scorecardresearch
Thursday, 14 November, 2024
होमराजनीतिनितिन गडकरी ने कहा- राहुल गांधी BJP के बारे में नहीं जानते, वो ग़ैर-गंभीर बात करते हैं

नितिन गडकरी ने कहा- राहुल गांधी BJP के बारे में नहीं जानते, वो ग़ैर-गंभीर बात करते हैं

दिप्रिंट के ‘ऑफ़ द कफ़’ में बात करते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, कि बीजेपी आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी, ये वैसे ही चल रही है जैसे चलनी चाहिए, और ये भविष्य में भी नहीं बदलेगी.

Text Size:

नई दिल्ली : बीजेपी वंशवाद की राजनीति में विश्वास नहीं रखती और पार्टी मूलरूप से उसी ढंग से काम कर रही है, जैसे वो पहले करती थी, ये कहना है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का.

दिल्ली में दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता से ऑफ़ द कफ़ में बातचीत करते हुए गडकरी ने विस्तार से बताया कि बीजेपी ने पश्चिम बंगाल और असम में मुख्यमंत्री उम्मीदवार क्यों घोषित नहीं किया है और उन्होंने पार्टी के कुल कामकाज पर भी प्रकाश डाला.

‘हमारी पार्टी परिवारों की पार्टी नहीं है. मैं भी कभी दीवारों पर पोस्टर लगाया करता था और दीवारों पर पेंट करता था. मोदीजी के माता-पिता भी कोई विधायक या सांसद नहीं हैं. वो एक चाय की दुकान पर काम किया करते थे’.

उन्होंने आगे कहा: ‘अपनी पार्टी में हम वंशवाद की राजनीति में विश्वास नहीं करते…अटल जी वैसे नहीं थे, आडवाणी भी नहीं थे, न ही श्यामा प्रसाद (मूकर्जी) ऐसे थे. हम अपने सार्वजनिक जीवन में पूरी आस्था से लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास रखते हैं’.

इस बात का जवाब देते हुए कि मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा करने में बीजेपी कैसे कांग्रेस के ‘आला कमान कल्चर’ पर चल रही है, गडकरी ने कहा कि बीजेपी में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा तभी की जाती है, जब नामित करने के लिए कोई ‘स्पष्ट’ चेहरा सामने हो, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मामले में था.

उन्होंने कहा, ‘किसी भी लोकतांत्रिक पार्टी में…नए विधायक और सांसद चुने जाने के बाद अपना नेता चुनते हैं. साथ ही, चुनावों से पहले भी पार्टी नेता के नाम का ऐलान करती है, जैसे कि चुनावों से पहले पार्टी ने मोदी जी को नामित किया था. इसलिए चुनावों से पहले हम उम्मीदवार की घोषणा तभी करते हैं जब नामित करने के लिए कोई ‘स्पष्ट’ नेता सामने हो, जैसा कि मोदी जी के मामले में था’.

योगी आदित्यनाथ के चुनाव बाद उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री चुने जाने का ज़िक्र करते हुए गडकरी ने कहा कि वो पार्टी आलाकमान का लिया गया निर्णय था. ‘संसदीय बोर्ड सर्वोपरि है. अटल जी और आडवाणी जी के समय में भी ऐसे मौक़े आए जब संसदीय बोर्ड ने (ऐसे मामलों पर) फैसले लिए.

असम और पश्चिम बंगाल के मामले में भी, गडकरी ने कहा कि चुनाव पूरे हो जाने के बाद पार्टी निर्णय लेगी.

‘हमारे यहां बूथ स्तर से राष्ट्रीय अध्यक्ष तक चुनाव होते हैं’

बीजेपी ने क्या बदलाव देखे हैं, विशेषकर अपने काम करने के तरीक़े में, ये पूछे जाने पर गडकरी ने कहा कि पार्टी आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी. ‘पार्टी वैसे ही चल रही है जैसे चलनी चाहिए और ये भविष्य में भी ऐसे ही चलेगी. ये वैसी ही है जैसी पहले थी. ये पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए है. हमारे पास अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी जी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीन दयाल उपाध्याय की विरासत है और हमारी पार्टी उस विरासत को आगे बढ़ा रही है’.

उन्होंने आगे कहा: ‘हर पार्टी अध्यक्ष का अपना एक विज़न होता है, अपना तरीक़ा होता है…समय के साथ पीढ़ियां बदलती हैं, चीज़ें बदलती है. अब वीडियो कॉनफ्रेंस की कल्चर आ गई है. पहले ऐसा नहीं था. परिस्थितियों के हिसाब से चीज़ें बदलती हैं, लेकिन मूलभूत मूल्य वही रहते हैं’.

बीजेपी के मूल ढांचे की परिभाषा पूछे जाने पर गडकरी ने कहा: ‘ये कार्यकर्ताओं की पार्टी है. ये एक लोकतांत्रिक पार्टी है जहां चुनाव कराए जाते हैं. हमारे यहां बूथ स्तर से ही चुनाव होते हैं, चुने गए प्रदेश अध्यक्षों में से, हम राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करते हैं. कुछ जगहों पर तो मतदान भी होता है’.

