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Friday, 15 November, 2024
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मोदी सड़क के रास्ते कोलकाता जाना चाहते थे, ममता की घबराई पुलिस ने प्रदर्शनों का हवाला देकर किया मना

पश्चिम बंगाल पुलिस प्रदर्शनों को संभालने में घबरा रही थी और डर रही थी कि कहीं प्रधानमंत्री के काफिले पर कोई हमला न हो जाए. सूत्रों ने कहा इसलिए उन्होंने जांच एजेंसियों को प्रधानमंत्री के लिए चॉपर का इस्तेमाल करने को कहा.

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कोलकाता: प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने नरेंद्र मोदी को कोलकाता से हेलिकॉप्टर से राजभवन जाने को कहा था. दिप्रिंट को पता चला है कि वे 18 किलोमीटर लंबे रास्ते पर सीएए विरोधी प्रदर्शनों को संभालने में घबरा रही थे.

केंद्र जांच एजेंसियों के सूत्रों ने कहा कि बंगाल पुलिस ने उन्हें हुगली की तरफ से बेलूर के रामकृष्ण मिशन जाने के लिए पानी के रास्ते का उपयोग करने के लिए सलाह दी थी.

मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि मोदी को हवाई और पानी के रास्ते अपने गंतव्य तक पहुंचे और इशारा किया कि वो सड़क के रास्ते से सफर करने से बचे क्योंकि सीएए के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं.

केंद्रीय जांच एजेंसी ने दिप्रिंट को बताया कि पीएमओ की तरफ से बार बार कहा गया कि मोदी अपनी 11 जनवरी को कोलकाता की यात्रा सड़क के रास्ते करेंगे. लेकिन इस बात को राज्य पुलिस द्वारा नकार दिया गया.

पश्चिम बंगाल पुलिस प्रदर्शनों को संभालने में घबरा रही थी और डर रही थी कि कहीं प्रधानमंत्री के काफिले पर कोई हमला न हो जाए. सूत्रों ने कहा इसलिए उन्होंने जांच एजेंसियों को प्रधानमंत्री के लिए चॉपर का इस्तेमाल करने को कहा.

गृह मंत्रालय के सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि मंत्रालय की तरफ से कोलकाता की यात्रा के दौरान मोदी के जाने के लिए सड़क के रास्ते का प्रस्ताव था लेकिन पश्चिम बंगाल पुलिस ने हवाई और पानी के रास्ते से जाने को कहा.

दिप्रिंट ने पीएमओ से इस बारे में संपर्क करने की कोशिश की लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

हालांकि राज्य पुलिस ने कहा कि अंतिम फैसला जांच एजेंसियों ने लिया और उन्होंने केवल ‘स्थिति के बारे में उन्हें जानकारी दी’.

बंगाल पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को कहा, ‘प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमेशा एसपीजी की होती है. वे ही रास्तों के बारे में निर्णय करते हैं, हम नहीं. हम केवल उन्हें स्थिति के बारे में जानकारी देते हैं और सलाह देते हैं. अगर वे सड़क के रास्ते के बारे में कहते तो हम इसका इंतज़ाम करते. अंतिम निर्णय हमेशा उन्हें ही लेना होता है.’


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नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जिसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लेकर आई है, मोदी की इस यात्रा का विरोध कई सारे टीएमसी और कांग्रेस समर्थित संगठन कर रहे थे. प्रधानमंत्री के काफिले को हालांकि नेताजी इंडोर स्टेडिएम के बाहर काले झंडे दिखाए गए.

18 किलोमीटर के रूट में 7 प्रदर्शन का प्लान

जांच एजेंसियों द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता मैदान के पास हवाई अड्डे और हेलीपैड के बीच 18 किलोमीटर के फैलाव के साथ सात विरोध प्रदर्शनों और रैलियों की योजना थी. यह हेलीपैड राजभवन के करीब था.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि राज्य मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी के जमात उलेमा ए हिंद के नेतृत्व में आठ संगठन कैखली क्रॉसिंग के नज़दीक प्रदर्शन करने की योजना थी. चौधरी मास शिक्षा विस्तार और पुस्तकालय सेवाओं के लिए स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री हैं.

‘ममता का दो-तरफा खेल’

बंगाल सरकार में वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि प्रशासन ने शुरूआत में पीएमओ से आग्रह किया था कि वो मोदी की कोलकाता के दौरे को विरोध प्रदर्शनों के मद्देनज़र स्थगित कर दें. लेकिन बाद में, सरकार ने पुलिस को प्रधानमंत्री के काफिले को बिना किसी मुश्किल के इंतज़ाम करने को कहा.

वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को कहा, ‘पश्चिम बंगाल प्रशासन इस रूप में नहीं दिखना चाहती कि उसका अपने कानून व्यवस्था को लेकर दिक्कतें हैं.’

उन्होंने कहा, ‘विपक्षी पार्टियां ये मुद्दा बनाती कि और बंगाल को इस रूप में प्रदर्शित करती कि जहां कानून व्यवस्था की परेशानियां है. इसलिए हमने मोदी की यात्रा को मंजूरी दी. वो भी तब जब प्रधानमंत्री हवाई या पानी के रास्ते का इस्तेमाल करें.’

हालांकि टीएमसी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ममता बनर्जी दोनों तरफ खेल रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री के तौर पर वो ये दिखाना चाहती हैं कि प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान कानून व्यवस्था की कोई समस्या नहीं है. हमने पीएम की यात्रा से एक दिन पहले ही राजभवन के पास धरना दिया था. जो नागरिकता संशोधन कानून पर हमारा रुख साबित करता है.’

‘ममता के मोदी से मिलने के खिलाफ प्रदर्शन करने पर नेता ने कहा कि ये उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है.’

उन्होंने कहा, ‘दीदी (बंगाल में ममता को प्यार से कहा जाता है) सबसे चतुर राजनेता हैं. नेता के तौर पर दीदी प्रदर्शनों की अगुआ रही हैं. वो प्रधानमंत्री से मिलीं और सीएए के खिलाफ अपना इंकार जताया जो कि एक अच्छा प्रशासक करता है. उनके कामों को विपक्षी लोगों को सराहना चाहिए न कि सवाल करना चाहिए.’


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‘बंगाल की मुख्यमंत्री के दो चेहरे हैं’

बंगाल भाजपा ने ममता पर दो चेहरे होने के आरोप लगाते हुए हमला किया.

पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दिप्रिंट को बताया कि ममता बनर्जी के कार्यालय की तरफ से प्रधानमंत्री से 15 मिनट की मुलाकात के लिए समय मांगा था.

उन्होंने कहा, ‘हम काफी लंबे समय से देख रहे हैं कि बंगाल की मुख्यमंत्री के पास दो चेहरे हैं. हम किसी दिन एक वीडियो जारी करेंगे जिसमें दिखाया जाएगा कि वो प्रधानमंत्री के सामने किस रूप में नज़र आती हैं और वो लोगों के बीच में क्या कहती हैं.’

विजयवर्गीय ने कहा कि प्रदर्शन प्रधानमंत्री के लिए कोई मायने नहीं रखता और उन्हें इन विरोध प्रदर्शनों से बचने के लिए हवाई और पानी के रास्ते का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मोदी जी बिना किसी इंतज़ाम के पाकिस्तान जा चुके हैं. क्या वही आदमी इन प्रदर्शनों से डरेगा? क्या इसपर विश्वास किया जा सकता है? शेर तो शेर होता है, ऐसे बिल्लियों से नहीं डरते वो.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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