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Friday, 19 December, 2025
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कभी राजनीति से हिचक, कभी नीतीश की फटकार—अब BJP की कमान संभालने की राह पर नितिन नवीन

अब BJP का सबसे युवा शक्ति केंद्र बन चुके नितिन नवीन को किस्मत, पारिवारिक विरासत और संगठन ने गढ़ा. पद के पीछे के व्यक्ति और उनकी निजी व राजनीतिक कहानी पर एक नज़र.

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पटना: दिल्ली में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते वक्त नितिन नवीन ने एक बार अपनी स्लैम बुक में लिखा था कि राजनीति में जाना उनकी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन होगा. उनके पिता भी कभी नहीं चाहते थे कि वह राजनीति में आएं.

किस्मत के एक अजीब मोड़ और विडंबना में, नवीन न सिर्फ राजनीति में आए, बल्कि इस हफ्ते महज़ 45 साल की उम्र में उन्हें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया. उनकी पत्नी ने कहा, “जब उन्हें यह खबर मिली, तो वह भावुक हो गए थे.”

केंद्र में सत्ता संभाल रही पार्टी के सबसे युवा अध्यक्ष बनने की ओर बढ़ते हुए क्योंकि भविष्य में उनसे जे.पी. नड्डा की जगह लेने की उम्मीद है—नवीन की ज़िंदगी ने बिल्कुल अप्रत्याशित मोड़ ले लिया है.

पार्टी के एक सूत्र ने बताया, साल 2007 में, 27 साल की उम्र में, पटना में ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाने पर रैंप वॉक करने को लेकर उन्हें वरिष्ठ बीजेपी नेताओं की फटकार भी झेलनी पड़ी थी. इसके बाद वह पांच बार विधायक बने और बिहार सरकार में मंत्री भी रहे.

वे माधुरी दीक्षित के फैन भी हैं. यह बात उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कही थी, जिसमें उन्होंने यह भी बताया था कि उन्होंने अपनी स्लैम बुक में क्या लिखा था.

रविवार को उनकी नियुक्ति की खबर सामने आने के बाद से पटना में चितकोहरा ब्रिज के नीचे, 3 टेलर रोड स्थित नितिन नवीन का आवास शक्ति केंद्र बन गया है. बिहार भर से राजनीतिक नेता, बीजेपी कार्यकर्ता और शुभचिंतक एसयूवी काफिलों में उन्हें बधाई देने पहुंच रहे हैं.

BJP के पटना मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त होने पर नितिन नवीन को बधाई देते पोस्टर | ज्योति यादव/दिप्रिंट
BJP के पटना मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त होने पर नितिन नवीन को बधाई देते पोस्टर | ज्योति यादव/दिप्रिंट

अक्टूबर में, उनकी पत्नी डॉ. दीपमाला श्रीवास्तव चार दिन का छठ पूजा व्रत कर रही थीं और उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि प्रसाद लेने कौन उनके घर आने वाला है. वे थे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह. उस वक्त इस दौरे में किसी तरह का राजनीतिक संदेश नहीं दिखा था, खासकर नितिन नवीन और उनके परिवार को, क्योंकि बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले थे.

बाद में हुए चुनावों में एनडीए गठबंधन ने जीत हासिल की और जेडीयू नेता व सहयोगी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहे.

दीपमाला ने दिप्रिंट से कहा, “हम उस (अक्टूबर) दौरे से यह अंदाज़ा नहीं लगा पाए थे कि मेरे पति को इतना बड़ा पद मिलेगा.” वे लगातार न्यूज़ चैनल देख रही थीं ताकि अपने पति की राष्ट्रीय राजनीति की यात्रा पर नज़र रख सकें. उन्होंने बताया कि रविवार को जब उनके पति घर आए और यह खबर देने वाले थे, तब तक यह मीडिया में फैल चुकी थी.

अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल हो रही है जिसमें 2022 में विधानसभा के अंदर नीतीश कुमार, नितिन नवीन को डांटते नज़र आ रहे हैं. उस समय मुख्यमंत्री ने बीजेपी-नेतृत्व वाले एनडीए से नाता तोड़कर विपक्षी महागठबंधन का साथ ले लिया था.

नितिन नवीन की बात काटते हुए नीतीश कुमार कहते हैं: “बैठो, तुम क्या जानते हो? जिस दिन पिताजी की मृत्यु हो गई और उस दिन पूरे पटना में मात्र 18% वोट हुआ था, तब भी आप ही जीते थे. हम लोग आपके लिए काम कर रहे थे. बोलो मत, चुपचाप रहो. कितना प्रेम करते रहे, कितना सम्मान करते रहे…बोलना ज़रूर…तुम बोलोगे मेरे खिलाफ, तभी केंद्र वाला कुछ आगे बढ़ा देगा.”

नीतीश कुमार यहां 31 दिसंबर 2005 को नितिन किशोर प्रसाद सिन्हा के निधन और उसके बाद नितिन नवीन के पटना पश्चिम (अब बांकीपुर) विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतने की ओर इशारा कर रहे थे.

नितिन नवीन के आवासीय कार्यालय के अंदर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जे.पी. नड्डा के पोस्टर | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट
नितिन नवीन के आवासीय कार्यालय के अंदर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जे.पी. नड्डा के पोस्टर | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

इस वीडियो के साथ ही नितिन नवीन की पुरानी तस्वीरों की बाढ़ सोशल मीडिया पर आ गई है.

दिवंगत वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील मोदी के साथ नितिन नवीन की एक पुरानी सेल्फी भी फिर से चर्चा में है. सोशल मीडिया यूजर्स इसे “राजनीति ऐसे ही काम करती है” लिखकर साझा कर रहे हैं. कई लोगों ने ध्यान दिलाया कि जो व्यक्ति कभी सुशील मोदी के साथ सेल्फी लेकर खुश था, वही आज सबसे ताकतवर बीजेपी नेताओं के साथ तस्वीरों में नज़र आ रहा है.

दिवंगत सुशील मोदी के साथ नितिन नवीन की पुरानी सेल्फी | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
दिवंगत सुशील मोदी के साथ नितिन नवीन की पुरानी सेल्फी | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

हालांकि, नितिन नवीन की नियुक्ति ने कई लोगों को चौंकाया है, लेकिन उनके कार्यालय के सदस्य उनकी बदली हुई हैसियत को संभालने में जुटे हैं.

उनके तीन निजी सहायकों में से एक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य निरंजन सिंह ने कहा, “लोगों को लग रहा था कि उन्हें कुछ बड़ा मिल सकता है, लेकिन यह पद होगा, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था.” निरंजन सिंह पिछले 10 साल से उनके साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने पटना कॉलेज से ग्रेजुएट होने के तुरंत बाद उनके साथ काम शुरू किया था. उस समय नितिन नवीन भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष थे.

रविवार शाम को पटना की सड़कों पर आतिशबाजी हुई और वीरचंद पटेल मार्ग पर जाम लग गया. यह बिहार के एक नेता के बीजेपी के शीर्ष पद तक पहुंचने के सफर का जश्न था.

अब पटना की सड़कों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के होर्डिंग्स के ऊपर तक ऊंचे-ऊंचे पोस्टर लगे हैं. ये सभी केसरिया रंग में हैं, जिन पर नितिन नवीन की तस्वीर है और उनके नए पद की घोषणा की गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर नितिन नवीन की जमकर तारीफ की और उन्हें मेहनती कार्यकर्ता बताया. उन्होंने एक्स पर लिखा, “वह युवा और परिश्रमी नेता हैं, जिनके पास संगठन का गहरा अनुभव है. बिहार में विधायक और मंत्री के रूप में उनका रिकॉर्ड प्रभावशाली रहा है. उन्होंने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ईमानदारी से काम किया है. वह अपने विनम्र स्वभाव और जमीन से जुड़े कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं.”

बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र के 63 शक्ति केंद्र प्रमुखों में से एक ओमकार कुमार ने दिप्रिंट से कहा, “रविवार को करीब 3 बजे जब उन्हें (नितिन नवीन को) सूचना देने के लिए फोन आया, तब वह कार्यकर्ता परिवार सम्मान समारोह के बीच में थे और लगभग 4,000 कार्यकर्ताओं को माला पहनानी थी. उस समय उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का भाषण चल रहा था.”

उन्होंने कहा, “उन्होंने कार्यक्रम खत्म होने तक इंतज़ार किया और उसके बाद यह खबर साझा की. इससे संगठन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दिखती है.” ओमकार कुमार नितिन नवीन के राजनीति में पहले दिन से उनके साथ हैं.

शीर्ष पद मिलने के बाद अपने पहले बयानों में से एक में नितिन नवीन ने मीडिया से कहा, “अगर हमें अपने देश को सुरक्षित रखना है, तो हमें बंगाल भी जीतना होगा.”

‘संयोग से बने नेता’

सोमवार को नितिन नवीन के आवास के अंदर नारंगी रंग की कुर्सियां करीने से लगी हुई थीं, चाय परोसी जा रही थी और मेहमानों को नाश्ता दिया जा रहा था. एक टीम सैकड़ों फोन कॉल संभाल रही थी, वहीं लगातार आने वाले आगंतुकों का स्वागत भी किया जा रहा था. नितिन नवीन का आठ साल का बेटा नैतिक, जो डीपीएस में कक्षा 2 का छात्र है, अभी-अभी स्कूल से लौटा है.

नितिन नवीन के आवास पर सजी कुर्सियां | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट
नितिन नवीन के आवास पर सजी कुर्सियां | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

दीपमाला ने कहा, “वे अभी इतना छोटा है कि अपने पिता पर अब जो राजनीतिक जिम्मेदारी आ गई है, उसका बोझ समझ सके.” उन्होंने अपने दो बच्चों और परिवार की देखभाल के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में सीनियर मैनेजर के पद से सेवानिवृत्ति ले ली थी. दीपमाला और नितिन नवीन की शादी 2009 में अरेंज मैरिज के जरिए हुई थी. उस समय दीपमाला बिहार वेटरनरी कॉलेज से ग्रेजुएट हो चुकी थीं, जबकि नितिन नवीन पहले से विधायक थे.

उन्होंने आगे कहा, “मैं बैंकरों के परिवार से आती हूं और उनके दादा भी सरकारी कर्मचारी थे, लेकिन उनके पिता ने राजनीति में बड़ा नाम कमाया.”

1980 में नबीन किशोर और मीरा सिन्हा के घर जन्मे नितिन नवीन, दो बहनों के बीच मंझले बेटे हैं. उन्होंने अपना युवावस्था का समय दिल्ली में हॉस्टल में रहकर बिताया. उनके पिता अरुण सिन्हा, नंद किशोर यादव और सुशील मोदी जैसे बीजेपी नेताओं के समकालीन थे और उन्होंने बिहार में जेपी आंदोलन में हिस्सा लिया था.

नितिन नवीन ने नई दिल्ली के सीएसकेएम पब्लिक स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा चले गए. हालांकि, स्कूल और कॉलेज के दिनों में वे राजनीति से दूर ही रहे.

नबीन किशोर के पुराने दोस्त प्रमोद कुमार सिंह याद करते हैं, “जब उन्हें बिहार सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया, तो उनके पिता दिल्ली चले गए थे. 31 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. हम 1985 से एक-दूसरे को जानते थे. वह कभी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा राजनीति में आए, इसलिए उन्होंने उसे पढ़ाई के लिए बाहर भेज दिया था.”

