पटना: बिहार में बीजेपी के दो सबसे जाने पहचाने चेहरे शाहनवाज़ हुसैन और राजीव प्रताप रूडी 30 सदस्यीय स्टार प्रचारकों की उस सूची से ग़ायब हैं, जो पार्टी ने राज्य विधान सभा चुनावों के लिए जारी की है.
ये दोनों नेता अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे और 1999 में पहली बार लोकसभा सांसद बने थे.
लेकिन हुसैन और रूडी रविवार की लिस्ट में नहीं थे, जबकि सांसद राम कृपाल यादव, सुशील सिंह और छेदी पासवान जैसे नेता, जो 2004 के बाद पार्टी में शामिल हुए थे, विशिष्ट प्रचारकों में शामिल कर लिए गए, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हैं. स्टार प्रचारकों की लिस्ट में कुल मिलाकर 30 नेता रखे गए हैं.
लेकिन रूडी ने अपने बाहर रखे जाने को ज़्यादा अहमियत नहीं दी, और कहा कि तीन चरणों के चुनाव की, ये केवल पहली सूची है. सारण के सांसद ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये कोई मुद्दा नहीं है, और मेरे पर नहीं कतरे गए हैं. मैं अभी भी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता हूं’. उन्होंने आगे कहा, ‘ये सूची चुनावों के पहले दौर के लिए थी. मेरा इलाक़ा दूसरे दौर में आता है. स्टार प्रचारकों की सूची फेज़ के हिसाब से बदलती रहती है’. दिप्रिंट ने शहनवाज़ हुसैन से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कॉल्स नहीं उठाईं.
बीजेपी भी इन नेताओं के न लिए जाने को, ज़्यादा अहमियत नहीं दे रही है. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये दोनों नेता हमारे प्रचार में भूमिका निभा रहे हैं. ये दोनों अभियान प्रबंधन समिति के सदस्य हैं, जिसकी अगुवाई केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद कर रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा स्टार प्रचारक सूची में न होने का मतलब ये नहीं है, कि वो प्रचार नहीं करेंगे. ज़रूरत पड़ने पर पार्टी उन्हें प्रचार करने के लिए कह सकती है’.
‘पार्टी के पास दूसरे विकल्प थे’
बीजेपी सूत्रों ने कहा कि रूडी जिस राजपूत समुदाय से आते हैं, उससे और भी कई नेता हैं. उनमें राधा मोहन सिंह, सुशील सिंह, और केंद्रीय मंत्री आरके सिंह शामिल है, और वो सब सूची में हैं.
सूत्रों ने ये भी कहा कि शाहनवाज़ पहले बीजेपी की योजना में होते थे, चूंकि मुस्लिम समुदाय का विरोध कम करने के लिए, पार्टी को एक मुसलमान चेहरा चाहिए था. नाम न बताने की शर्त पर एक सीनियर बीजेपी लीडर ने कहा, ‘अब हमारा मुख्यमंत्री चेहरा नीतीश कुमार हैं, इसलिए एनडीए के प्रति मुसलमानो की आक्रामकता कम होगी’.
पहले शाहनवाज़ और रूडी की बतौर प्रचारक, पार्टी के भीतर मांग रहती थी.
शाहनवाज़ ने सबसे पहले 1999 में, मुस्लिम बहुल किशनगंज लोकसभा सीट से चुनाव जीता, लेकिन 2004 के चुनावों में वो यहां से हर गए.
लेकिन 2006 में, वो भागलपुर सीट से उप चुनाव जीतकर संसद में वापस आ गए, जहां अच्छी ख़ासी मुस्लिम आबादी है. 2009 के संसदीय चुनावों में उन्होंने ये सीट फिर जीत ली.
जेडी(यू) के साथ 2013 से पहले के गठबंधन में, जब भी दोनों पार्टियों की साझा रैलियां होती थीं, तो बीजेपी नेताओं में सबसे ज़्यादा मांग शाहनवाज़ की रहती थी.
तब एनडीए के संयोजक शरद यादव, शत्रुघन सिन्हा के ऊपर शाहनवाज़ को तरजीह देते थे. लेकिन 2014 के बाद, उनका राजनीतिक करियर नीचे चला गया है. 2014 में मोदी लहर के बावजूद वो हार गए, और 2019 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा. उन्हें राज्यसभा में भी नहीं लिया गया है.
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इन चुनावों के लिए, उन्हें भागलपुर टाउन विधान सभा सीट से टिकट की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया.
रूडी सारण संसदीय सीट से मौजूदा सांसद हैं, जिसे कभी लालू प्रसाद यादव का गढ़ माना जाता था. उन्होंने 2014 में यहां से राबड़ी देवी को परास्त किया, और 2019 में लालू के बेटे तेज प्रताप के ससुर, चंद्रिका राय को मात दी.
रूडी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री थे, और महत्वाकांक्षी कौशल विकास कार्यक्रम के प्रमुख थे, लेकिन उन्हें बीच में ही हटा दिया गया. उसके बाद से वो कभी बीजेपी के अंदर समर्थन हासिल नहीं कर पाए.
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सही है।