नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त विधेयक पेश किये जाने पर केंद्र सरकार की आलोचना की. बनर्जी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अराजकता के सामने झुकती है.
बंगाल की मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, “न्यायपालिका के सामने झुकने के आह्वान के बीच, बीजेपी अराजकता के सामने झुकती है. सीईसी के चयन के लिए बनी 3 सदस्यीय समिति में सीजेआई की भूमिका अहम है. हम चुनाव आयोग के चयन में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को नियुक्त करने का कड़ा विरोध करते हैं. असुविधा से पता चलता है कि उनके वोट हेरफेर को नुकसान हो सकता है.”
इसके अलावा, उन्होंने लिखा कि भारत को न्यायपालिका के प्रति इस घोर नजरअंदाजी पर सवाल उठाना चाहिए.
बनर्जी ने कहा, “क्या उनका लक्ष्य न्यायपालिका को मंत्री द्वारा संचालित कंगारू अदालत में बदलना है? हम भारत के लिए न्यायपालिका से प्रार्थना करते हैं. माई लॉर्ड, हमारे देश को बचाएं.”
गौरतलब है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल को विनियमित करने के लिए एक विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया था, विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया था.
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 पेश किया था.
विधेयक चुनाव आयोग द्वारा व्यवसाय के लेन-देन की प्रक्रिया से भी संबंधित है.
विधेयक में प्रस्ताव है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पैनल की सिफारिश पर की जाएगी. प्रधानमंत्री इस पैनल की अध्यक्षता करेंगे.
अगर यह विधेयक प्रभाव में आता है, तो यह सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को खारिज कर देगा जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर की जाएगी.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उसकी बताई गई प्रक्रिया संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक लागू रहेगी.
प्रस्तावित विधेयक पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य चुनाव आयोग को “प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली” बनाना है.
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, “चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का एक ज़बरदस्त प्रयास.”
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में लिखा कि यह बिल दिखाता है कि “प्रधानमंत्री संसद में बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले को बदल देंगे जो उन्हें पसंद नहीं आएगा.”
अरविंद केजरीवाल के जवाब में बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि सरकार बिल लाने के अधिकार में है.
उन्होंने एक ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने वैधानिक तंत्र की अनुपस्थिति में सीईसी की नियुक्ति के लिए एक अस्थायी तरीका सुझाया था। सरकार इसके लिए विधेयक लाने के अपने अधिकार में है.”
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