नई दिल्ली: सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विधानसभा स्पीकर विजय सिन्हा के बीच जमकर बहस हो गई. इस दौरान नीतीश इतना ज्यादा गुस्से में आ गए कि उन्होंने सिन्हा की बात तक नहीं सुनी और वो लगातार बोलते रहे. मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष पर संविधान का ‘खुले तौर पर उल्लंघन’ करने का आरोप लगाया.
#WATCH बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच विधानसभा में बहस हुई। बहस का विषय ये रहा कि "क्या सरकार द्वारा जांच किए जा रहे एक मामले (लखीसराय मामला) जिसे विशेषाधिकार समिति को भी भेजा गया है, सदन के पटल पर 'बार-बार' उठाया जा सकता है।" pic.twitter.com/WMVqVQZO6w
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 14, 2022
दरअसल, बीजेपी के विधायक संजय सरावगी ने लखीसराय मामले में एक सवाल कर लिया था जिसके कारण इतना बवाल शुरू हो गया.
सरावगी ने सवाल किया था कि लखीसराय मामले में क्या कार्रवाई हो रही है? जिसका जवाब राज्य के प्रभारी गृह मंत्री विजेंद्र यादव ने दिया. सरावगी सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और इस मामले से जुड़े उन्होंने कई और भी सवाल किए. साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है और मासूमों को फंसा रही है.
दरअसल लखीसराय की घटना सिन्हा क्षेत्र के ही है. इसीलिए वो भी सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण चाह रहे थे. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस मामले में जिस शख्स को गिरफ्तार किया गया है वो सिन्हा का करीबी है और वो पुलिस की कार्रवाई से खासे नाराज हैं. सरावगी और विजेंद्र यादव के सवाल-जवाब का सिलसिला जब असहज हो गया तो स्पीकर ने इस प्रश्न को 16 मार्च तक के लिए स्थागित कर दिया.
इसके बाद नीतीश का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने स्पीकर के फैसला का विरोध किया और नियमों का उल्लघंन बताया. उन्होंने कहा का इस मामले की जांच चल रही है और अभी यह कोर्ट में है. जो मामला अदालत में हो उसे बार-बार सदन में उठाना नहीं चाहिए. यह असंवैधानिक है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘मामले को ज्यादा नहीं बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि पुलिस अपना काम कर रही है और इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. जांच रिपोर्ट अदालत में दायर की जाएगी. इसे यहां दर्ज नहीं किया जाएगा. मैं न तो किसी को फंसाता हूं और न ही किसी की रक्षा करता हूं. पुलिस अपना काम करती है. मुझे समझ में नहीं आता कि सदन में बार-बार ऐसी बातें क्यों उठाई जाती हैं. मैंने अपने लंबे करियर में ऐसा कभी नहीं देखा.’
सिन्हा ने कई बार सीएम से आसन की बात पर ध्यान देने के लिए कहा लेकिन मुख्यमंत्री चुप नहीं हुए और लगातार अपनी बात रखते रहे. स्पीकर ने कहा कि जब विधायक ने कुर्की जब्ती की बात उठाई तो मंत्री जी जवाब नहीं दे पाए.
नीतीश ने आगे कहा कि सदन में जिस बात को उठाया जा रहा था उससे वह आहत हैं. ‘यह स्वीकार्य नहीं है. संपत्ति की कुर्की की जानी है या नहीं यह कोर्ट को देखना है. कृपया संविधान को पढ़ लें. सदन ऐसे नहीं चल सकता. सभी विधायकों को कोई भी सवाल पूछने की आजादी है और सरकार को जवाब देना है, लेकिन एक ही मुद्दे पर सिर्फ इसलिए बार बार उठाना चाहिए क्योंकि यह किसी के निर्वाचन क्षेत्र का है.
नीतीश ने आगे कहा कि ‘वह यह पता लगाने के लिए मामले की समीक्षा करेंगे कि क्या कोई देरी हुई है क्योंकि 60 दिनों के भीतर जांच पूरी करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए थे. मामला पहले से ही विशेषाधिकार समिति के पास है और जो भी सिफारिशें की जाएंगी, सरकार निश्चित रूप से इस पर गौर करेगी और कार्रवाई करेगी.’
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क्या है लखीसराय मामला
लखीसराय में सरस्वती पूजा के मौके पर आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम से जुड़ा है, जहां हजारों लोग कोविड-19 प्रतिबंधों की धज्जियां उड़ाते हुए जमा हुए थे.
इस प्रोटोकॉल के उल्लंघन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था जिसके बाद स्थानीय पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था. हालांकि पुलिस ने मौजूद आयोजकों और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की थी.
अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि लखीसराय में तैनात तीन पुलिस अधिकारियों, जिनमें डीएसपी रंजन कुमार, बीरूपुर एसएचओ दिलीप कुमार सिंह और एसएचओ बरहैया संजय कुमार सिंह शामिल थे, ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया जब उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था. बाद में राज्य पुलिस मुख्यालय ने डीएसपी और दो एसएचओ को उनके पदों से हटा दिया.
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