scorecardresearch
Monday, 18 November, 2024
होमराजनीतिनीतीश नई परियोजनाओं का वादा कर रहे, लेकिन यह साफ नहीं कि 2015 में मिले 1.25 लाख करोड़ रुपये के बिहार पैकेज का क्या...

नीतीश नई परियोजनाओं का वादा कर रहे, लेकिन यह साफ नहीं कि 2015 में मिले 1.25 लाख करोड़ रुपये के बिहार पैकेज का क्या हुआ

नीतीश कुमार सरकार में मंत्री अब तक ये आंकड़े उपलब्ध नहीं करा पाए हैं कि 2015 के बिहार चुनावों से पहले घोषित आर्थिक पैकेज के तहत अब तक कितनी राशि खर्च की गई है.

Text Size:

पटना: नीतीश कुमार सरकार विधानसभा चुनाव के पहले नई परियोजनाओं का वादा करने में जुटी है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज घोषित किए जाने के पांच साल बाद भी यह साफ नहीं है कि इसमें से कितनी धनराशि राज्य पर खर्च की गई है.

दिप्रिंट ने नीतीश सरकार के दो मंत्रियों से बात की, जिन्होंने अभी तक खर्च धनराशि के आंकड़े तो उपलब्ध नहीं कराए लेकिन दावा कि परियोजनाओं पर काम चल रहा है.

अगस्त 2015 के पैकेज में अन्य क्षेत्रों के अलावा सड़कों और पुलों के लिए 54,713 करोड़ रुपये, पेट्रो और गैस परियोजनाओं के लिए 21,476 करोड़ रुपये और कौशल विकास के लिए 1,550 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सारा पैसा केंद्र की तरफ से ही खर्च किया जा रहा है, इसलिए राज्य सरकार के पास बिहार में प्रधानमंत्री के आर्थिक पैकेज के तहत खर्च धनराशि का ब्योरा नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘सड़कों और पुलों का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा किया जा रहा है, उसी तरह पेट्रो परियोजनाएं इंडियन ऑयल और बिजली परियोजनाएं एनटीपीसी के तहत चल रही हैं. इसलिए यह धनराशि हमारे बजट में शामिल नजर नहीं आती. लेकिन पैकेज के तहत जिन कार्यों का वादा किया गया था उसमें से अधिकांश पूरे हो चुके हैं या फिर प्रगति पर हैं.’

बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा, ‘हमने सड़क और पुल पैकेज को 75 भागों में विभाजित किया है, जिसमें से 13 पूरे हो चुके हैं, 49 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जबकि बाकी का काम निविदा के चरण में है.’

उन्होंने माना कि इसमें देरी हुई है. धनराशि केंद्र की तरफ से मिलने के कारण राज्य सरकार के खाते में शामिल न होने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘सड़क निर्माण अल्पकालिक परियोजना नहीं होती है. इनमें से कई परियोजनाएं 2021 या 2022 तक पूरी हो जाएंगी.’ हालांकि, उन्होंने खर्च हुए धन के आंकड़े बताने से इनकार कर दिया.


यह भी पढ़ें: बिहार चुनाव के मद्देनज़र नए दलित चेहरों की तलाश में हैं नीतीश कुमार


आर्थिक पैकेज

अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के मतदाताओं को लुभाने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी. यह पैकेज भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए के लिए मुख्य चुनावी मुद्दा था. उस समय जदयू, कांग्रेस और राजद महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे नीतीश कुमार ने पैकेज की आलोचना करते हुए इसे ‘कुछ भी नया नहीं’ करार दिया था.

एनडीए के यह चुनाव हारने के बाद भी तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने घोषणा की थी कि वादे के मुताबिक बिहार को पैकेज मिलेगा, जिसमें गंगा पर छह मेगा पुल बनवाना भी शामिल है.

मार्च 2017 में जब नीतीश महागठबंधन का ही हिस्सा थे, तब जल संसाधन मंत्री रहे लल्लन सिंह ने विधानसभा में कहा था कि पैकेज के तहत बिहार को केवल 28,117 करोड़ रुपये मिले हैं. पैकेज के ब्योरे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था. जेटली ने घोषणा की थी कि यह राशि केंद्रीय बजट से आएगी, लेकिन उन्होंने समयसीमा नहीं दी थी.

