नई दिल्ली: चेन्नई की एक अदालत ने गुरुवार को द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के एक गिरफ्तार मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की 15 दिन की रिमांड को खत्म करने वाली याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें अंतरिम ज़मानत देने से भी इनकार कर दिया.
बिजली, शराबबंदी और आबकारी मंत्री को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार देर रात धनशोधन के एक मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया और 28 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
आदेश जारी करने से पहले सत्र न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एस. एली ने 47-वर्षीय बालाजी से अस्पताल में मुलाकात की, जहां बुधवार को उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी. डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत बायपास सर्जरी की सलाह दी है.
बालाजी को अगली सूचना तक इलाज के लिए अस्पताल में रहने की अनुमति दी गई है.
गिरफ्तारी के बाद सीने में दर्द की शिकायत के कारण मंत्री को मेडिकल जांच के लिए सरकारी अस्पताल ले जाया गया.
2011 और 2015 के बीच AIADMK के मंत्री रहने के दौरान कैश-फॉर-जॉब्स घोटाले के बारे में लगभग 18 घंटे की पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी.
डीएमके मंत्री पी.के. शेखर बाबू ने दावा किया है कि ऐसे संकेत थे कि बालाजी को प्रताड़ित किया गया था.
जिस समय बालाजी को अस्पताल ले जाया जा रहा था, सोशल मीडिया पर कई वीडियो में उन्हें दर्द से कराहते हुए दिखाया गया है.
बाबू ने संवाददाताओं से कहा, “वे आईसीयू में हैं. वे बेहोशी की हालत में थे और नाम पुकारे जाने पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उनके कान के पास सूजन है जिस पर नज़र रखी जा रही है. डॉक्टरों का कहना है कि उनका ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) बदलाव दिखाता है; ये प्रताड़ित किए जाने के लक्षण हैं.”
केंद्रीय एजेंसी द्वारा गिरफ्तारी के बाद, तमिलनाडु सरकार ने पूर्व प्राधिकरण के बिना राज्य के भीतर जांच करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पूर्व में दी गई सामान्य सहमति को रद्द कर दिया.
सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, मिजोरम, पंजाब और तेलंगाना सहित कई राज्यों ने पहले ही सीबीआई जांच के लिए अपनी सहमति वापस ले ली है.
इस कदम का इन राज्यों में सीबीआई की जांच करने की क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 की धारा-6 के अनुसार, सीबीआई को राज्य के भीतर किसी भी मामले की जांच शुरू करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है.
भाजपा पर “जनविरोधी, लोकतंत्र विरोधी, प्रतिशोध की राजनीति” का आरोप लगाते हुए, सत्तारूढ़ द्रमुक और उसके सहयोगियों ने इस तरह की “सस्ती रणनीति” की निंदा करने के लिए शुक्रवार को कोयम्बटूर में एक सार्वजनिक बैठक की योजना बनाई है.
एक संयुक्त बयान में, राजनीतिक दलों ने कहा, “बीजेपी की प्रतिशोध की राजनीति तमिलनाडु में भी पहुंच गई है. बीजेपी जानती है कि वे तमिलनाडु में नहीं जीत सकते. इसलिए उन्होंने यहां घटिया हथकंडा अपनाया है. ईडी द्वारा सचिवालय में तलाशी किया जाना, बीजेपी के ‘अहंकार’ का खुलासा है. क्या वे हमें धमकी दे रहे हैं? हम इस तरह की रणनीति से नहीं डरेंगे.”
सेंथिल की गिरफ्तारी से पहले ईडी ने मंगलवार को बालाजी के घर और यहां तक कि राज्य सचिवालय स्थित उनके कार्यालय की भी तलाशी ली थी.
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सियासी घमासान
इस बीच, विपक्षी AIADMK के महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने “तमिलनाडु के लिए अपमान” के रूप में खोजों का हवाला देते हुए नैतिक आधार पर बालाजी के इस्तीफे की मांग की है.
उन्होंने कहा, “ईडी की तलाशी सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर आधारित है. अगर उन्होंने पहले किए गए वादे के मुताबिक सहयोग किया होता तो समस्या ही नहीं बढ़ती.”
भाजपा ने बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को द्विअर्थी करार दिया. उन्होंने डीएमके के पिछले दावों का हवाला दिया- जब वी. सेंथिल बालाजी एआईएडीएमके में थे और उन्हें भ्रष्ट कहा जाता था. भाजपा ने कहा है कि लेकिन वे अब अपने ही मंत्री का बचाव कर रहे थे. बालाजी 2018 में डीएमके में शामिल हुए थे.
भाजपा के एक प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य मंत्री के खिलाफ कार्रवाई सबूतों और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर आधारित थी.
उन्होंने कहा, “विपक्षी नेता के रूप में एम. के. स्टालिन बालाजी के पीछे पड़े थे, लेकिन आरोपी के डीएमके में शामिल होने पर ‘समझौता’ कर लिया. सत्ता में रहते हुए डीएमके नेता ने सभी आरोप हटा दिए.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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