हावड़ा: आप किसी भी रविवार को चले जाइए, पश्चिम बंगाल के हावड़ा में पंचला बाजार लोगों से गुलजार मिलेगा लेकिन आज ऐसा नहीं था. चारों ओर टूटी-फूटी दुकानें, यहां-वहां जली हुईं मोटरसाइकिल, आंसू गैस के गोले और ढाल से लैस पुलिस कर्मियों की कतार नजर आ रही थीं.
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी को लेकर 10 जून को भड़की हिंसा ने जंगल की आग की तरह राष्ट्रीय राजमार्ग-6 से कुछ ही दूर पर स्थित इस इलाके में तहलका मचा दिया.
पश्चिम बंगाल पुलिस ने सड़क जाम करने, आगजनी करने, दंगा करने और सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में सौ लोगों को गिरफ्तार किया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को हावड़ा पुलिस के आला अधिकारियों के दो दिनों तक हिंसा पर नियंत्रण नहीं करने के लिए फेरबदल का आदेश जारी कर दिया.
पांचला में अपनी दवा की दुकान के बाहर खड़े आलम शेख ने दिप्रिंट को बताया, ‘शुक्रवार को नमाज के बाद, हमारे पैगंबर के खिलाफ नूपुर शर्मा की अपमानजनक टिप्पणियों के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया गया था.’
वह आगे कहते हैं, ‘लेकिन पुलिस ने अचानक तीन राउंड आंसू गैस के गोले दागे और इसके बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो गए. वे गली के अंदर भागे और दुकानों में तोड़फोड़ करने लगे. दोपहर में कुछ दुकानें बंद होने के कारण बच गईं थीं.’
जब वह दिप्रिंट से बात कर रहे थे, तभी एक पुलिस अधिकारी ने शेख के पास आकर कहा कि अब सब ठीक है और वह अपनी दुकान फिर से खोल सकता है. लेकिन इस सुझाव को शेख ने विनम्रता से अस्वीकार कर दिया.
उनकी तरह और भी कई दुकानदार हैं जिन्होंने रविवार को अपनी दुकानें नहीं खोलने का फैसला किया.
10 जून को पश्चिम बंगाल सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पांच से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाते हुए, पांचला सहित चार ग्राम पंचायतों में 13 जून तक कर्फ्यू लगा दिया है. हावड़ा में अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है, जबकि मुर्शिदाबाद में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.
आलम शेख ने कहा, ‘कर्फ्यू के आदेश के बावजूद हिंसा को रोका नहीं जा सका. कितनी दुकानों को तहस-नहस कर दिया गया जबकि उनके मालिकों की कोई गलती भी नहीं थी. बीजेपी नेता की टिप्पणियों की वजह से सैकड़ों लोग बाजार में भाग रहे थे.’
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पुलिस ने कार्रवाई नहीं की
शुक्रवार को नमाज के बाद, पश्चिम बंगाल के इलाकों सहित देश के कुछ हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों ने पैगंबर मुहम्मद पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर बीजेपी की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग की.
सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को राज्य सचिवालय में एक इमरजेंसी न्यूज कॉन्फ्रेंस बुलाई और प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की. पश्चिम बंगाल में हिंसा की घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, ‘इमाम और हर कोई ईमानदारी से प्रदर्शनकारियों से अनुरोध कर रहा है कि वे उकसावे में न आएं. अगर दंगे होते हैं, तो हमारे पास कोई जवाब नहीं होगा. क्योंकि कुछ राजनीतिक दल सिर्फ भड़काते हैं और भाग जाते हैं’
लेकिन पंचला में स्थिति तनावपूर्ण बनी रही जहां स्थानीय लोगों ने शनिवार को पुलिसकर्मियों पर पथराव किया.
48 साल के माणिक दास ने अपना स्टोर बंद करते हुए दिप्रिंट को बताया, ‘जब हिंसा भड़की तो प्रशासन असहाय खड़ा था. हमने भीड़ को रोकने के लिए उनके पैर तक छुए ताकि हमारी दुकानें लुटने से बच जाएं लेकिन वे टस से मस नहीं हुए.’
वह आगे कहते हैं, ‘पुलिस के सामने हमारी गाड़ियों को आग लगाई जा रही थी. प्रभारी अधिकारी केवल खड़े होकर तमाशा देख रहे थे. उन्होंने हमसे कहा कि वो कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं.’