अब तक जो नजर आ रहा है उसमें 2,000 करोड़ रुपये से पटना को हाजीपुर से जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु का नवीनीकरण शामिल है. महात्मा गांधी पुल और भागलपुर में विक्रमशिला पुल के समानांतर पुलों के निर्माण सहित बाकी हिस्सों पर काम शुरू होना अभी बाकी है.

सूत्रों के मुताबिक भूमि अधिग्रहण को लेकर कुछ अड़चनें सामने आ रही थीं जिस पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की नाराजगी सामने आई थी. यादव ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने जमीन को लेकर आ रही बाधाएं दूर कर ली हैं.’

हालांकि, भाजपा को छोड़कर बाकी सब प्रधानमंत्री के आर्थिक पैकेज को लगभग भुला चुके हैं, मोदी ने हाल ही में इसका उल्लेख किया था.

13 सितंबर को उन्होंने बिहार में तीन पेट्रो परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जो 2015 के पैकेज का हिस्सा थीं. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की 10 परियोजनाओं पर 21,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

हालांकि, पटना में घरों में गैस की आपूर्ति जैसी योजनाएं, जिन्हें 2018 के अंत तक पूरा करने का वादा किया गया था, अभी शुरू भी नहीं हुई हैं. बरौनी में एक ख़राब उर्वरक कारखाने को फिर से चालू करने के लिए गैस लाइन का वादा भी पूरा नहीं हो पाय है.

कई अन्य योजनाएं हैं जो या तो शुरू नहीं हुई हैं या देरी से शुरू हुई हैं.

पटना में एक नए एयरपोर्ट का निर्माण और राज्य में अन्य हवाई अड्डे, जिनके लिए 2,700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, अभी प्रगति पर है. बक्सर में थर्मल प्लांट के लिए 16,300 करोड़ रुपये का वादा किया गया था, वह भी शुरू नहीं हुआ है. पटना में स्थापित होने वाला 1,550 करोड़ रुपये का मेगा कौशल विकास विश्वविद्यालय अभी शुरू नहीं हुआ है. कई अन्य परियोजनाएं भी जमीनी हकीकत नहीं बन पाई हैं.

नए वादे

अब, इस साल जब विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार नए वादे कर रही है, जिसमें करोड़ों की लागत वाली सड़क संपर्क और ग्रामीण और शहरी आवास परियोजनाएं शामिल हैं, जबकि प्रधानमंत्री मोदी आधारशिला रखने और उद्घाटन करने में व्यस्त हैं.

मोदी ने शुक्रवार को कोसी रेल महासेतु, जिसकी शुरुआत दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी, का उद्घाटन किया और कुछ अन्य रेल परियोजनाओं का शिलान्यास किया.

हालांकि, विपक्ष नए वादों को प्रधानमंत्री के आर्थिक पैकेज की तरह ही ‘झूठा’ करार दे रहा है. राजद विधायक बीरेंद्र यादव ने दिप्रिंट से कहा, ‘भाजपा ने 2015 में बिहार के लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की थी और अब फिर इसे आजमा रहे हैं. वे फिर नाकाम होंगे.’

अर्थशास्त्रियों ने भी 2015 के बिहार आर्थिक पैकेज पर सवाल उठाए हैं. पटना स्थित एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट फॉर सोशल स्टडीज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डी.एम. दिवाकर कहते हैं, ‘भले ही प्रधानमंत्री ने पैकेज की घोषणा की हो यह एक राजनीतिक नौटंकी थी. केंद्रीय बजट में ऐसा कोई अलग मद नहीं है जिसमें पैकेज के लिए धन आवंटित किया गया हो. अगर सब कुछ प्रधानमंत्री के पैकेज से ही हो रहा है तो बिहार को बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए आवंटित किए जाने वाले धन का क्या हुआ.’


यह भी पढ़ें: केंद्रीय योजनाओं ने नीतीश कुमार की राजनीति को कितना चमकाया, दरभंगा में एम्स इसका ताज़ा उदाहरण है


(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments