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Monday, 18 November, 2024
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राज्यसभा में ‘कमजोर महिला, GST’ पर निर्मला सीतारमण और खरगे में हो गई नोंक-झोंक

खरगे ने दावा किया कि राज्यों को न तो जीएसटी राशि समय से मिल रही है और न ही मनरेगा की राशि ही भेजी जा रही है. दूसरी बार जैसे ही खरगे ने महिलाओं को कमजोर महिलाएं कहा, फिर निर्मला अपनी कुर्सी से उठीं और उन्हें अपने शब्द वापस लेने को कहा.

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नई दिल्ली: नए संसद भवन में राज्यसभा की पहली बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे और निर्मला सीतारमण के बीच दो दो बार तीखी नोक-झोंक देखने को मिली. पहली बहस उस समय हुई जब खरगे ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि किस तरह केंद्र सरकार पुरानी सरकार की योजनाओं को खटाई में डाल रही है. उन्होंने इस दौरान मनरेगा और जीएसटी का जिक्र किया और दूसरी बार तब जब उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति की महिलाओं की साक्षरता दर कम बताते हुए कहा कि यही कारण है कि राजनीतिक दलों को कमजोर महिलाओं को चुनने की बात कही. दोनों ही बार सीतारमण ने खरगे को अपने बयान वापस लेने की बात कही.

खरगे ने दावा किया कि राज्यों को न तो जीएसटी राशि समय से मिल रही है और न ही मनरेगा की राशि ही भेजी जा रही है. उन्होंने कहा, “कुछ राज्यों को जीएसटी, मनरेगा, कृषि, सिचाई सहित विभिन्न कार्यक्रमों की अनुदान राशि समय से नहीं मिलती है.”

खरगे ने कहा, “क्या इससे ऐसे राज्य कमजोर नहीं होंगे.”

उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ लोकतंत्र की बात करती है, लेकिन कई राज्यों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों को उसने गिरा दिया है.

अभी वह यह बातें बोल ही रहे थे कि वित्त मंत्री सीतारमण अपनी चेयर से उठीं और पलटवार करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है.

सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार ने उधार लेकर राज्यों को जीएसटी का भुगतान किया है. उन्होंने कहा, “राज्यों को हर बार एक दो महीने एडवांस में भी जीएसटी का भुगतान किया गया है. किसी भी राज्य का कोई भी जीएसटी पैसा केंद्र पर बाकी नहीं है.”


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‘कमजोर महिलाएं’

वहीं दूसरी बार जैसे ही खरगे ने महिलाओं को कमजोर महिलाएं कहा, फिर निर्मला अपनी कुर्सी से उठीं और उन्हें अपने शब्द वापस लेने को कहा.

बहस उस समय और बढ़ गई जब कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राजनीतिक दलों ने “कमजोर महिलाओं” को उम्मीदवारों के रूप में चुना है और “उन लोगों को नहीं चुनेंगे जो शिक्षित हैं और लड़ सकती हैं.”

खरगे जो उच्च सदन में विपक्ष के नेता हैं, ने कहा, “मोटे तौर पर, पिछड़ी और अनुसूचित जाति की महिलाएं उतनी साक्षर नहीं हैं. उनकी साक्षरता दर कम है, जिसके कारण सभी राजनीतिक दलों को कमजोर महिलाओं को नामांकित करने की आदत है. ”

कांग्रेस नेता ने कहा, ”वे (पार्टियां) उन लोगों को नहीं चुनेंगी जो शिक्षित हैं और लड़ सकती हैं.”

खरगे ने आगे कहा, ”मुझे पता है कि राजनीतिक दल पिछड़ों और अनुसूचित जाति के लोगों को कैसे चुनते हैं.”

मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल नए संसद परिसर में लोकसभा की पहली बैठक के दौरान नया महिला आरक्षण विधेयक पेश किया.

खरगे की टिप्पणी के तुरंत बाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी पार्टी, भाजपा की ओर से यह कहते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया कि खरगे का ” बयान” “बिल्कुल अस्वीकार्य” है.

सीतारमण ने कहा, “हम विपक्ष के नेता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह बयान देना कि सभी पार्टियां उन महिलाओं को चुनती हैं जो प्रभावी नहीं हैं, बिल्कुल अस्वीकार्य है. हम सभी को हमारी पार्टी, हमारे प्रधान मंत्री द्वारा सशक्त बनाया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी एक सशक्त महिला हैं.”

कांग्रेस पर हमला करते हुए, उन्होंने कहा कि खरगे की टिप्पणी विपक्षी दल की मानसिकता को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “महिला अध्यक्ष हैं.” केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “इसके बावजूद उनके पास ऐसी महिलाएं नहीं हैं जो सशक्त हों. मुझे उनके सभी दलों का व्यापक सामान्यीकरण करने पर आपत्ति है.”

सीतारमण को जवाब देते हुए खरगे ने कहा, ”पिछड़े, एसटी की महिलाओं को ऐसे मौके नहीं मिलते जो उन्हें मिल रहे हैं, यही हम कह रहे हैं.”

दोनों नेताओं की नोंकझोंक को सभापति जगदीप धनखड़ ने शांत कराने और मामले से जुड़ दस्तावेज पेश करने को कहा. दोनों नेताओं ने कहा कि वे आज ही अपने दावों के समर्थन में संबंधित दस्तावेज सदन के पटल पर रखेंगे.

इस दौरान धनखड़ ने खरगे से कहा कि आप अपने लोगों पर नियंत्रण रखिए तो खरगे ने भी वैसे ही चुटीले अंदाज में कहा कि हमारे लोग तो नियंत्रण में हैं लेकिन भाजपा के लोग पीएम की नहीं सुन रहे हैं. पीएम भी इस पर मजे ले रहे हैं वो अपने लोगों को चुप नहीं करा रहे हैं.इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मुस्कुराते हुए नजर आए.

इस बीच, पांच दिवसीय विशेष सत्र के तीसरे दिन कल सदन में नारी शक्ति वंदना अधिनियम विधेयक को पारित करने के लिए चर्चा की जाएगी. यह विधेयक 21 सितंबर को राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की गारंटी देना चाहता है. संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण वर्षों से भाजपा सहित कई दलों का वादा रहा है.


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