नई दिल्ली: 3 साल पहले 10 जुलाई 2019 को कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों के भाजपा में शामिल होने से गोवा की कांग्रेस इकाई को लगे तगड़े झटके के बाद यह पार्टी राज्य के 11 में से सात मौजूदा कांग्रेस विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने के साथ ही एक बार फिर से उसी बुरे सपने को दोहराती दिखती है. ये सभी विधायक सोमवार को शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से पहले भाजपा में शामिल हो सकते हैं.
गोवा, तमिलनाडु और पुदुचेरी के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने दिप्रिंट के साथ बातचीत में पुष्टि की कि पार्टी के कम से कम पांच विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि माइकल लोबो– गोवा विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता– और विधायक दिगंबर कामत ने बीजेपी के साथ मिलकर यह साजिश रची है.
यह आरोप तब लगाए जा रहे हैं जब कांग्रेस ने रविवार को एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए लोबो को नेता विपक्ष के पद से हटा दिया. लोबो इस साल के विधानसभा चुनाव से पहले तब भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे, जब भाजपा ने उनकी पत्नी सांचा दलीला लोबो को टिकट देने से इनकार कर दिया था.
सोमवार को विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने से पहले आठ विधायकों के भाजपा में शामिल होने की अफवाहों के बीच पार्टी ने रविवार को मडगांव के एक होटल में अपने विधायकों को इकट्ठा कर लिया.
इस बीच रविवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, गुंडू राव ने आरोप लगाया कि ‘भाजपा कांग्रेस के दो-तिहाई विधायकों का दलबदल करवाकर पार्टी को विभाजित करने की कोशिश कर रही थी, जिसके लिए उसे आठ विधायक अपने साथ मिलाने की आवश्यकता है. लेकिन हमारे छह विधायक भाजपा द्वारा उन्हें पलाबदल करने के लिए बड़ी रकम की पेशकश किये जाने के बावजूद अडिग रहे.‘
गुंडू राव ने आगे कहा: ‘पार्टी का अब एक नया नेता चुना जाएगा, माइकल लोबो सत्ता और पैसे के लिए भाजपा में शामिल होने की साजिश रच रहे थे.’
विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री कामत के बारे में बात करते हुए गुंडू राव ने कहा कि वह ‘भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहे हैं, जिसके लिए केंद्रीय जांच एजेंसियां उनके पीछे पड़ी हुई हैं. लेकिन पार्टी उनके विश्वासघात का मुद्दा लोगों के पास ले जाएगी. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनमें से कितने (भाजपा में) जाएंगे, लेकिन छह विधायक हमारे साथ हैं.’
इस बीच, रविवार को एक ओर अचानक से हुए घटनाक्रम में, गोवा विधानसभा सचिव, नम्रता उलमान ने डिप्टी स्पीकर के चुनाव, जो 12 जुलाई को होने वाली थी, के लिए जारी अधिसूचना वापस ले ली.
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हालांकि, भाजपा के कुछ लोगों ने दावा किया कि ‘उस अचानक हुए घटनाक्रम के बाद इसे रद्द कर दिया गया, जिसकी वजह से डिप्टी स्पीकर के चुनाव के लिए नई रणनीति की जरूरत पड़ सकती है‘, मगर, पार्टी के अन्य सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने मापुसा विधायक (जोशुआ डिसूजा) को डिप्टी स्पीकर के पद के लिए मैदान में उतारने का फैसला किया था. पर अब कांग्रेस विधायकों के संभावित दलबदल, जिसके बाद इस पद के लिए नए सिरे से बातचीत की आवश्यकता हो सकती है, को ध्यान में रखते हुए यह चुनाव स्थगित कर दिया गया है.
इस बीच, कांग्रेस विधायकों द्वारा संभावित दलबदल की उठ रही अफवाहों के बारे में बात करते हुए, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सदानंद तनवड़े ने कहा, ‘हम कांग्रेस की आंतरिक परेशानियों के पीछे की वजह नहीं हैं, लेकिन अगर कोई भाजपा में शामिल होना चाहता है, तो हम उसका स्वागत करेंगे. पार्टी के दरवाजे उन सभी के लिए खुले हैं जो प्रधानमंत्री की विचारधारा के लिए काम करना चाहते हैं.‘
इस साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा गोवा के 40 सदस्यीय सदन में 20 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, जबकि कांग्रेस ने केवल 11 सीटों पर जीत हासिल की थी.
