नई दिल्ली: चुनाव आयोग (ईसी) की तरफ से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर महामारी के बीच रैलियां आयोजित करने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड-19 संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए पत्र लिखे जाने के कुछ दिन बाद राजनीतिक दलों ने पश्चिम बंगाल में अपना चुनाव अभियान और तेज कर दिया है.
भाजपा की तरफ से सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन राजनीतिक रैलियां रखी गईं, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने दो रैलियों को संबोधित किया और दो रोड शो भी किए.
इस बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चार रैलियों को संबोधित किया. और अब कांग्रेस भी अंततः राहुल गांधी की रैलियों के कार्यक्रम निर्धारित कर रही है, जिसकी शुरुआत 14 अप्रैल से होगी.
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को ही राजनीतिक दलों को कड़ी चेतावनी दी थी, जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 मानदंडों का पालन न किया गया तो रैलियों और बैठकों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. आयोग ने अपने पत्र में बकायदा उदाहरण देकर बताया था कि कब किस प्रत्याशी, स्टार प्रचारक और अन्य नेताओं ने मास्क नहीं पहना और निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन किया.
कोविड की दूसरी लहर तेज होने के बीच देश में सोमवार को लगभग 1.70 लाख ताजा केस सामने आए जो अब तक की उच्चतम संख्या है.
दिप्रिंट ने प्रतिक्रिया के लिए टेक्स्ट मैसेज के जरिये चुनाव आयोग से संपर्क साधा लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने तक कोई जवाब नहीं आया.
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‘नज़र आ रहा है कि हम कितने गंभीर हैं’
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए पांचवें चरण के मतदान से पहले मोदी ने बर्धमान, कल्याणी और बारासात में रैलियां की.
अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री इस चुनावी मौसम में पश्चिम बंगाल में एक ही दिन में तीन रैलियां कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि हम चुनावों को लेकर कितने गंभीर हैं और यह हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है. एक दिन में प्रधानमंत्री की तीन रैलियां और केंद्रीय गृह मंत्री के चार कार्यक्रम (रैलियां और रोड शो) हमारे अभियान को बड़ी ताकत देंगे.’
यह पूछे जाने पर कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का कैसे उल्लंघन हो रहा है, इस पदाधिकारी ने कहा कि राजनीतिक रैलियों के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना असंभव है जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि केवल हम रैलियां कर रहे हैं, अन्य राजनीतिक दल भी तो किस तरह मानदंडों का उल्लंघन कर रहे हैं. हम अब भी कुर्सियां एक उचित दूरी पर रखने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाता है.’
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा, ‘जहां तक बात कोविड प्रोटोकॉल की है, हम जो कुछ भी करने में सक्षम हैं वो कर रहे हैं. इसके साथ ही हम कोविड संबंधी मानदंडों के बारे में जागरूकता भी फैला रहे हैं. हमारे नेता जिस मंच से संबोधित करते हैं, वहां पर तो हमारी तरफ से पूरी सावधानी बरती जाती है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन जहां रैली में शामिल होने आए आम लोग बैठते हैं, वहां अगर हम निर्धारित नियमों का ज्यादा पालन कराने की कोशिश करते हैं तो स्थिति और बिगड़ जाती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में पीएम मोदी की एक झलक देखने के इच्छुक लोगों के बीच अफरा-तफरी जैसा माहौल हो जाता है.’
सिन्हा ने कहा कि पार्टी लोगों को रैलियों में आने से नहीं रोक सकती. उन्होंने कहा, ‘टीएमसी और कांग्रेस दोनों ही चाहती हैं कि किसी तरह कोविड के बहाने ये रैलियां रद्द हो जाएं, क्योंकि वे तो हमारी रैलियों की तुलना में 10 फीसदी भी भीड़ नहीं जुटा पा रहे हैं. वे हमारे ‘जन जागरण’ को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. फैसला साफ है- भाजपा की सरकार बन रही है.’
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‘मैं मानदंडों की चिंता नहीं कर सकता’
हालात के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य सभा सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, ‘मैं आपसे गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात करने का अनुरोध करूंगा. क्या आप मुझे केंद्रीय गृह मंत्री और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मास्क पहने हुए एक भी फोटो दिखा सकती हैं? वे वही हैं जिन पर राज्य में मानदंडों का पालन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी है और इसका उल्लंघन करने वाले भी वही लोग हैं.’
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी अपने उम्मीदवारों से रोड शो और रैलियों के दौरान मास्क पहनने और सैनिटाइजर इस्तेमाल करने के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने को लिए कह रही है लेकिन यह एक ‘दुष्कर’ कार्य साबित हो रहा है.
कई विपक्षी दलों ने राज्य में आठ चरण में चुनाव कराने पर भी सवाल उठाए हैं.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा कि चुनाव आयोग को महामारी के बीच चुनाव कराने की अनुमति देने और वो भी आठ चरण में मतदान कराने से पहले सोचना चाहिए था.
उन्होंने कहा, ‘हमारा लक्ष्य जीतना है और यह सुनिश्चित करना है कि हमें ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलें. ये आखिरी के कुछ चरण हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण हैं और अगर मुझे अपने मतदाताओं तक पहुंचना है तो मैं इसकी बहुत ज्यादा चिंता नहीं कर सकता कि सभी मानदंडों का पूरी तरह पालन किया जाए.’
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कोविड से बिगड़ती स्थिति
दिप्रिंट ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि 26 फरवरी, जब चुनावों की घोषणा हुई और 30 मार्च के बीच देश में हर दिन आने वाले पॉजिटिव केस में 224 फीसदी की वृद्धि देखी गई है जबकि टेस्ट में पॉजिटिविटी रेट 2.13 प्रतिशत से बढ़कर 5.22 प्रतिशत हो गया है.
पश्चिम बंगाल में चुनाव की घोषणा के बाद से दैनिक पॉजिटिव केस 190 प्रतिशत बढ़ गए गए हैं जो 216 से बढ़कर 628 पर पहुंच गए हैं. सभी दलों की चुनावी रैलियों की लाइव कवरेज से पता चलता है कि कोविड के मद्देनजर उचित मानकों के पालन में कितनी ढिलाई बरती जा रही है. राज्य में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट इस दौरान तीन गुना हो गया है- ये 1.07 से बढ़कर 3.5 हो गया है.
वरिष्ठ टीएमसी नेता और लोकसभा सांसद सौगत राय ने कहा, ‘यह एक बड़ा राज्य है और इतनी सारी रैलियां हो रही हैं इसलिए सब पर नज़र रखना संभव नहीं है. लेकिन हम कोविड-19 मानदंडों के पालन को लेकर जागरूकता बढ़ा रहे हैं और हमारे उम्मीदवार इनका पालन भी कर रहे हैं.’
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चुनाव आयोग ही संदेहास्पद स्थिति में है