राहुर गांधी के इन बयानों पर कि अंदरूनी लोकतंत्र को लेकर कोई बीजेपी से सवाल नहीं करता, गडकरी ने पलटवार करते हुए कहा: ‘राहुल गांधी को मालूम नहीं है. वो ग़ैर-गंभीर बातें करते हैं. बीजेपी में हर सूबे, हर ज़िले और हर क़स्बे में चुनाव हुए हैं. आज नड्डा जी चुने जाने के बाद ही आए हैं. कुछ जगहों पर लोग कुछ समय के लिए हैं, लेकिन उन्हें भी चुनाव प्रक्रिया से गुज़रना होगा’.

बीजेपी के वैचारिक ढांचे को परिभाषित करते हुए गडकरी ने कहा: ‘वैचारिक रूप से हमारी आत्मा राष्ट्रवाद है. उसके बाद सुशासन है. किसी भी लोकतंत्र में सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियां, एक अहम भूमिका निभाती हैं, और उनमें संतुलन की ज़रूरत होती है. जब हम सत्ता में हैं तो अच्छे शासन के लिए काम करेंगे. जब हम विपक्ष में होंगे, तो वहां भी अपना काम करेंगे’.

केंद्रीय मंत्री ने जो असम और पश्चिम बंगाल में प्रचार करते रहे हैं, कहा, कि पार्टी का एजेंडा ‘सुशासन और विकास’ है. उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी ‘समावेशिता’ में विश्वास रखती है. ‘हम आर्थिक और सामाजिक रूप से ग़रीबों के लिए काम करते हैं’.

 

बीजेपी नेता ने इस बात पर बल दिया कि ‘हिंदुत्व ही राष्ट्रवाद है’.

उनकी दलील थी कि हिंदुत्व एक जीवन शैली है, और ये कोई सांप्रदायिक शब्द नहीं है. ‘आपने ज़रूर सुना होगा कि सावरकर ने क्या कहा था. हिंदुत्व का संबंध किसी धर्म से नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व को ऐसे परिभाषित किया है कि ये एक जीने का तरीक़ा है. हिंदुत्व एक जीने का तरीक़ा है. हिंदुत्व को एक सांप्रदायिक शब्द नहीं कहा जा सकता. उदाहरण के तौर पर, धर्मनिर्पेक्ष शब्द की परिभाषा है, ‘सबके लिए न्याय और किसी का तुष्टीकरण नहीं- ‘सबका साथ सबका विकास’ .


यह भी पढे़ं : गडकरी अपने परिवार को स्कैनिया ‘घूसखोरी’ से जोड़ने वाली रिपोर्टों पर दो स्वीडिश मीडिया हाउस पर मुकदमा करेंगे


‘CAA से शर्णार्थियों का आना बंद हो जाएगा’

गडकरी का कहना था कि कुछ पार्टियां तुष्टीकरण की राजनीति करती हैं. उन्होंने कहा, ‘वो राजनीतिक पार्टियां तुष्टीकरण करती हैं, जो हमारे देश में घुस आने वाले विदेशियों को, मताधिकार और नागरिकता देने की बात करती हैं. वो ऐसी चीज़ों की हिमायत करती हैं, और ये एक राष्ट्र-विरोधी नज़रिया है. हमारा संविधान कहता है कि हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, अगर किसी भी देश से आकर नागरिकता मांगते हैं, तो उन्हें ये मांगने का अधिकार है’.

गडकरी ने पार्टी के रुख़ को दोहराते हुए कहा कि विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) सुनिश्चित करेगा, कि शर्णार्थियों का आना रुक जाए. ‘भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, हमारी प्राथमिकता है’.

उन्होंने आगे कहा: ‘लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश के बनने, और पाकिस्तान के एक मुस्लिम राष्ट्र बन जाने के बाद, हमने अपने आपको एक हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किया. अगर कोई मुसलमान किसी देश में जाना चाहता है, तो उसके पास जाने के लिए कम से कम 100-120 देश हैं, लेकिन इस देश के सिख और हिंदू कहां जाएंगे?’

लेकिन, विशेष रूप से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), और 1971 के बाद आने वाले लोगों को, बांग्लादेश वापस भेजने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा: ‘भारत में नए लोगों का आना रोका जाना चाहिए. बांग्लादेश हमारा मित्र है, और हम उससे विचार विमर्श करके कोई निर्णय लेंगे. ये एक संवेदनशील मामला है और बांग्लादेश तथा भारत अच्छी तरह बातचीत करने के बाद ही किसी फैसले पर पहुंचेंगे’.

गडकरी ने विपक्ष की ओर से बीजेपी पर लगाए जा रहे, सामाजिक और आर्थिक भेदभाव के आरोपों को भी ख़ारिज किया. ‘हमारे ऊपर लगाए गए सामाजिक, आर्थिक, और क्षेत्रीय भेदभाव के आरोप बेबुनियाद हैं. हम सामाजिक और आर्थिक समानता के प्रति समर्पित हैं’.

अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने कई मिसालें दीं. ‘मोदी जी के अंतर्गत हम उज्ज्वला स्कीम लाए, और 10 करोड़ से अधिक लोग इससे लाभान्वित हुए. क्या मोदी की स्कीमों का लाभ मुसलमानों और ईसाइयों को नहीं पहुंचा है? हमने जन धन खाते खुलवाए, तो क्या मुसलमानों ने अपने खाते नहीं खोले? क्या मुसलमान आयुष्मान भारत से फायदा नहीं उठा रहे हैं?’

मंत्री ने ये भी कहा: ‘जहां तक हमारा सवाल है, असल मुद्दा छवि बनाम वास्तविकता और ज़मीनी हक़ीक़त बनाम सियासत का है. वोट बैंक की सियासत के लिए, कुछ लोगों ने हमें बदनाम करने की कोशिश की है’.

‘बीजेपी असम और बंगाल दोनों जीतेगी’

चल रहे विधान सभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर बात करते हुए, गडकरी ने कहा कि उन्हें यक़ीन है कि वो पश्चिम बंगाल और असम में सरकार बना लेंगे. ‘असम में हम जीतेंगे और पश्चिम बंगाल में भी हमें ज़बर्दस्त समर्थन मिलेगा. बीजेपी अपने बल पर सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी’.

उन्होंने आगे कहा: ‘असम में पीएम मोदी और सीएम सर्बानंद सोनोवाल के लिए, ये एक पॉज़िटिव वोट है. पश्चिम बंगाल में, हम पीएम मोदी के किए गए कामों का फायदा उठा रहे हैं. पश्चिम बंगाल में लोगों ने कांग्रेस, सीपीएम और बाद में ममता को आज़माया, लेकिन अब वो इन तीनों से नाख़ुश हैं और बीजेपी को एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं’.

गडकरी ने महाराष्ट्र के हालिया घटनाक्रम का भी ज़िक्र किया, हालांकि वो इस बात पर क़ायम थे कि वो प्रदेश की राजनीति में शामिल नहीं हैं. ‘महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार, एक अप्राकृतिक गठजोड़ से पैदा हुई है. सचिन वाझे जैसे मामलों ने सूबे को शर्मिंदा किया है’.

‘स्केनिया घोटाले से कोई लेना-देना नहीं’

गडकरी ने स्केनिया ‘घोटाले’ पर भी संदेह को दूर किया, जिसमें उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. उन्होंने कहा, ‘मैं इस देश का परिवहन मंत्री हूं और पिछले 12 वर्षों से मैं एथनॉल से चलने वाली बसें, देश में लाने की कोशिश कर रहा हूं. स्केनिया देश की पहली कंपनी है, जो एथनॉल से चलने वाली बसें बनाती है. मैंने भारत में एथनॉल-चालित बसें लाने के लिए कंपनी को बढ़ावा दिया. मैं स्वीडन भी गया. पहले कुछ लोगों ने कहा कि मेरे दौरे का ख़र्च कंपनी ने उठाया है. लेकिन वो आरोप टिक नहीं पाए, क्योंकि मैंने वो टिकट अपने क्रेडिट कार्ड से लिए थे’.

‘ये बस फीस पर चलती है. भारतीय कंपनी ने क़र्ज़ को पूरा किया. ये स्केनिया और भारतीय कंपनी के बीच है. मेरा इससे कोई वास्ता नहीं है. स्केनिया ने कह दिया है कि उन्होंने गडकरी को कोई बस नहीं दी है. अब मैंने लंदन की एक कोर्ट में, पत्रकारों के ख़िलाफ मानहानि का केस दायर किया है. ये शरारत और ब्लैकमेलिंग है. मेरी पहल ये थी कि मैंने एथनॉल-चालित बसों को बढ़ावा दिया, चूंकि जब मैंने इस बारे में बात की, तो किसी ने यक़ीन नहीं किया. इसलिए मैंने सोचा कि चलिए इसे पायलट आधार पर चलाते हैं. मैंने एथनॉल, बिजली चालित बसों को बढ़ावा दिया है…क्या इसका मतलब ये है कि वो मेरी हैं?’

गडकरी ने ये भी कहा: ‘ये मेरा मिशन है. भारत क़रीब 8 लाख करोड़ का कच्चा तेल आयात करता है. अगर हम इसी रफ्तार से बढ़ते रहे, तो ये चार गुना बढ़ जाएगा. अब, अगर जैव ईंधन को बढ़ावा दिया जाए, तो उससे ये (पैसा) बचेगा, हमारे युवाओं को रोज़गार मिलेगा…’

(संघमित्रा मजूमदार द्वारा संपादित)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें : मोदी सरकार को रोकना नामुमकिन, कांग्रेस की नैया डूब रही है और राहुल अपने डोले दिखा रहे


 

share & View comments