प्रमोद कुमार सिंह, 67, और ओमकार कुमार, 45—नितिन नवीन के पिता के समय से जुड़े दो सहयोगी—पटना के इनकम टैक्स चौराहा कार्यालय के अंदर | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट
प्रमोद कुमार सिंह, 67, और ओमकार कुमार, 45—नितिन नवीन के पिता के समय से जुड़े दो सहयोगी—पटना के इनकम टैक्स चौराहा कार्यालय के अंदर | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

दिल का दौरा पड़ने के बाद नितिन नवीन को कॉलेज से वापस बुला लिया गया. दीपमाला ने कहा, “यह उनका आखिरी सेमेस्टर था. अगर यह (पिता की मृत्यु) नहीं हुई होती, तो वह विदेश जाकर पोस्ट-ग्रेजुएट पढ़ाई करने वाले थे.” एक इंटरव्यू में नितिन नवीन ने भी कहा था कि वह संयोग से राजनीति में आ गए.

पिता की मृत्यु के बाद उपचुनाव होने वाला था और सी.पी. ठाकुर तथा कैलाशपति मिश्रा जैसे नेता नितिन की मां को उम्मीदवार बनाना चाहते थे.

सिंह ने दिप्रिंट से कहा, “उनकी मां ने कहा कि नितिन को मौका मिलना चाहिए. इसलिए उन्होंने 25 साल की उम्र में चुनाव लड़ा. उस समय सहानुभूति की लहर थी. सभी जानते थे कि वही जीतेंगे. विरोधी दल ने तो वोट डालने भी नहीं आए, ताकि उनकी जीत पक्की हो जाए.” उन्होंने कहा कि उनके पिता की बहुत बड़ी साख थी और उस समय उन्हें पटना महानगर में गॉडफादर की तरह माना जाता था.

नितिन को वही साख विरासत में मिली और उन्होंने उसे आगे बढ़ाया.

इसके बाद ही आरएसएस और बीजेपी में उनका सफर शुरू हुआ. सालों के दौरान उन्होंने खुद को एक शांत स्वभाव वाले, आसानी से मिलने वाले, सादगी भरे जीवन वाले नेता के रूप में स्थापित किया और 2010, 2015, 2020 और 2025 में चुनाव जीते.

साल 2020 में पहली बार उन्हें मंत्री बनाया गया और उन्हें सड़क निर्माण विभाग का दायित्व सौंपा गया. बाद के वर्षों में उन्होंने शहरी विकास और आवास, साथ ही विधि और न्याय जैसे विभागों की जिम्मेदारी भी संभाली.

नितिन नवीन के चुनावी हलफनामे के अनुसार, 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उनकी कुल संपत्ति करीब 6 लाख रुपये थी. हालांकि, 2025 के विधानसभा चुनाव के हलफनामे के मुताबिक उनकी संपत्ति बढ़कर 3 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है, जबकि उन पर 56 लाख रुपये से ज्यादा की देनदारियां भी हैं. उनके खिलाफ पांच आपराधिक मामले भी दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर अवैध जमावड़े से जुड़े हैं.

पिता की विरासत और अनुशासन से जुड़ी जड़ें

पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित नितिन नवीन के कार्यालय और उनके आवास में उनके पिता की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हुई हैं, जिन पर फूलों की मालाएं चढ़ी है.

उनकी पत्नी ने कहा, “उनके निजी और राजनीतिक जीवन को जो चीज़ मजबूती से थामे हुए है, वह उनके पिता की कही कुछ पंक्तियां हैं. वह आज भी उनके लिए मार्गदर्शक प्रकाश हैं और साथ ही 1978 की फिल्म मुकद्दर का सिकंदर का गीत ओ साथी रे भी.” नितिन की मां मीरा सिन्हा का वर्ष 2021 में निधन हो गया था.

उनके आवासीय कार्यालय के अंदर, जहां टीवी चैनल चल रहे थे और दीवार पर उनके दिवंगत पिता नबीन किशोर प्रसाद सिन्हा की बड़ी तस्वीर टंगी थी | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट
उनके आवासीय कार्यालय के अंदर, जहां टीवी चैनल चल रहे थे और दीवार पर उनके दिवंगत पिता नबीन किशोर प्रसाद सिन्हा की बड़ी तस्वीर टंगी थी | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

टीवी इंटरव्यू में नितिन नवीन ने यह भी स्वीकार किया था कि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा उनके पसंदीदा नेता सुशील मोदी रहे हैं. इसमें यह भी सामने आया कि परिवार में आमतौर पर नितिन के संगठन से जुड़ने के बाद आए अनुशासन और दीपमाला के मामलों को हल्के में लेने वाले स्वभाव को लेकर टकराव होता रहता था. उन्होंने कहा, “मैं पहले थोड़ा कैज़ुअल था, लेकिन अब मैं एक सिस्टम में विश्वास करता हूं.”

पार्टी में नितिन की कई जिम्मेदारियों के चलते परिवार के लिए समय बहुत कम बचता है. दंपति ने घर पर आखिरी बार साथ में जो फिल्म देखी थी, वह 2023 में आई 12th Fail थी. नितिन को उम्रदराज कार्यकर्ताओं के पैर छूने, उन्हें स्नेह से संबोधित करने और नरम लहज़ा बनाए रखने के लिए भी जाना जाता है.

एक राजनीतिक टिप्पणीकार, जिन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बात की, बताते हैं कि वक्त के साथ नितिन ने बहुत सोच-समझकर एक सादे व्यक्ति की छवि बनाई है. “हवाई यात्रा में यह पहचानना मुश्किल होता है कि वह मंत्री हैं या विधायक, क्योंकि अक्सर वह आगे की सीटों से दूर बैठते हैं और अपना ट्रॉली बैग खुद संभालते हैं.”

‘एक बिहारी, सब पर भारी’

साल 2010 में नितिन नवीन को युवा मोर्चा का राष्ट्रीय महामंत्री नियुक्त किया गया था. वह 2013 तक इस पद पर रहे. 2016 से 2019 तक उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा, बिहार के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम किया और कार्यकर्ताओं से मजबूत जुड़ाव बनाया.

2019 में उन्हें सिक्किम विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई और राज्य का प्रभारी बनाया गया. 2021 से 2024 तक वह छत्तीसगढ़ के सह-प्रभारी रहे, जहां 2023 में बीजेपी ने सरकार बनाई. पिछले साल ही उन्हें छत्तीसगढ़ के लोकसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया था.

पटना स्थित BJP मुख्यालय में “एक बिहारी, सब पे भारी” जैसे नारे गूंजते सुनाई दिए.

कार्यकर्ताओं ने याद दिलाया कि बिहार से पहले भी कई वरिष्ठ नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारियां मिली थीं, लेकिन जो मुकाम नितिन ने हासिल किया, वह कोई नहीं कर पाया. कैलाशपति मिश्रा बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे थे, वहीं रेनू देवी और राधा मोहन सिंह ने भी यही पद संभाला. रविशंकर प्रसाद बीजेपी के महासचिव रहे, जबकि राजीव प्रताप रूडी और शाहनवाज हुसैन पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे.

इस पृष्ठभूमि में नितिन नवीन की बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति को ऐतिहासिक माना जा रहा है.

बिहार से बीजेपी नेता और वर्तमान में श्रम संसाधन मंत्री संजय सिंह टाइगर ने पटना के बीजेपी कार्यालय में दिप्रिंट से कहा, “वह सबसे युवा और बेहद संभावनाशील नेता हैं, जो इतनी ऊंचाई तक पहुंचे हैं. वह हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों बोल सकते हैं और उनके अध्यक्ष बनने से पार्टी को दक्षिणी राज्यों में भी फायदा मिलेगा.”

बिहार राज्य महादलित आयोग के सदस्य और बीजेपी कार्यकर्ता अजीत कुमार चौधरी भी इसी भावना को दोहराते हैं. उन्होंने कहा, “इस फैसले ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है. इसका मतलब है कि बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले युवाओं को भी सम्मान और बड़ा दायित्व मिल सकता है.” उन्होंने यह भी कहा कि यह फैसला भले ही कई लोगों के लिए चौंकाने वाला हो, लेकिन इसने संगठन को एक तरह से फिर से सक्रिय कर दिया है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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