्ड! बिटवीन दि डेविल एंड डीप वाटर्स एंड रिफ्यूजीस ऑफ द कोसी इमबैकमेंट्स जैसी किताबों के लेखक ने कहा कि यह अधिकारियों, राजनेताओं और ठेकेदारों के बीच शक्तिशाली सांठगांठ के कारण है. उन्होंने कहा, “यही कारण है कि हम अधिक राजनेताओं को रेत खनन से जुड़े हुए देख रहे हैं.” मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य में राजद नेता अरुण यादव और पार्टी के पूर्व नेता सुभाष यादव जैसे नेता कथित तौर पर अवैध रेत खनन गतिविधियों में शामिल हैं.

पिछले साल दिसंबर में राज्य के खान विभाग ने राज्य में अवैध रेत खनन और खनिजों के परिवहन को रोकने के लिए एक समर्पित बल बनाने का फैसला किया था. पटना, भोजपुर, रोहतास, सारण, वैशाली और औरंगाबाद जिलों में खान अधिकारियों पर सिलसिलेवार हिंसक हमलों के बाद यह फैसला लिया गया.

पांच महीने बीत जाने के बाद भी, विभाग में अभी भी बलों की कमी प्रतीत होती है और अवैध खनिकों द्वारा हिंसक हमलों के प्रति संवेदनशील बना हुआ है.

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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