कांग्रेस के लिए सकंट भरा सप्ताहांत
शनिवार को, गुंडू राव ने मानसून सत्र के लिए विधानसभा के पटल पर आपसी समन्वय के बारे में चर्चा करने के लिए सभी 11 कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की थी, और कहा था कि पार्टी एकजुट है और विधायकों के दलबदल की कोई संभावना नहीं है. मगर, शुक्रवार से ही दलबदल की अफवाहें फैलने लगीं थीं.
हालांकि, एक दिन बाद केवल तीन विधायक ही विधायकों की बैठक में पहुंचे. शाम तक उनकी संख्या जरूर बढ़ गई, लेकिन लोबो और कामत अनुपस्थित ही रहे.
इधर, विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस में चल रहे इस सारे नाटक के बीच गोवा विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावड़कर दिनभर अपने कार्यालय में ही नजर आए. हालांकि, उनके कार्यालय ने दावा किया कि वह विधानसभा के दो सप्ताह के मानसून सत्र की तैयारी कर रहे थे, मगर यह अनुमान लगाया गया था कि वह कांग्रेस विधायकों के संभावित दलबदल को संभालने के लिए अपने कार्यालय में मौजूद थे.
कांग्रेस के लिए रविवार को आई यह मुसीबत ठीक तीन साल बाद आई है, जब राज्य में उसके 15 में से 10 विधायक 10 जुलाई, 2019 को भाजपा में शामिल हो गए थे.
तत्कालीन नेता विपक्ष चंद्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में उसके दो-तिहाई विधायकों के दलबदल से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था. इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली एक याचिका को इस साल फरवरी में बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
इससे सबक सीखते हुए इस साल के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी अपने सभी 37 उम्मीदवारों को चुनाव जीतने के बाद पार्टी नहीं छोड़ने की शपथ दिलवाने के वास्ते मंदिरों, चर्चों और मस्जिदों में ले गयी थी. इसने उनसे इसी आशय के एक हलफनामे पर भी हस्ताक्षर करवाए थे.
गोवा बीजेपी के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि ‘पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण गोवा में अपनी पैठ बढ़ाने की योजना बना रही है, जहां से वह 2019 के पिछले संसदीय चुनावों में हार गई थी. दक्षिण गोवा में कांग्रेस के पांच विधायक हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा के अथक प्रयास के बाद भी कुछ विधायक (दलबदल करने के लिए) खुलकर सामने नहीं आए हैं. मगर हमें अब भी उम्मीद है कि दलबदल विरोधी कानून से बचने के लिए आवश्यक संख्या का इंतजाम हो जायेगा.’
दल-बदल विरोधी कानून के तहत, अगर कोई भी विधायक किसी एक पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता है, तो उसकी विधान सभा सदस्यता चली जाती है. हालांकि, यदि किसी पार्टी के दो-तिहाई विधायक उस पार्टी को छोड़ देते हैं, तो उनके समूह को एक टूटे हुए गुट के रूप में माना जाता है और उनकी विधानसभा सदस्यता नहीं जाती है.
गोवा बीजेपी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अगर कामत आठ कांग्रेस विधायकों – इसके 11 विधायकों में से दो-तिहाई – को दलबदल कराने में सक्षम नहीं होते हैं तो जो अन्य दलबदल करते हैं उन्हें विधानसभा से इस्तीफा देना पड़ सकता है और फिर से चुनाव में जाना पड़ सकता है.
इस बीच, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने रविवार देर शाम मीडिया को बताया कि कई सारे विधायक अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित काम के लिए उनसे मिलने आए थे, लेकिन उन्हें कांग्रेस में किसी तरह की फूट के बारे में कुछ भी पता नहीं हैं.
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