पंचला में एक अन्य दुकानदार ने कहा, ‘अगर प्रशासन समय रहते कार्रवाई कर लेता तो यह हिंसा नहीं होती. राजनेता तो एसी कमरों में बैठकर आदेश दे देते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है.’
वह सवाल करते हैं,‘हमारी गलती क्या थी? हमें क्यों निशाना बनाया गया? प्रशासन विफल रहा है, मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा.’
पुलिस की शांति की अपील
हावड़ा के पुलिस आयुक्त आईपीएस सी सुधाकर का कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया और उनकी जगह आईपीएस प्रवीण त्रिपाठी को लाया गया है. हावड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) आईपीएस सौम्या रॉय को भी हटा दिया गया है और उनकी जगह आईपीएस स्वाति भंगालिया ने पद संभाला है.
इसके अलावा, राज्य के गृह विभाग ने शनिवार को हावड़ा जिले में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीआईडी और खुफिया शाखा के 10 वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तैनात किया है
पश्चिम बंगाल पुलिस ने शनिवार को एक बयान में सभी नागरिकों से ‘धार्मिक भाईचारा और बंधुत्व जो बंगाल की संस्कृति की पहचान है’ को बनाए रखने में सहयोग देने का अनुरोध किया. बयान में कहा गया है कि आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.
हालांकि, राज्य प्रशासन पिछले दो दिनों में हिंसा वाले क्षेत्रों में शांति और शांति बनाए रखने का प्रयास कर रहा है लेकिन सनथ जैसे न जाने कितने दुकानदार हैं जो पहले ही लाखों का नुकसान झेल चुके हैं.
सनथ की कपड़े की दुकान राख हो गई, टूटे-फूटे दरवाजों के पीछे से उड़ता काला धुंआ अभी भी नजर आ रहा है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘कितने लोग लाठी, बांस हाथों में लिए दौड़ रहे थे. इससे पहले कि मैं दुकान बंद कर पाता, उन्होंने उसमें आग लगा दी. कपड़ों की दुकान थी, आग की लपटों ने धीरे-धीरे पूरी दुकान को जलाकर राख कर डाला. मैंने अपनी जान तो बचा ली लेकिन दुकान को नहीं बचा पाया.’
नेशनल हाईवे और पंचला के जंक्शन, नेताजी संघ क्लब के परिसर में स्थित एक स्थानीय गैर-धर्मार्थ संगठन को भी नहीं बख्शा गया.
क्लब में एक स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाले पलाश पारुई ने कहा, ‘यह क्लब दशकों पहले बना था. इसके दरवाजे तोड़कर 50 लोग लोहे की छड़ों के साथ अंदर घुस आए. उन्होंने अंदर सब कुछ तोड़ दिया. सड़क पर खड़े आठ पुलिसकर्मी से हमें सुरक्षा लेनी पड़ी. इस इलाके में लगभग 3 किलोमीटर तक मरीजों को मुफ्त सेवा देने वाली क्लब की एम्बुलेंस को भी जला डाली. मैंने अपने पैदा होने के बाद से कभी ऐसा होते नहीं देखा.’
राजमार्ग के दूसरी ओर बीजेपी का एक कार्यालय था, जिसमें शुक्रवार को हुई हिंसा में तोड़फोड़ की गई. बीजेपी की बंगाल इकाई के अध्यक्ष डॉ सुकांत मजूमदार इस कार्यालय की तरफ जा रहे थे, जब उन्हें एक टोल प्लाजा पर रोक दिया गया और शनिवार को पुलिस ने कर्फ्यू के आदेशों की अवहेलना करने पर हिरासत में ले लिया.
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने एक ट्वीट में हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, ‘बहुत जल्द, पश्चिम बंगाल अगला बांग्लादेश बन जाएगा. लगातार दो दिनों से हो रही बर्बरता और आगजनी के समय पुलिस-प्रशासन महज दर्शक बने रहे.’
इस बीच, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति पर राज्य के मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है. धनखड़ ने नागरिकों से शांति बनाए रखने की भी अपील की.
राज्यपाल ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘9 जून से बिगड़ती कानून-व्यवस्था से चिंतित हूं और यह एक बड़ी प्रशासनिक विफलता है, इसे रोकने के लिए कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए. दुर्भाग्यपूर्ण रूप से कानून का उल्लंघन करने वालों को छूट दे दी गई. कानून तोड़ने वालों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए.’
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