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Friday, 22 November, 2024
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बिहार चुनाव से पहले बुलाया गया एक दिन का आखिरी विधानसभा सत्र, प्रश्नकाल और जीरो काल नहीं हुआ

बिना सवाल किए करीब 12 बिल और सप्लिमेंटरी बजट सदन में पास हुए. इस सत्र में कोई प्रश्नकाल, जीरो काल और कॉल अटेंशन मोशन नहीं हुआ.

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पटना: बिहार के विधायक सरकार से सवाल नहीं पूछ पाएं. परंपरागत रूप से चार दिनों के होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र को कम करके एक दिन का किया गया जो सोमवार को हुआ.

इस सत्र में कोई प्रश्नकाल, जीरो काल और कॉल अटेंशन मोशन नहीं हुआ. जदयू के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कोविड की स्थिति और बाढ़ पर बहस कराने की इजाजत तो दी है लेकिन यह काफी कम समय का हुआ.

बिना सवाल किए करीब 12 बिल और सप्लिमेंटरी बजट सदन में पास हुए.

राजद विधायक मो. नेमातुल्ला ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे दुख हो रहा है. सरकार को अपना अनुपूरक बजट पास करना होता है लेकिन विधायक अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में समस्याओं से संबंधित मुद्दों को उठाने का अपना मूल कर्तव्य नहीं निभा सकते हैं.’

1937 में अस्तित्व में आने के बाद पहली बार बिहार विधानसभा ने सत्र की मेजबानी नहीं की. मानसून सत्र के लिए कार्यक्रम स्थल को 4 किलोमीटर दूर ज्ञान भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था- जिसमें 800 लोगों की बैठने की क्षमता वाला एक अत्याधुनिक सम्मेलन हॉल था, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में किया था.

बिहार विधानसभा सचिवालय के कार्यवाहक सचिव भूषण झा ने दिप्रिंट को बताया, ‘स्थल को स्थानांतरित करने का कदम कोविड की स्थिति के कारण किया गया. विधानसभा भवन में 242 (स्पीकर को छोड़कर) विधायकों को समायोजित करने की क्षमता नहीं है.’

‘ज्ञान भवन में, हमने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बैठने की व्यवस्था की. एक पंक्ति में, तीन से अधिक विधायक नहीं थे.’

झा ने कहा कि विधायकों को कोविड-19 के संपर्क में नहीं आने के लिए विस्तृत व्यवस्था की गई थी. ‘सत्र शुरू होने से पहले लगातार तीन दिनों तक पूरे आयोजन स्थल को सैनिटाइज किया गया था. विधायकों को मास्क पहनने के लिए कहा गया था और कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने से पहले थर्मल जांच की व्यवस्था थी.’ यहां तक ​​कि विधायकों की उपस्थिति कई डेस्क पर दर्ज की जा रही थी ताकि वे रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते समय घुलमिल न जाएं.

ज्ञान भवन को लगभग सील कर दिया गया था, जिनके पास, पास नहीं थे और भवन को पार करने की भी अनुमति नहीं थी. झा ने कहा कि कम से कम बिहार के दो विधायकों, चंद्रिका राय और लल्लन पासवान कोविड से संक्रमित थे और सत्र में भाग नहीं ले सके.


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सत्र क्यों आयोजित किया गया था

इस वर्ष के अंत में होने वाले चुनावों से पहले सोमवार का सत्र 16वीं और वर्तमान बिहार विधानसभा का अंतिम सत्र था. इससे पहले, पिछले विधानसभा सत्र को अचानक 16 मार्च को स्थगित कर दिया गया था और कानूनन, अगले छह महीने के भीतर आयोजित किया जाना चाहिए, जो 16 सितंबर को पूरा होता.

जद(यू) के मंत्री ने कहा, ‘लेकिन सितंबर तक, यह काफी संभव है कि चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है और 16 सितंबर से पहले सदन सत्र आयोजित करना संभव नहीं होगा.’ उन्होंने कहा कि अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी द्वारा आयोजित किया गया जिसमें सभी दलों ने एक दिवसीय एजेंडे पर सहमति व्यक्त की.

सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों ने सरकार के फैसले का दृढ़ता से बचाव किया.

भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई सवाल नहीं पूछा गया लेकिन यह एक अभूतपूर्व स्थिति है और विधायकों को सुरक्षित रखना सरकार का कर्तव्य है. इसलिए सदन की कार्यवाही संवैधानिक आवश्यकता के अनुसार हुई.’

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कोविड की स्थिति की ओर इशारा किया, जिस कारण सत्र को ज्ञान भवन स्थानांतरित करना पड़ा.

उन्होंने विधायकों से कहा, ‘कृपया जानकारी और कोविड किट जाते समय ले जाएं.’ उन्होंने यह भी कहा कि सदन को जो भी प्रश्न सौंपे गए, वे सभी संबंधित विभागों को सौंपे जाएंगे और जवाब विधायकों को वापस भेज दिए जाएंगे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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