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Friday, 22 November, 2024
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बिहारः पुलिस स्टेशनों से लिखित में मांग, न बिकने दें अपने एरिया में शराब वरना 10 साल पोस्टिंग नहीं

अगर उस एरिया से शराब बरामद की गई तो पुलिकर्मी पुलिस स्टेशन में अगले 10 साल तक पोस्टिंग नहीं पा सकेंगे.

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नई दिल्लीः बिहार में शराबबंदी की अपनी योजना को सफल बनाने के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने और कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. कुमार ने एक दिन पहले पुलिस को निर्देश दिया है कि वह सभी पुलिस स्टेशनों से लिखित रूप में लें कि वह अपने एरिया में अवैध शराब की बिक्री नहीं होने देंगे. अगर उस एरिया से शराब बरामद की गई तो पुलिकर्मी पुलिस स्टेशन में अगले 10 साल तक पोस्टिंग नहीं पा सकेंगे.

जारी है शराब का धंधा

गौरतलब है बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद शराब का धंधा मंदा तो ज़रूर पड़ा है लेकिन सीएम नीतीश कुमार की सख्ती के बाद भी यह धंधा पूरी तरह बंद नहीं हुआ है. सरकार के लाख दावों के बाद भी समय-समय पर शराब की जब्ती व शराब के साथ गिरफ्तारियां सामने आई हैं.

हाल ही में राज्य के एक स्कूल भवन से शराब की 100 से अधिक पेटियां बरामद की गई थीं जो इस बात की तस्दीक करती हैं कि सरकारी तंत्र कहीं न कहीं अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है.

इधर, पिछले दिनों एक गैर- सरकारी संस्था के सर्वे से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि शराबबंदी के कारण लोग सरकार से खुश नहीं हैं.

पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो अवैध शराब पकड़ने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. बिहार में अप्रैल 2016 से लागू पूर्ण शराबबंदी के बाद इस साल 20 नवंबर तक राज्य में शराब का सेवन करते 1.34 लाख से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं जबकि 39.62 लाख लीटर से ज्यादा शराब की बरामद की गई है.

वहीं शराबबंदी के बाद इन मामले में अंदरखाने शामिल 33 पुलिसकर्मी भी बर्खास्त किए गये हैं.

संस्था के दावा है कि सर्वेक्षण में 65 प्रतिशत लोग मानते हैं कि राज्य सरकार शराबबंदी कानून लागू करने में विफल रही है जबकि 12.44 प्रतिशत इसको गलत मानते हैं.

‘जन की बात’ के संस्थापक एवं सीईओ प्रदीप भंडारी ने बिहार के सात ज़िलों समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, मधुबनी, बेगूसराय, पटना और दरभंगा के 3,500 लोगों का सर्वेक्षण किया जिसमें एक तिहाई लोगों का मानना है कि यह कानून अगले चुनाव में नीतीश कुमार सरकार पर नुकसान पहुंचाएगा. दावा किया गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 58.72 प्रतिशत लोग इस कानून के कारण नीतीश कुमार सरकार से खुश नहीं हैं.

सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि बिहार में शराब पर प्रतिबंध के बाद गरीब और कमज़ोर तबकों के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति कहीं और बदतर हुई है. राज्य में शराब तस्करी बेधड़क चल रही है और घूसखोरी एवं भ्रष्टाचार में भी तेज़ी आई है. इसमें खुलासा हुआ है कि शराबबंदी के बाद कई लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है.

नीतीश कुमार बना रहे समाज सुधारक की छवि

वहीं बिहार में नीतीश कुमार के इन कदमों को उनकी समाज सुधारक की ब्रैंडिंग के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि उन्हें इसका चुनाव में बड़ा फायदा मिला है. मंगलवार को बिहार मंत्रिमंडल की बैठक में ने फैसला लिया है कि बिहार रहने वाले वे लोग जो अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा नहीं करेंगे उन्हें जेल जाना पड़ेगा. माता-पिता की ऐसी किसी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई होगी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कुल 15 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई.

बैठक में राज्य के वृद्धजन पेंशन योजना को भी बिहार लोक सेवाओं के अधिकार अधिनियम 2011 के दायरे में लाने के प्रस्ताव को मंजूर किया गया है. अब किसी भी बुजुर्ग के आवेदन का निपटारा प्रखंड विकास पदाधिकारी को 21 दिनों में करना होगा.

 

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